– शहर को साफ और सुंदर बनाने के लिए नागरिकों ने बढ़ाए कदम
– क्लीन-ग्रीन यूनिक अजमेर संस्था की पहल से जुड़ रहे हैं लोग
– पहले चरण में पलटेगी शहर के सभी स्मारकों की काया
शहर के कुछ लोगों ने सोचा कि क्यों न शहर को सुंदर बनाने का काम किया जाए। योजना बनाई और काम शुरू कर दिया। केवल दस दिन में शहर के तीन प्रमुख चौराहों के स्मारक की कायापल्ट दी। आओ मिलकर कुछ करके दिखाएंगे के स्लोगन को लेकर चंद लोग जब इस काम को अंजाम देने निकले थे तो उन्होंने सोचा भी नहीं था कि नागरिक खुद आगे होकर इस काम में हाथ बंटाने के लिए आएंगे। अब सौंदर्य के हर आयोजन में लोगों की भागीदारी बढ़ती जा रही है। जिसमें बच्चे,युवा और बुर्जग सब शामिल हो रहे हैं। टीम ने जाना कि शहर को सुंदर बनाने का सपना पूरा करने के लिए क्या प्रयास हुए और कैसे सफलता मिली।
ग्रीन और क्लीन अजमेर का सपना
शहर को क्लीन और ग्रीन बनाने के लिए एक सामाजिक संस्था बनाई गई। संस्था का नाम ग्रीन-क्लीन यूनिक अजमेर रखा गया। संस्था ने कुछ लोगों को जोडकऱ पहले चरण में शहर के स्मारकों की दशा सुधारने का संकल्प लिया । नौ दिन पहले 28 सितंबर को बजरंगगढ़ स्थित विजय स्मारक से शुरूआत की गई । सुबह आठ बजे अभियान शुरु हुआ और 30 से अधिक लोगों ने स्मारक की न सिर्फ झाडिय़ां हटाकर साफ सफाई की बल्कि रंग रोगन भी किया। लोगों के चार घंटे के श्रमदान ने स्मारक की काया ही पलट दी। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर अजमेर यूनिक के पदाधिकारी और नागरिक गांधी भवन स्मारक पहुंचे। यहां पांच घंटे से भी अधिक का समय लगा। इस दिन अभियान से कॉलेज और स्कूल की छात्राएं भी जुड़ गई थी। आस-पास से निकलने वाले नागरिकों ने भी सहयोग किया। सबने छोटे-छोटे काम आपस में बांटकर गांधी भवन स्मारक की दशा ही बदल दी। तीन दिन बाद ही 5 अक्टूबर को लोग अजमेर क्लब के पास स्थित ज्योतिबाफूले स्मारक पर पहुंचे। इसके साथ ही अग्रि शमन केंद्र के तीराहे पर स्थित स्मारक की भी कायापल्ट का काम शुरू किया गया। इस दिन श्रमदान करने लोगों की संख्या भी 60 को पार कर गई थी।
श्रमदान के साथ धनदान भी
श्रमदान कर शहर के स्मारकों की कायापल्ट का बीड़ा उठाने वाली अजमेर यूनिक के पदाधिकारियों ने श्रमदान के साथ-साथ इस काम पर होने वाला खर्चा भी अपनी जेब से कर रहे हैं। तीनों स्मारकों की कायापल्ट के काम पर तीस हजार रुपए से भी अधिक खर्च किए जा चुके हैं। संस्था की ओर से बुर्जुगों की पेंशन के लिए यूनिक हेल्प लाइन भी शुरू की गई है।
निगम का सहयोग भी
श्रमदान के इस अभियान में नगर निगम की ओर से भी सहयोग दिया जा रहा है। निगम की ओर से कुछ सफाईकर्मी उपलब्ध कराने के साथ स्मारकों को धोने के लिए अग्रि शमन दस्ते की गाड़ी के माध्यम से पानी भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
बहुत प्रभावित हुआ – उपाध्याय
महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी के निदेशक शोध नवल उपाध्याय का कहना है कि लंबे समय से वो भी ऐसा ही कुछ करने की सोच रहे थे लेकिन कोई मौका नहीं मिल रहा था। वास्तव में यह यूनिक प्रयास है। जब उन्हें इस बात की जानकारी मिली तो वो श्रमदान करने पहुंच गए।
बहुत सुकून मिला – पारीक
शास्त्री नगर निवासी दीलिप पारीक को जब संस्था के बारे में जानकारी मिली तो वो उससे जुड़े बिना नहीं रह सके। पारीक ने तय किया है कि वो हर रविवार को अभियान के लिए पूरा समय निकालेंगे। पारीक का कहना है कि तीनों स्मारकों पर काम करके बहुत सुकून मिला है।
लोग जुड़ रहे हैं – शर्मा
अभियान के प्रोजेक्ट मैनेजर नगर निगम पार्षद जे के शर्मा ने बताया कि प्रयास बहुत सफल रहा। न सिर्फ साफ सफाई हो रही है बल्कि लोगों में जागरुकता भी आ रही है। लोग आगे होकर अभियान से जुड़ रहे हैं। कुछ बुर्जुंग तो ऐसे हैं अपने पोतों को भी साथ ला रहे हैं।
सबका सहयोग मिल रहा है – कंवल प्रकाश
अजमेर यूनिक के अध्यक्ष कंवल प्रकाश तीन स्मारकों की कायापल्ट के बाद बहुत उत्साहित हैं। कंवल प्रकाश ने बताया कि अभियान को आशा से कहीं अधिक सफलता मिली रही है। अभियान को सबका सहयोग मिल रहा है। लोग समय निकाल रहे हैं। खुद भी जागरुक बन रहे हैं और दूसरों को भी कर रहे हैं।
पहले शर्म आती थी- कनिका
स्मारकों पर साफ सफाई में योगदान देने वाली सोफिया कॉलेज की छात्रा कुमारी कनिका का कहना है कि पहले ऐसा सोचकर भी शर्म आती थी लेकिन अब लग रहा है कि यह काम तो मेरे शहर का है, देश का है। इसमें शर्म की बात ही क्या है। जब हम अपने घर को साफ करने की सोचते हैं तो फिर शहर भी तो हमारा ही है।
शहर की सफाई करने का अनुभव ही अलग रहा – अनुष्का
राजकीय महाविद्यालय की छात्रा अनुषा जैन के लिए भी यह पहला मौका था जब उसे शहर की सफाई करने का मौका मिला। अनुष्का कहती है कि पहले दिन चार घंटे साफ सफाई में बिताया तो बहुत थकान महसूस हुई लेकिन दूसरे स्मारक पर किसी भी प्रकार थकान नहीं हुई। इतने लोगों के साथ काम करने का अनुभव ही अलग था। मेरे माता पिता ने भी इस काम के लिए प्रेरित किया।
सारे स्मारकों की सफाई में लगूंगा- नील गांधी
12 वर्षीय नील गांधी स्कूल में पढाई कर रहा है; यूनिक के तीनों अभियानों में उत्साह के साथ भूमिका निभाने वाला नील गांधी कहता है कि हर बच्चे को इससे जुडना चाहिए। इस बहाने एक तो शहर की सफाई में योगदान हो जाएगा और दूसरा शारीरिक तंदरुस्ती भी बनी रहती ह। नील ने निर्णय लिया है कि वो यूनिक के सभी अभियान से जुडकर अपनी सेवा देगा।
हर सहयोग देंगे – सी.आर. मीणा
नगर निगम के सीईओ सीआर मीणा ने अभियान की तारीफ करते हुए कहा कि नागरिकों के जागरुक होने से साफ सफाई से जुड़ी कई तरह की समस्या से निजात मिल जाएगा। नगर निगम की ओर से इस अभियान के तहत जिस तरह का भी सहयोग चाहिए होगा, उसे निगम की ओर से दिया जाएगा।
रविंद्र नाथ टैगोर सर्किल की बारी
12 अक्टूबर को अभियान के तहत पुरानी आरपीएससी स्थित रविंद्रनाथ टैगोर सर्किल की दशा सुधारने का काम होगा। अभियान सुबह साढ1े सात बजे शुरू होगा। अध्यक्ष कंवल प्रकाश ने लोगों से स्मारक पर पहुंचने की अपील की है। अभियान में बंगाली समाज भी जुडेगा।
Good Story…Paricharcha dekh kar acha lga.
I liked it ! It’s nice !
Very good. Many many thankes.