संगठन में ही शक्ति है–आचार्य अनुभव सागर

केकड़ी 19 फरवरी(पवन राठी)
श्री नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बोहरा कॉलोनी में प्रातः कालीन धर्म सभा में आचार्य अनुभव सागर जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस कलिकाल में अगर कोई शक्ति है तो वह संगठन में हैं ,बचपन से गुरु शिष्य कि वह कथा सुनी है जो आज अत्यंत प्रासंगिक है कि गुरु ने शिष्य को अलग-अलग लकड़ी दी तोड़ने को तो वे आसानी से टूट गई ,जबकि जब इकट्ठी करके दी तो वह उसे नहीं तोड़ पाया । वास्तविकता में संगठन की शक्ति अकथ्य है । व्यक्ति जब संयुक्त परिवार में रहता है तो मात्र थोड़ा सा समझौता करके अनेक सुख, आनंद, उत्सव ,पा सकता है । एकल परिवारों के कारण आज जैनों की संख्या भी घट रही है, बच्चे मां बाप को बोझ से महसूस होने लगे हैं,अतःमिथ्यात्वयियों की संख्या तो बढ़ रही है और जिन धर्म अनुरागीयों की संख्या घटती जा रही है । स्वार्थी प्रवृत्ति और अहंकार मनुष्य को एकल जीवन की ओर धकेल रहा है, हमने परिवार का अर्थ दादा-दादी चाचा -चाची आदि संबंधों के समूह को भी देखा था परंतु आज माता-पिता और मात्र उनके बच्चे ही परिवार के प्रेम में शेष बचे हैं । हर व्यक्ति कहता है कि “आई वांट पीस” वह अगर इन शब्दों को तोड़कर देखें तो समझ आएगी जहां “आई” अर्थात अहंकार है, “वांट ” यानी इच्छा है वहां ” पीस “अर्थात शांति संभव ही नहीं है । अहंकार में रावण, कौरव और कंस अपने वंश सहित नष्ट हो गए इसलिए अगर जीवन में व्यवहारिक रूप से प्रसन्नता की चाह हो तो परिवार के संरक्षण और संवर्धन का प्रयास करना चाहिए । उन्होंने कहा कि जब एलोपैथी, आयुरपैथि, होम्योपैथी ,नेचुरोपैथी और कोई भी पैथी काम नहीं करती तब अपनों की “सिम्पैथी” काम करती है । शाम को 6:30 बजे आचार्य श्री के सानिध्य में आनंद यात्रा की जाएगी ।

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