नागरिकों के संकल्प ने तीन स्मारकों का लुक बदल दिया

– शहर को साफ और सुंदर बनाने के लिए नागरिकों ने बढ़ाए कदम
– क्लीन-ग्रीन यूनिक अजमेर संस्था की पहल से जुड़ रहे हैं लोग
– पहले चरण में पलटेगी शहर के सभी स्मारकों की काया

बजरंगढ सर्किल पर सडक की धुलाई करते लोग।
बजरंगढ सर्किल पर सडक की धुलाई करते लोग।

 

अभियान के तहत कॉलेज की छात्राओं ने बढचढ कर भाग लिया।
अभियान के तहत कॉलेज की छात्राओं ने बढचढ कर भाग लिया।

 

विजय स्मारक की साफ सफाई करते नागरिक।
विजय स्मारक की साफ सफाई करते नागरिक।

 

बुर्जग भी पीछे नहीं रहे। गांधी भवन की दीवारपर रंग करते लोग।
बुर्जग भी पीछे नहीं रहे। गांधी भवन की दीवारपर रंग करते लोग।

शहर के कुछ लोगों ने सोचा कि क्यों न शहर को सुंदर बनाने का काम किया जाए। योजना बनाई और काम शुरू कर दिया। केवल दस दिन में शहर के तीन प्रमुख चौराहों के स्मारक की कायापल्ट दी। आओ मिलकर कुछ करके दिखाएंगे के स्लोगन को लेकर चंद लोग जब इस काम को अंजाम देने निकले थे तो उन्होंने सोचा भी नहीं था कि नागरिक खुद आगे होकर इस काम में हाथ बंटाने के लिए आएंगे। अब सौंदर्य के हर आयोजन में लोगों की भागीदारी बढ़ती जा रही है। जिसमें बच्चे,युवा और बुर्जग सब शामिल हो रहे हैं। टीम ने जाना कि शहर को सुंदर बनाने का सपना पूरा करने के लिए क्या प्रयास हुए और कैसे सफलता मिली।

ग्रीन और क्लीन अजमेर का सपना
शहर को क्लीन और ग्रीन बनाने के लिए एक सामाजिक संस्था बनाई गई। संस्था का नाम ग्रीन-क्लीन यूनिक अजमेर रखा गया। संस्था ने कुछ लोगों को जोडकऱ पहले चरण में शहर के स्मारकों की दशा सुधारने का संकल्प लिया । नौ दिन पहले 28 सितंबर को बजरंगगढ़ स्थित विजय स्मारक से शुरूआत की गई । सुबह आठ बजे अभियान शुरु हुआ और 30 से अधिक लोगों ने स्मारक की न सिर्फ झाडिय़ां हटाकर साफ सफाई की बल्कि रंग रोगन भी किया। लोगों के चार घंटे के श्रमदान ने स्मारक की काया ही पलट दी। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर अजमेर यूनिक के पदाधिकारी और नागरिक गांधी भवन स्मारक पहुंचे। यहां पांच घंटे से भी अधिक का समय लगा। इस दिन अभियान से कॉलेज और स्कूल की छात्राएं भी जुड़ गई थी। आस-पास से निकलने वाले नागरिकों ने भी सहयोग किया। सबने छोटे-छोटे काम आपस में बांटकर गांधी भवन स्मारक की दशा ही बदल दी। तीन दिन बाद ही 5 अक्टूबर को लोग अजमेर क्लब के पास स्थित ज्योतिबाफूले स्मारक पर पहुंचे। इसके साथ ही अग्रि शमन केंद्र के तीराहे पर स्थित स्मारक की भी कायापल्ट का काम शुरू किया गया। इस दिन श्रमदान करने लोगों की संख्या भी 60 को पार कर गई थी।

श्रमदान के साथ धनदान भी
श्रमदान कर शहर के स्मारकों की कायापल्ट का बीड़ा उठाने वाली अजमेर यूनिक के पदाधिकारियों ने श्रमदान के साथ-साथ इस काम पर होने वाला खर्चा भी अपनी जेब से कर रहे हैं। तीनों स्मारकों की कायापल्ट के काम पर तीस हजार रुपए से भी अधिक खर्च किए जा चुके हैं। संस्था की ओर से बुर्जुगों की पेंशन के लिए यूनिक हेल्प लाइन भी शुरू की गई है।

निगम का सहयोग भी
श्रमदान के इस अभियान में नगर निगम की ओर से भी सहयोग दिया जा रहा है। निगम की ओर से कुछ सफाईकर्मी उपलब्ध कराने के साथ स्मारकों को धोने के लिए अग्रि शमन दस्ते की गाड़ी के माध्यम से पानी भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

बहुत प्रभावित हुआ – उपाध्याय
Dr N k upadhyayमहर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी के निदेशक शोध नवल उपाध्याय का कहना है कि लंबे समय से वो भी ऐसा ही कुछ करने की सोच रहे थे लेकिन कोई मौका नहीं मिल रहा था। वास्तव में यह यूनिक प्रयास है। जब उन्हें इस बात की जानकारी मिली तो वो श्रमदान करने पहुंच गए।

 

बहुत सुकून मिला – पारीक
dilip pareekशास्त्री नगर निवासी दीलिप पारीक को जब संस्था के बारे में जानकारी मिली तो वो उससे जुड़े बिना नहीं रह सके। पारीक ने तय किया है कि वो हर रविवार को अभियान के लिए पूरा समय निकालेंगे। पारीक का कहना है कि तीनों स्मारकों पर काम करके बहुत सुकून मिला है।

 

लोग जुड़ रहे हैं – शर्मा
j k sharmaअभियान के प्रोजेक्ट मैनेजर नगर निगम पार्षद जे के शर्मा ने बताया कि प्रयास बहुत सफल रहा। न सिर्फ साफ सफाई हो रही है बल्कि लोगों में जागरुकता भी आ रही है। लोग आगे होकर अभियान से जुड़ रहे हैं। कुछ बुर्जुंग तो ऐसे हैं अपने पोतों को भी साथ ला रहे हैं।

 
सबका सहयोग मिल रहा है – कंवल प्रकाश
kanwal prakashअजमेर यूनिक के अध्यक्ष कंवल प्रकाश तीन स्मारकों की कायापल्ट के बाद बहुत उत्साहित हैं। कंवल प्रकाश ने बताया कि अभियान को आशा से कहीं अधिक सफलता मिली रही है। अभियान को सबका सहयोग मिल रहा है। लोग समय निकाल रहे हैं। खुद भी जागरुक बन रहे हैं और दूसरों को भी कर रहे हैं।

 


पहले शर्म आती थी- कनिका

miss kanikaस्मारकों पर साफ सफाई में योगदान देने वाली सोफिया कॉलेज की छात्रा कुमारी कनिका का कहना है कि पहले ऐसा सोचकर भी शर्म आती थी लेकिन अब लग रहा है कि यह काम तो मेरे शहर का है, देश का है। इसमें शर्म की बात ही क्या है। जब हम अपने घर को साफ करने की सोचते हैं तो फिर शहर भी तो हमारा ही है।

 

शहर की सफाई करने का अनुभव ही अलग रहा – अनुष्का
anusha jainराजकीय महाविद्यालय की छात्रा अनुषा जैन के लिए भी यह पहला मौका था जब उसे शहर की सफाई करने का मौका मिला। अनुष्का कहती है कि पहले दिन चार घंटे साफ सफाई में बिताया तो बहुत थकान महसूस हुई लेकिन दूसरे स्मारक पर किसी भी प्रकार थकान नहीं हुई। इतने लोगों के साथ काम करने का अनुभव ही अलग था। मेरे माता पिता ने भी इस काम के लिए प्रेरित किया।


सारे स्मारकों की सफाई में लगूंगा- नील गांधी

neel gandhi12 वर्षीय नील गांधी स्कूल में पढाई कर रहा है; यूनिक के तीनों अभियानों में उत्साह के साथ भूमिका निभाने वाला नील गांधी कहता है कि हर बच्चे को इससे जुडना चाहिए। इस बहाने एक तो शहर की सफाई में योगदान हो जाएगा और दूसरा शारीरिक तंदरुस्ती भी बनी रहती ह। नील ने निर्णय लिया है कि वो यूनिक के सभी अभियान से जुडकर अपनी सेवा देगा।


हर सहयोग देंगे – सी.आर. मीणा

cr_meena_0नगर निगम के सीईओ सीआर मीणा ने अभियान की तारीफ करते हुए कहा कि नागरिकों के जागरुक होने से साफ सफाई से जुड़ी कई तरह की समस्या से निजात मिल जाएगा। नगर निगम की ओर से इस अभियान के तहत जिस तरह का भी सहयोग चाहिए होगा, उसे निगम की ओर से दिया जाएगा।

रविंद्र नाथ टैगोर सर्किल की बारी
12 अक्टूबर को अभियान के तहत पुरानी आरपीएससी स्थित रविंद्रनाथ टैगोर सर्किल की दशा सुधारने का काम होगा। अभियान सुबह साढ1े सात बजे शुरू होगा। अध्यक्ष कंवल प्रकाश ने लोगों से स्मारक पर पहुंचने की अपील की है। अभियान में बंगाली समाज भी जुडेगा।

बजरंगढ स्मारक का 28 सितंबर को अभियान शुरू होने से पहले और बाद का दश्य।
बजरंगढ स्मारक का 28 सितंबर को अभियान शुरू होने से पहले और बाद का दश्य।
गांधी भवन स्मारक का 2 अक्टूबर को अभियान शुरू होने से पहले और बाद का दश्य।
गांधी भवन स्मारक का 2 अक्टूबर को अभियान शुरू होने से पहले और बाद का दश्य।
महात्मा ज्योतिबा फूले सर्किल पर 5 अक्टूबर को अभियान शुरू होने और बाद का दश्य।
महात्मा ज्योतिबा फूले सर्किल पर 5 अक्टूबर को अभियान शुरू होने और बाद का दश्य।
अग्नि शमन सर्किल पर 5 अक्टूबर को अभियान शुरू होने व बाद का दश्य।
अग्नि शमन सर्किल पर 5 अक्टूबर को अभियान शुरू होने व बाद का दश्य।

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