बंद होते सरकारी स्कूल

दरअसल सरकारी स्कूल फेल नहीं हुए हैं बल्कि यह इसे चलाने वाली सरकारों, नौकरशाहों और नेताओं का फेलियर है। सरकारी स्कूल प्रणाली के हालिया बदसूरती के लिए यही लोग जिम्मेवार है जिन्होंने निजीकरण के नाम पर राज्य की महत्वपूर्ण सम्पति का सर्वनाश कर दिया है। वैसे भी वो राज्य जल्द ही बर्बाद हो जाते है … Read more

सोनाली फोगाट का मर्डर या हार्ट अटैक : देश में राजनीतिक हत्याओं का दौर नया नहीं है?

(अब्राहम लिंकन, जॉन एफ कैनेडी, इंदिरा गांधी और बेनजीर भुट्टो की जीवन ज्योति उनके राजनीतिक जीवन के चरम पर बुझा दी गई। आजादी के बाद से राजनीतिक हत्याओं का दौर भारत के राजनीतिक जीवन को भी लहूलुहान करता आया है। भारत को आजादी मिले छह महीने भी नहीं हुए थे कि महात्मा गांधी की हत्या … Read more

भ्रष्टाचार इसलिए होता है क्योंकि हम स्वयं बेईमान है।

हम बेवकूफ इसलिए बनाए जा रहे है, क्योंकि हम बेवकूफ है। हमारे हक इसलिए छीने जाते है ,क्योंकि हम दूसरो को छीनने की कोशिश करते है। हमारे साथ भ्रष्टाचार इसलिए होता है क्योंकि हम स्वयं बेईमान है। हमे अपने अंदर सुधार की जरूरत है, लोग खुद सुधर जाएंगे। महात्मा गांधी ने कहा था- “खुद में … Read more

दलित के नाम पर राजनीति चमकाने वाले मौन

*राजस्थान में जालौर जिले में एक स्कूली मासूम छात्र इंद्रकुमार की मौत का मामला दलित अत्याचार से जोड़कर चर्चित हो रहा है। दलित हितेषी का दिखावा कर अनेक नेता हमदर्दी जताने मृतक के गांव पहुंच रहे हैं। यह कोई नहीं बताता कि करीब 20 दिनो तक जब वह मासूम अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती … Read more

कमी कानून में है या गलतियां कपड़ों में ?

आपने पहले भी स्त्रियों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न तथा अन्य ज्यादतियों के मामले में उल्टे उसी को कुलटा या चरित्रहीन बता देने का प्रसंग तो सुना ही होगा, किन्तु आज के दौर में मूल्यों की जमीन कितनी कमजोर है इसका अंदाजा इस वाकिये से सहज ही लगा सकते हैं कि अदालत में जज … Read more

विभाजन की विभीषिका में सिंध को भी याद कीजिए …

सिंध को हमसे बिछड़े 75 बरस हुए ! सिंधियों की जो पीढ़ी बंटवारे के दौरान इस पार आई थी उनमें से ज्यादातर अब इस दुनिया में नहीं हैं .बचे-खुचे कुछ बूढ़ों की धुंधली यादों के सिवा अब सिंध सिर्फ हमारे राष्ट्रगान में रह गया है . इन 75 सालों में हमें यह एहसास ही नहीं … Read more

*आजाद भारत में छुआछूत का दंश, यह कैसी आजादी है?*

-आजादी के 75 साल बाद भी देश में व्याप्त है छुआछूत -आखिर क्या कसूर था 8 साल के इस मासूम का -उस बेचारे को क्या पता छुआछूत किसे कहते हैं -क्या केंद्र व राजस्थान सरकार छुआछूत खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाएगी -भाजपा व कांग्रेस नेताओं के मुंह पर ताले, आखिर क्यों? ✍️प्रेम आनन्दकर, … Read more

*भ्रष्टाचारियों को भी सम्मानित किया जाए और पुरस्कार दिए जाएं!*

(भ्रष्टाचार पर व्यंग्यात्मक ब्लाॅग) -जैसे देश की नामी हस्तियों को पद्मश्री, पद्म विभूषण, भारत रत्न पुररस्कार दिए जाते हैं, वैसे ही भ्रष्टाचार में महारत हासिल करने वालों को भ्रष्टाचारीश्री, भ्रष्टाचारी विभूषण और भ्रष्टाचारी रत्न से नवाजा जाना चाहिए ✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर। 👉बात कड़वी जरूर है, लेकिन एकदम खरी-खरी है। कड़वी बात हो या दवाई, हर … Read more

*कैसे मान लूं भारत में स्वराज आ गया*

-यह तस्वीरें हमारे देश के ज्वलंत मुद्दों का बखान करने के लिए काफी हैं ✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर। 👉इस पोस्ट में आप जो तस्वीरें देख रहे हैं, वे वाकई में हमारे देश की ज्वलंत समस्याओं का बखान करने के लिए काफी हैं। इन तस्वीरों को बनाने और इनमें जनता की पीड़ा का खाका खींचने वाले को … Read more

भारत का राष्ट्रपति और आदिवासी समाज

राष्ट्रपति पद के लिए चुनावों की घोषणा हो चुकी और इसी के साथ देश में चुनावी सरगर्मियाँ तेज हो चुकी है..! विपक्ष ने लगभग 25 वर्षों तक भाजपा में रहे पूर्व भाजपा नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है..! जबकि भाजपा ने एक ऐतिहासिक फ़ैसला लेते हुए आदिवासी … Read more

कमीशन दो तो बिल पास हो, यही होता है सभी जगह

-सवाई मानसिंह अस्पताल के इन कारिंदों का क्या कसूर, बेचारे फोकट ही फंस गए -कमीशन दिए बिना तो किसी भी सरकारी कार्यालय में बिल पास नहीं किए जाते हैं हर कार्यालय में 5 प्रतिशत कमीशन फिक्स होता है, चाहे काम कितने ही राशि का होगा -ऊपर तक पैसा भेजने की दुहाई दी जाती है, सच्चाई … Read more

error: Content is protected !!