संत अपने भक्तों को हमेशा धर्म के मार्ग पर चलने की सीख देते है-आचार्य अनुभव सागर

केकड़ी 20 फरवरी(पवन राठी)
श्री नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बोहरा कॉलोनी में विराजमान परम पूज्य आचार्य श्री अभिनंदन सागर महाराज के शिष्य परम पूज्य आचार्य श्री अनुभव सागर जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि रात के समय हर गली मोहल्ले में रात को एक व्यक्ति आता है और गली में चिल्लाता है कि ,जागते रहो, वह कहता है कि रात में सोना है, लेकिन मदहोश होकर मत सोना, नहीं तो चोर घर का कीमती सामान चोरी कर ले जाएगा । उसी प्रकार संत भी बार-बार समाज को जगाने के लिए आते रहते हैं, कहीं श्रावकों की कसाय,लोभ, मोह,माया, ज्यादा तीव्र न हो जाए ,इसलिए हर बार नगरों में जाकर धर्म का उपदेश के माध्यम से धर्म का अर्थ समझाते हैं । आज इस जीव की बाहरी परिणीति इतनी खराब हो गई है कि वह नाम से तो जैन है, लेकिन क्रिया जैन धर्म के अनुसार नहीं करते हैं , जिस प्रकार पिता अपने पुत्र को किसी ने किसी प्रकार से सुधारने का प्रयास करता है ,उसे उन्नति के रास्ते पर चलाने का प्रयत्न करता है उसी प्रकार गुरु भी हमें धर्म के रास्तों के माध्यम से अर्थ, काम तथा मोक्ष के पुरुषार्थ पर लगाते हैं । गुरु हमारी प्रतिभा को देखकर हमें प्रतिभावान बनाते हैं और स्वयं के समान जगत पूज्य बनने के रास्ते पर चला देते हैं । संत ,घड़े बनाने वाले कुम्हार के समान अंदर हाथ रखकर हमारी खोट निकाल देते हैं ,ओर हमें निखार देते है । हमारा सौभाग्य है कि हमें पंचम काल में भी ऐसे संतो का दर्शन का लाभ प्राप्त हो रहा है ,अतः हमें अपनी रुचि का सही प्रयोग करके अपना जीवन सफल बनाने का प्रयास करना चाहिए ।

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