गॉंधी विषय को पाठ्यक्रम में सम्मिलित कर इतिश्री कर ली

DSC_0007DSC_0012महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर के राजनीतिक विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित, “21वीं शताब्दी में गांधीवाद की प्रासंगिकता” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष वेदव्यास जी ने कहा कि विश्वविद्यालयों ने गॉधी जी को आदर्श रुप में निरुपित करने के बजाय उनकी प्रतिमा व गॉंधी विषय को पाठ्यक्रम में सम्मिलित कर अपनी इतिश्री कर ली है, जबकि गॉंधी भारत की आत्मा हैं, दुनिया के सभी देशों को आज गॉंधी की किसी न किसी रुप में आवश्यकता है। आज हम राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में गॉंधीजी को तलाश रहे हैं, जबकि सर्वविदित है कि गॉधी की आवश्यकता वहॉं है जहॉं अभाव अभियोग व असमानता अपनी जड़ें फैला रही है। राजस्थान में जातिय असहिष्णुता समाज की गहराई तक है अतः यहॉं गॉंधीजी के विचारों की महती आवश्यकता है। यदि कांॅग्रेस गॉंधी जी को मन कर्म वचन से आंशिक रुप से भी यदि स्वीकार कर लेती तो देश में सांप्रदायिकता व नस्लवाद नहीं पनपता, क्यों कि गॉंधीवाद सत्ताधीशों को मजबूत करने के बजाय आम आदमी को संगठित करता है।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता वर्धमान खुला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. नरेश दाधीच ने कहा कि गॉंधीवाद न केवल 21वीं सदी में प्रासंगिक है, वरन् आने वाली सदियों में भी रहेगा। गॉंधी शब्द सुनते ही सत्य व अहिंसा स्वतः प्रतिबिंबित हो जाता है, नमक आंदोलन का जिक्र करते हुए गॉंधी जी के वाक्य फाइट फोर राइट अगैंस्ट व्हाइट पर विस्तृत् चर्चा की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर के कुलपति प्रो. रुपसिंह बारेठ ने कहा कि गॉंधीजी ने सत्य व अहिंसा पर अनेक प्रयोग करने के पश्चात् ही उन्हें समाज में निक्षेपित् किया। भारत विश्व का सबसे बड़ा व सबसे पुराना लोकतांत्रिक राष्ट्र है, और इसकी प्रजातांत्रिक व्यवस्था गॉंधीवाद के कारण ही प्रबल है।व्यक्ति और समाज को सुस्ंकृत और मानवीय बनाने के लिये गॉंधीवाद एक विश्वसनीय व शास्वत संदर्भ है इसमें व्यावहारिक कठिनाईयॉं हो सकती है लेकिन नीतिगत् अंतर्विरोध नहीं है। विश्वविद्यालय समाज के प्रति अपनी कर्तव्यों को ध्यानांतर्गत कर अनेक समाजोपयोगी संगोष्ठीयॉं आयोजित करता रहेगा।
प्रथम तकनीकी सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. रामकिशोर यादव ने 21 वीं सदी में भाषा साहित्य और समाज के परिप्रेक्ष्य में गॉंधीवाद की महत्ता पर विचार रखे। तथा इस सत्र की अध्यक्षता प्रसिद्ध गॉंधीवादी चिंतक श्री जनार्दन शर्मा ने की।
द्वितीय सत्र में डॉ. दीपक यादव ने गॉंधीवादी विचार और दर्शन की 21वीं सदी में प्रासंगिकता पर अपने विचार रखे, तथा इस सत्र की अध्यक्षता केन्द्रीय विश्वविद्यालय के डॉ. नगेन्द्र अम्बेडकर ने की।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग के विभागाध्यक्ष व भारतीय राजनीति विज्ञान संगठन के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने समापन भाषण देते हुए कहा कि गॉंधी जी के विचारों को अन्नाहजारे के विचारों के साथ जोड़ते हुए युवाओं को राष्ट्र निर्माण में निर्भयता पूर्वक भाग लेने का आव्हान किया। समापन भाषण विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रुपसिंह बारेठ ने दिया। संगोष्ठी के संयोजक प्रो. एस.एन. सिंह ने संगोष्ठी की रुपरेखा व स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. दिनेश शर्मा व डॉ. राजू शर्मा ने किया।

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