कौन बनेंगे शहर का सितारे, दोनो दलों के जल्द खुलेंगे पिटारे

जाति के आधार पर तय होंगे वार्ड के उम्मीद्वार?

नगर परिषद ब्यावर। फोटो:- नरेश बोहरा
नगर परिषद ब्यावर। फोटो:- नरेश बोहरा

ब्यावर, (हेमन्त साहू) । शहर मे निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी से टिकट चाहने वाले सैकडो संभावित प्रत्याशी शहर के 45 वार्डो मे से अपने- अपने वार्ड से टिकट को लेकर अपने नेताओ की जी हुजुरी कर रहे है। कई वार्डो मे तो कई आवेंदक पार्टी द्वारा टिकट नही देने पर उसी पार्टी के उम्मीदवार को पटखनी देने के लिए चुनाव लडने की चैतावनी दे रहे है। आज या कल मे दोनो दलो की तस्वीर साफ हो जायेगी। और लोगो द्वारा झुठी अफवाह की भ्रमित करने वाली खबर देने वालो को जवाब मिल जायेगा। शहरी निकाय में बेशक महिलाओं को आरक्षण देने की वकालत की जाती रही हो, लेकिन पार्टियों के पास शिक्षित महिलाओं के चेहरे नहीं है। कांग्रेस-भाजपा दोनो पार्टियां इस बात को स्वीकार करती है। यह हाल उन वार्डों का भी है, जहां रिजर्व सीट होने के कारण राजनैतिक क्षैत्र मे अनुभवी प्रत्याशीयो की कमी
ऐसे इन नेताओं के चुनकर आने पर पांच साल क्षेत्र की जनता को मुसीबतों को सामना करना पड़ता है। पार्षद के सक्रिय नहीं रहने के कारण वार्डों में समस्याओं का अंबार लग गया। ऐसे ही कुछ वार्डों का हाल जानने की कोशिश की तो सामने आया है कि पांच साल में आम जनता को गलियों से कचरा उठाने के लिए अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़े। घरेलू कामों में व्यस्त रहने वाली महिला पार्षदों ने क्षेत्र की समस्याओं से बेरूखी रखी।
राजनैतिक दलो के नेंताओ का तो साफ कहना है कि कई सीटों में तो महिला उम्मीदवार नहीं मिलते है, ऐसे में नेताओं की पत्नियों को टिकट देने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं होता है यही हाल दोनो दलो में भी है जहां नेता अपनी पत्नियों को टिकट दो दिला लाते है लेकिन उनका राजनीतिक अनुभव कम होने के कारण क्षेत्र की समस्याओं को साधारण सभा में उठा तक नहीं पाती है ऐसे में क्षेत्र के प्रतिनिधित्व नहीं मिलने का खामियाजा पांच साल तक क्षेत्र की जनता को भुगतना पड़ता है।

मैडम खाना बना रही है, कोई काम हो तो मुझे बताइए
मैडम सत्संग में है। कुछ काम हो तो मुझसे कहिए, मैडम घर में है, मोबाइल मेरे पास है। जी, मैं मैडम के घर से बोल रहा हुं, पर बात नहीं करा सकता ह, ु मैडम खाना बना रही है, अभी बात कराता हूं, यदि कोई काम हो तो मुझे बताईए, ं आप जो काम हो मुझसे कहिए। मैडम, नहीं परिषद का काम हो तो मुझसे बात कीजिए। शहर में पांच साल में लगभग एक दर्जन से ज्यादा वार्डों में महिला पार्षद की बजाए उनके पत्तियों की सक्रियता के कारण लोगों को यही जुमले सुनने को मिले। वार्डों में विकास कार्य करवाने के लिए उनके पत्तियों, रिश्तदारों और संग संबंधियों के जनता चक्कर लगाती रही है। वहीं जनता ने महिला पार्षद के दर्शन वार्ड में कभी-कभार किए ऐसे में अब जनता के मन में सवाल उठ रहा है कि नेताओं की पत्नियों को टिकट देने में पार्टिया आगे रहती है ऐसे में उनकी योग्यता क्यो नहीं जांची जाती है इस वजह से ऐसे पार्षदों के जीत के आने से पांच साल आम जनता को परेशानियोंका सामना करना पड़ता है।

पार्षद पति रहे ज्यादा सक्रिय
शहर के 45 वार्डो मे से करीब 23 महिलाए पार्षद बन कर नगर परिषद पहुची। लेकिन राजनीतिक अनुभव मे कमी होने के कारण इन महिला पार्षदो की भुमिका को उनके पतियो ने अपनी पत्नि सहायक बन कर पार्षद धर्म निभाया है। नगर परिषद या किसी फार्म मे हस्ताक्षर तक का कार्य अपनी पत्नि के हस्ताक्षर कर पार्षद पद पर सवालिया निशान ख्सडा किया है। शहर की नगर परिषद के 5 वर्षीय कार्यकाल मे महिला पार्षदों के पत्ति ज्यादा सक्रिय रहे।

अबकी बार क्या होगा

हेमन्त साहू
हेमन्त साहू

चुनाव से पहले टिकट चाहने वालो मे पुर्व पार्षदो की बडी जमात पुन: टिकट पाने के नेताओ की देहरी ढोक रहे है। इस बार ओबीसी जाति वर्ग की महिला सभापति के नाम लॉटरी खुलने पर कई नेता अपनी बीवी के लिए टिकट की मांग कर रहे है। ओबीसी वर्ग की हर जाति के लोग सभापमि के सपने संजोते हुए दोनेा दलो द्वारा टिकट नही देने पर भी नीर्दलीय खडे हो कर बहुमत की गणित के सुत्रधार बनने की तैयारी कर बैठे है। शहर की राजनिती मे अफवाहो का बाजार गर्म है। यह भी सुना गया है कि कल तक कोने मे बैठे नेता टिकट दिलाने का झांसा देकर टिकट चाहने वालो को मुर्ख बना रहे है। जबकि भाजपा व कांग्रेस के टिकट तय करने वाले नेता यह बाट जोह रहे है कि पहले प्रत्याशियो की लिस्ट कौन जारी करे। जो भी दल पहले सुची जारी करेगा। उसी सुची के अनुरुप दुसरा दल बनी बनाई सुची में परिवर्तन कर मजबुत प्रत्याशी को सुची मे जोडेगा। जो भी होगा आज व कल मे सब स्पष्ट हो जायेगा।

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