खबरों की दुनिया में अब सोशल मीडिया का भी अहम रोल हो गया है। इसका ताजा उदाहरण अजमेर के सांसद और केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री सांवरलाल जाट का अपना ही निर्णय बदलना पड़ा है। सब जानते है कि जाट ने अजमेर जिले के पीसांगन कस्बे को गोद लेने की घोषणा की थी। जाट की इस घोषणा पर मैंने 8 नवम्बर को सोशल मीडिया पर अपना एक लेख जारी किया। वाट्स-एप और फेसबुक आदि पर प्रसारित इस खबर में कहा गया है कि जाट ने पहले से ही विकसित पीसांगन को गोद लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अनुरूप कार्य नहीं किया है। सोशल मीडिया की इस खबर पर प्रमुख टिप्पणी कर डी.एल.त्रिपाठी, डॉ. यतेन्द्र सिंह, सतेन्द्र कुमार, कोसिनोक जैन आदि ने सांसद के कृत्य को उचित नहीं माना। सोशल मीडिया के जरिए ही जाट पर जो दबाव बना उसकी वजह से ही जाट को पीसांगन के बजाए कालेसरा गांव को गोद लेने की घोषणा करनी पड़ी। यानि सोशल मीडिया ने केन्द्रीय मंत्री का निर्णय बदलवा दिया। हालांकि सोशल मीडिया पर प्रसारित खबर की तर्ज पर ही 11 नवम्बर को राजस्थान पत्रिका में खबर प्रकाशित हुई। पत्रिका ने 12 नवम्बर के अंक में कालेसरा गांव के गोद लेने की खबर प्रकाशित की। लेकिन 8 से 10 नवम्बर तक यह खबर सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बनी रही। -(एस.पी.मित्तल)