डर के बावजूद
हमें खालिस्तान आंदोलन के दिन याद आ रहे हैं जब किसी सिख की कोई बात उसी तरह नज़र से देखी जाती थी जिस नज़र से आजकल मुस्लिम नामधारी किसी व्यक्ति की बातों को देखा जाता है। अभी सज्जन कुमार को सिख हत्याओं के लिए उम्रक़ैद मिली है। जिन्हें याद हो वे बताएँ, कैसे दिन थे। … Read more