महंगाई की आग को और भड़काएगी सरकार

कमजोर मानसून से सूखे की आशंका के चलते सुलग रही महंगाई की आग में अब सरकार भी तड़का लगाने जा रही है। खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत बेचे जा रहे गेहूं के दामों में खाद्य मंत्रालय 115 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बढ़ोतरी करने की तैयारी में है।

इससे न सिर्फ थोक व खुदरा में गेहूं की कीमतों में और इजाफा होगा बल्कि केंद्रीय भंडार की ओर से गरीबों को बेचे जा रहे 14.25 रुपये किलो के रियायती दर वाले आटे के दामों में भी 1.50 से 2 रुपये किलो की बढ़ोतरी हो सकती है।

सरकार के इस कदम से न सिर्फ थाली महंगी हो जाएगी बल्कि रसोई के बजट को तगड़ा झटका लग सकता है। जून और जुलाई में अपेक्षित बरसात न होने से महंगाई का खासा असर ग्रासरी वस्तुओं पर है। सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चार दिन पूर्व ही उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रो. के.वी.थॉमस को निर्देश दिए थे। लेकिन महंगाई पर अंकुश लगाने के उपाय करने के बजाय खाद्य मंत्रालय उल्टे ओएमएसएस के तहत बेचे जाने वाले गेहूं के दामों में 115 रुपये की बढ़ोतरी की तैयारी कर रहा है।

इस वृद्धि के पीछे थॉमस का कहना है कि अभी तक सरकार ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री पिछले वर्ष के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1170 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर कर रही है। जबकि इस वर्ष का एमएसपी 1285 रुपये प्रति क्विंटल है।

थॉमस के मुताबिक पिछले वर्ष के एमएसपी पर गेहूं बेचने का उद्देश्य बाजार में रियायती दरों पर गेहूं की उपलब्धता बढ़ाना है। लेकिन बाजार पर इसका जरा भी असर नहीं है बल्कि गेहूं के दाम 1400 रुपये क्विंटल तक पहुंच गए हैं। दरअसल बड़े व्यापारी ओएमएसएस का गेहूं खरीदकर उसे ऊंची दरों पर बाजार में बेच कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।

इसके चलते अब मंत्रालय ने ओएमएसएस की बिक्री नए एमएसपी पर करने की योजना बनाई है। इसे अगले महीने से लागू किया जा रहा है। जाहिर है कि पिछले महीने ही प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट ने ओएमएसएस के तहत 30 लाख टन गेहूं की बिक्री 1170 रुपये क्विंटल पर करने की मंजूरी दी थी। खास बात यह है कि दक्षिणी राज्यों को भी बगैर किसी अतिरिक्त शुल्क के इसी मूल्य पर गेहूं बेचा जा रहा है।

तेजी से बढ़ी कीमतें
–10 से 15 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो चुकी है खाद्य तेल, दाल और चीनी के दामों में पिछले डेढ़ महीने में।
–20 से 55 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो चुकी है आलू, प्याज, टमाटर सहित हरी सब्जियों के खुदरा दामों में।

 

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