70 हजार मुकदमों का भार मात्र चार सदस्यों पर

राजस्व मंडल के हालात बद से बदतर
revenue board 450अजमेर, (एस. पी. मित्तल): प्रदेश में राजस्व मामलों की सर्वोच्च अदालत राजस्थान राजस्व मंडल में करीब 70 हजार मुकदमें लम्बित है, लेकिन इन मुकदमों का भार मात्र चार सदस्य ही उठा रहे हैं।
राज्य सरकार नें लम्बित मुकदमों की संख्या देखते हुए राजस्व मंडल में बीस सदस्यों के पद स्वीकृत कर रखे हंै।  उनमें से 12 पद रिक्त हैं, जबकि चार सदस्यों का मंडल में होना या नहीं होना बराबर है। मंडल के अध्यक्ष नीलिमा जौहरी की न्यायिक कार्यों में कोई रूचि नहीं है और उनका अधिकांश समय अजमेर की बजाए जयपुर में व्यतीत होता है। इसी प्रकार आईएएस कोटे के सदस्य निरंजन आर्य अपनी नियुक्ति के बाद से ही मंडल में नहीं आए है। दो सदस्य प्रियव्रत पांडे और बी.एल.गर्ग इन दिनों महाराष्ट्र में केन्द्रीय चुनाव पर्यवेक्षक बनकर गए हुए है। ऐसे में सारा भार अशोक सांवरिया, बी.एल.नवल, मोहम्मद हनीफ और एल.डी.यादव पर ही है।
सदस्यों की कमी के चलते ही संभाग स्तर पर लगने वाली सर्किट बैंच को भी बंद कर दिया गया है। इतना ही नहीं राजस्व मंडल में डबल बैंच भी बड़ी मुश्किल से गठित हो पा रही है। जो चार सदस्य काम कर रहे है, वह भी प्रात: साढ़े ग्यारह बजे न्यायालय कक्ष में बैठते है और दोपहर डेढ़ बजे भोजन अवकाश में उठकर चले जाते है। दोपहर बाद राजस्व मंडल में मुकदमों की सुनवाई की परम्परा ही नहीं है। यानि 70 हजार मुकदमों की सुनवाई मंडल के चार सदस्य रोजाना मात्र 2 घंटे करते हैं। उच्च न्यायालय की तरह राजस्व मंडल में भी सप्ताह के पांच दिन कार्य होता है। इन पांच दिनों में भी कई बार सरकारी अवकाश और वकीलों की हड़ताल हो जाती है।
निरीक्षण का कार्य भी ठप : एक ओर जहां राजस्व मंडल में न्यायिक कार्य नहीं के बराबर हो रहा है, वहीं जिला स्तर पर होने वाला प्रशासनिक निरीक्षण का कार्य भी प्रदेश भर में ठप पड़ा हुआ है। परम्परा के अनुसार राजस्व मंडल के सदस्य ही आवंटित जिलों में जाकर प्रशासनिक निरीक्षण का काम भी करते है। चूंकि मंडल में सदस्यों की कमी है इसलिए यह कार्य भी नहीं हो पा रहा है। इसी प्रकार पटवारी, नायब तहसीलदार आदि के विरुद्ध शिकायतों की जांच का काम भी राजस्व मंडल में होता है। प्रदेश भर से पर्याप्त शिकायतों का मंडल में अंबार लगा हुआ है। इन शिकायतों पर भी जांच नहीं हो पा रही है।
सरकार की उपेक्षा : हालांकि राजस्व मंडल से प्रदेश भर के काश्तकार और ग्रामीण प्रभावित होते हैं, लेकिन यही मंडल इन दिनों सरकार की उपेक्षा का सबसे ज्यादा शिकार हो रहा है। संभाग स्तर पर सर्किट बैंच नहीं लगने से प्रदेश भर के ग्रामीण को अब अजमेर स्थित मुख्यालय पर ही आना पड़ रहा है। सरकार को आईएएस, न्यायिक, आरएएस तथा वकील कोटे से सदस्यों की नियुक्ति करनी होती है। सरकार ने एक सप्ताह पहले ही 381 आरएएस की तबादला सूची जारी की है, लेकिन इस सूची में एक भी अधिकारी को राजस्व मंडल में नहीं लगाया है। जिन आईएएस अधिकारियों को मंडल में नियुक्त किया जाता है, वह नियुक्ति के साथ ही अपने तबादले के जुगाड़ में लग जाते है। इसका ताजा उदाहरण निरंजन आर्य का है। कांग्रेस के शासन में आर्य मुख्यमंत्री गहलोत के सचिव रहे, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद ही आर्य राजस्व मंडल का सदस्य बना दिया। यही वजह है कि नियुक्ति के साथ ही आर्य तबादले की जुगाड़ में लग गए। यह बात अलग है कि वसुंधरा राजे के शासन में आर्य को सफलता नहीं मिल रही है।

एस.पी.मित्तल
एस.पी.मित्तल

अजमेर में रहने वाले अधिकारी इच्छुक: यूं तो कोई भी प्रशासनिक अधिकारी राजस्व मंडल में नियुक्त नहीं होना चाहता है, लेकिन जो अधिकारी अजमेर में ही नियुक्ति चाहते हैं और मंडल का सदस्य बनने के इच्छुक है। इनमें सुश्री रेणू जयपाल, विनिता श्रीवास्वत, सी.आर.मीणा, इन्द्रसिंह रावत, स्नेहलता पंवार और लालाराम गूगरवाल आदि शामिल हैं।

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