अब धार्मिक स्थल भी जल्द से जल्द खोले जाएं-देवनानी

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 17 जून। पूर्व शिक्षा मंत्री व विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने कहा है कि जब सरकार ने मार्केट, माॅल, रेस्टोरेंट और बगीचे खोल दिए हैं, मिनी सिटी बसें चला दी हैं, तो अब धार्मिक स्थल भी जल्द से जल्द खोले जाने चाहिए।
गुरूवार को जारी बयान में उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रणम को रोकने के लिए सरकार ने लाॅकडाउन लगाया गया था। कोरोना संक्रमितों का ग्राफ गिरने के साथ सरकार अब धीरे-धीरे सभी क्षेत्रों को खोला जा रहा है और व्यावसायिक गतिविधियों को चालू करती जा रही है। इसमें बाजार खोल दिए गए हैं, माॅल और रेस्टोरेंट भी खोले जा चुके हैं। घूमने के लिए बगीचे भी खोले जा चुके हैं, तो शहरी यातायात में मिनी सिटी बसें भी चलाई जा चुकी हैं। इसलिए अब धार्मिक स्थानों को भी खोला जाना चाहिए, क्योंकि यह लोगों की धार्मिक भावनाओं से जुड़े हुए हैं।
देवनानी ने कहा कि अनेक धार्मिक लोग रोजाना सुबह-शाम मंदिरों में दर्शन और पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं, लेकिन इन लोगों ने लाॅकडाउन में गाइडलाइन का पूरी तरह पालन किया। मंदिरों के कपाट अभी तक बंद हैं, जिससे पूजा-पाठ नहीं हो पा रही हैं। जबकि पूजा-पाठ किए बिना कई लोगों की दिनचर्या पूरी नहीं होती है। वैसे भी मंदिरों में माॅल, रेस्टोरेंट आदि के मुकाबले ज्यादा भीड़ नहीं पड़ती है। लोग पूजा-पाठ करने के बाद तुरंत लौट जाते हैं। इसलिए सरकार को अब सभी लोगों की धार्मिक भावनाओं का आदर करते हुए धार्मिक स्थल जल्द खोलने चाहिए। इससे मंदिरों में भी नियमित रूप से सुबह व शाम को पूजा-पाठ हो सकेगी।

उच्च शिक्षा पर अभी भी कोरोना का साया-देवनानी
-उच्च शिक्षा मंत्री भंवरसिंह भाटी गहरी नींद में, उन्हें कोई चिंता नहीं
-परीक्षाएं कराने या नहीं कराने के बारे में अभी तक विचार ही नहीं किया
-स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री व अधिकारी भी मार रहे हैं खर्राटे, अभी तक परिणाम जारी करने पर विचार नहीं
-प्रदेश के लाखों विद्यार्थी असमंजस की स्थिति में
-फाइनल ईयर वालों को नौकरी के लिए आवेदन से वंचित रहने की चिंता सताने लगी

अजमेर, 17 जून। पूर्व शिक्षा मंत्री व विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने कोरोना संक्रमण में लगातार कमी आने के बावजूद उच्च शिक्षा की ओर अभी तक ध्यान नहीं दिए जाने पर तंज कसते हुए कहा है कि उच्च शिक्षा अभी भी कोरोना की भेंट चढ़ी हुई है। उच्च शिक्षा मंत्री भंवरसिंह भाटी गहरी नींद में हैं, इसलिए उन्हें उच्च शिक्षा की कोई चिंता नहीं है। यही नहीं, स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री गोविंदसिंह डोटासरा व उनके मातहत अधिकारी भी खर्राटे मार रहे हैं, लेकिन उन्हें दसवीं और बारहवीं के परिणाम तैयार करने की कोई चिंता नहीं है।
देवनानी ने गुरूवार को जारी बयान में कहा कि कोरोना संक्रमण समाप्ति की ओर है। संक्रमणों की संख्या में दिनों-दिन गिरावट आ रही है। सरकार राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं रद्द कर चुकी है, जिससे यह स्थिति तो साफ हो गई है कि अब परीक्षाएं नहीं होंगी। इससे विद्यार्थी भी निश्चिंत हो गए हैं। अब बोर्ड को यह तय करना है कि वह कैसे दसवीं और बारहवीं के विद्यार्थियों को प्रमोट करेगा, किंतु अभी तक यह विचार ही नहीं किया गया है कि परिणाम किस आधार पर तैयार होगा और क्या फार्मूला होगा। उच्च शिक्षा की स्थिति तो बिल्कुल इसके उलट है। उच्च शिक्षा मंत्री भाटी भाटी सहित अधिकारियों ने अभी तक इस बारे में विचार ही नहीं किया है कि क्या परीक्षाएं कराई जाएंगी या नहीं। यदि परीक्षाएं कराई जाएंगी, तो कौन-कौनसी कक्षाओं और कोर्सेज की कराई जाएंगी तथा कब से शुरू होंगी। उच्च शिक्षा का अगला शैक्षिक सत्र कब से शुरू होगा। अगले सत्र में कोर्सेज क्या होंगे।
देवनानी ने कहा कि स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा विभाग की लापरवाही और आरामतलबी नीति के चलते प्रदेश के लाखों विद्यार्थी असमंजस की स्थिति में हैं। बारहवीं के विद्यार्थी इस असमंजस में हैं कि उन्हें किस आधार पर बोर्ड द्वारा परिणाम और माक्र्सशीट जारी की जाएगी तथा किस आधार पर काॅलेजों में प्रवेश मिलेगा। ग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट फाइनल ईयर के विद्यार्थियों को इस बात की चिंता सता रही है कि यदि विश्वविद्यालयों द्वारा समय पर परीक्षाएं नहीं कराई गईं, तो वे नौकरियों के लिए फाॅर्म भरने से वंचित रह जाएंगे। वैसे भी मौजूदा समय पर प्रदेश में करीब 3 लाख बेरोजगार हैं। इन सब स्थिति को देखते हुए सरकार को अब उच्च शिक्षा की परीक्षाएं कराने या नहीं कराने पर जल्द से जल्द निर्णय करना चाहिए, ताकि विद्यार्थियों में असमंजस की स्थिति खत्म हो।

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