आखिर नाचना इनका ही अधिकार है

goyal-gehlotअपना अजमेर समस्याओं से मुक्त हो चुका है। यहाँ अब सब कुछ व्यवसि्थत है। तभी तो व्यवस्थाओं को बनाए रखने मे सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जिला कलक्टर गौरव गोयल और मेयर धर्मेन्द् गहलोत मस्ती से झूम रहे हैं। आम तौर पर नृत्य इँसान की वह मुद्रा माना जाता है, जिसमें वह बहुत आनन्द मे होता है। उसे कोई फिक्र नहीं होती। उसके साथ और आसपास सब कुछ अच्छा ही अच्छा घट रहा होता है। इस लिहाज से कलक्टर और मेयर का झूमना वाजिब है। आखिर स्वतंत्रता दिवस के राज्य स्तरीय समारोह के बाद मुख्यमंत्री गदगद होकर अजमेर से लौटी थी। गोयल तो सीएम की सँतुषि्ट की परीक्षा मे टापर रहे ही थे। अजमेर को गँदा शहर बताने वाली सीएम उनके आने पर दो तीन दिन हुई सफाई को ही सच मान इसकी तारीफ कर गहलोत को भी टेँशन फ्री कर गई थी। इसलिए वो भी नाच सकते हैं। अब इससे क्या फर्क पडता है कि गन्दगी फिर शहर की पहचान बनने लगी है। सडको पर इँसानोँ जितने ही जानवर दिख रहे हैं। अतिक्रमी और अतिक्रमण फिर अपनी औकात पर आ गए है। जाम यातायात से पैदल गुजरना भी मुहाल है। लाखों रूपए खर्च कर लगाई गई रेडिमेड हरियाली सूखकर बिखर चुकी है। रातों रात बनाई गई सडके फिर गड्ढो मे बदल चुकी है। नई लगाई गई हेरिटेज लाइटे जलने से ज्यादा बन्द रहती हैं। लेकिन अब इनकी सुध लेने की जरूरत क्या है? सीएम तो अब यह देखने वापस आनी नहीं और अजमेर के लोग तो ऐसे ही नरक मे जीने के आदी है।

ओम माथुर
ओम माथुर
अगर इन समस्याओं से उन्हें स्थाई छुटकारा दिला दिया तो क्या जनता नहीं नाचने लगेगी। अब कहने को भले ही लोकतंत्र जनता का,जनता के द्वारा ,जनता के लिए हो। लेकिन इसमें निँशिचत और मस्त रहकर नाचने का अधिकार तो नेताओं और बडे अफसरों का ही हैं। इसलिए आप समस्याओं और खुद को कोसते रहिए और इन्हें ऐसे ही नाचते रहने दीजिए। Please dont Disturb.

1 thought on “आखिर नाचना इनका ही अधिकार है”

  1. Sir ,thy hve also their personal life it is not necessary tht thy always work, thy r also human being so pls stop all dis, there r mny things for media to work rather than this

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