केकड़ी 4 मई (पवन राठी) राज्य में लागू जन अनुशासन रेड अलर्ट के दौरान शहर के हर चौराहे और गली में आज एक ही नाम चर्चित है और वो है राहुल पारीक तहसीलदार केकड़ी का।
पारीक सुबह से शाम तक शहर हो या गांव सभी जगह कोरोना कर्मवीर योद्धा के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते आ रहे है।केवल एक तहसीलदार के रूप में नही बल्कि एक कोरोना वारियर्स के रूप में।प्रशासनिक दायित्व का निर्वहन उनकी मजबूरी है लेकिन उससे ज्यादा उनके दिलों दिमाग मे शहर और ग्रामीण क्षेत्र के वाशिन्दों को कोरोना की गिरफ्त में जाने से बचाने का जुनून कूट कूट कर भरा हुवा है।
रेड अलर्ट के दौरान जो सख्ती केकड़ी शहर और ग्रामीण क्षेत्रो में देखने को मिल रही है तो केवल और केवल राहुल पारीक तहसीलदार के कारण ही मिल रही है। इसके कारण ही शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रो में पारीक आज सख्ती का पर्यायवाची बन चुके है।सख्ती का सम्पूर्ण श्रेय केवल राहुल पारीक को जाता है।
ये एक ऐसे अधिकारी है जो ना पुलिस जाप्ते की और ना ही अन्य अधिकारी या कर्मचारी की इंतजार करते है ना गाड़ी की।बस निकल पड़ते है अकेले ही चाहे गाड़ी मिले या बाइक।सुबह से शाम तक चौराहों और गलियों में दौड़ते रहते है ।हर रोज शहर के बाजार में उनके माथे से टपकता पसीना और पसीने से लबालब उनकी शर्ट इस बात की गवाही देती है कि इस अकेले अधिकारी ने शहर को कोरोना से बचाने के लिए किस प्रकार से अपनी पूरी मेहनत लगा दी है और वो भी पूरे जुनून के साथ।शांत स्वभाव मृदुभाषी राहुल पारीक का यह नया रूप कोरोना काल मे शहर वासियों को देखने को मिला है।जिसकी चर्चाएं आज शहर के चौराहों से लेकर शहर की गली गली में आज चरम पर है।आज आलम यह हो चला है की नीयत समय सीमा समाप्ति पर दुकानदारों मनचलो में यह धारणा या खोफ कह ले व्याप्त हो चुका है कि वक़्त हो गया है चलो घर नही तो राहुल पारीक आ जाएंगे। इसकी शहर में काफी प्रशंसा हो रही है क्योंकि राहुल पारीक के दिलो दिमाग में शहर वासियों की सुरक्षा ही सर्वोच्च प्राथमिकता है। पारीक आम लोगो के लिए सिरदर्द नही बल्कि लालची और कालाबाजारी करने के लिए गाइड लाइन का उल्लंघन करने वालो के लिए सिर दर्द बने हुए है। राहुल पारीक की निर्णय क्षमता भी अद्वितिय है एक बार जो निर्णय ले लिया उसे बदलना उनकी डिक्शनरी में है ही नही।
इनकी कार्यशैली भी गजब की है जंहा सख्त होना चाहिए वंहा ये सख्त हो जाते है वंही दूसरी और एक इंसान होने का अधिकारी होने का नही परिचय भी पारीक में मैंने बड़ी सहजता से खुद अपनी आंखों से देखा है।जब ये बड़ी ही शालीनता और सहजता के साथ नागरिको से विनम्रता पूर्वक घरो में रहने की अपील करते है।प्रशासनिक अमले में तहसीलदार राहुल पारीक की कार्यशैली अपनी एक अलग ही पहचान कायम कर चुकी है।
इसका मतलब यह नही की बाकी सभी अधिकारी निकम्मे या नालायक है नही सभी विभाग के अधिकारी और कार्मिक बखूबी अपने अपने दायित्वों का निर्वहन पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से कर रहे है।इसके बावजूद भी शहरवासी राहुल पारीक की कार्यशैली और सहज स्वभाव के कायल हो चुके है।
