पानी-बिजली की गड़बड़ाई स्थिति और कानून-व्यवस्था चरमराने से जनता कर रही त्राहिमाम-त्राहिमाम
-प्रदेश में शासन नाम की कोई चीज नहीं रही, अधिकारी हुए बेलगाम, कर रहे हैं मनमानी
-गहलोत का फिर से दो माह के लिए क्वारेंटाइन होना जनता की जवाबदेही से बचने का तरीका
देवनानी ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की लड़ाई में राज्य का सत्यानाश हो रहा है। गहलोत के हाथ से प्रशासन बेकाबू हो गया है। गहलोत द्वारा दो माह के लिए किसी से नहीं मिलने और क्वारेंटाइन होने को हास्यास्पद बताते हुए देवनानी ने सवाल किया है कि ऐसी कौनसी परिस्थिति पैदा हो गई, जो गहलोत को कोरोना संक्रमण से ठीक होने के दो माह फिर से क्वारेंटाइन होने की जरूरत पड़ी है। दरअसल यह गहलोत का सियासी क्वारेंटाइन है, उन्होंने जनता की जवाबदेही से बचने का रास्ता चुना है। बेहतर होता, गहलोत क्वारेंटाइन होने की बजाय परिस्थितियों का सामना करते हुए पानी-बिजली की स्थिति और कानून-व्यवस्था में सुधार कराते। प्रशासन की लगाम कसते। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में गहलोत कमजोर साबित हो रहे हैं।
देवनानी ने कहा कि कांग्रेस के ही विधायक आपस में ही फोन टेपिंग करने के आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत ने इस संबंध में अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की है। यदि फोन टेप नहीं हो रहे हैं, तो उन्हें सरकार की तरफ से पक्ष रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में इन दिनों पदों की लड़ाई इतनी तेजी से चल रही है कि सरकार खुद असहाय और लाचार नजर आने लगी है। उन्होंने कहा कि फोन टेपिंग की सच्चाई का पता लगाने के लिए राज्यपाल महोदय कोे हस्तक्षेप करना चाहिए।