जाते-जाते भी फायदा दे रहे हैं बीएसएनएल को श्रीवास्तव

अजमेर बीएसएनएल के सीनियर जनरल मैनेजर अनुपम श्रीवास्तव का चयन बीएसएनएल के नेशनल मोबाइल डायरेक्टर के लिए हो चुका है। लिहाजा एक-दो महीने में श्रीवास्तव दिल्ली के लिए प्रस्थान कर जाएंगे। मगर श्रीवास्तव की मेहनत और अनुभव का लाभ अजमेर बीएसएनएल को जाते-जाते भी हो रहा। अजमेर बीएसएनएल का चयन बेहतरीन जीएसएम सेवाओं के लिए स्वर्ण पदक दिए जाने के लिए हुआ है।
आज के दो साल पहले तक अजमेर बीएसएनएल की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। यहां के पूर्व मिजाजी जीएम महेंद्र कुमार वाधवा का व्यवहार और कार्यशैली न तो अजमेर के आमजन को फायदा दे पाई थी न ही बीएसएनएल के अफसर और कर्मचारी उनके व्यवहार से संतुष्ट थे। मगर उनका तबादला होने के बाद बीएसएनएल की मानो तस्वीर ही बदल गई। तत्कालीन केंद्रीय सूचना एवं प्र्रौद्योगिकी राज्य मंत्री सचिन पायलट की पसंद से अजमेर लगाए गए श्रीवास्तव ने अजमेर में पायलट की ओर से उद्घाटित की गई अंतराष्ट्रीय स्तर की सेवाओं का शुभारंभ करवाया। यह कार्य आसान नहीं थे, मगर पूरे हो गए। इसके लिए भरपूर मेहनत और टीम भावना के साथ काम किया गया था। बीएसएनएल मुख्यालय की ओर से एक साल में चार दफा समीक्षा की जाती है और श्रेष्ठ सकिलों को सम्मानित किया जाता है। पिछले वित्तीय वर्ष में चार समीक्षाओं में अजमेर बीएसएनएल तीन में अव्वल रहा यानी कि अजमेर बीएसएनएल को एक साल में तीन स्वर्ण पदकों से नवाजा गया। एक स्वर्ण पदक भीलवाड़ा सर्किल के नाम रहा। मगर जब भीलवाड़ा सर्किल के कार्यों का सुधार प्रदेश पटल पर आया, तब भी वहां अजमेर के सीनियर जनरल मैनेजर अनुमप श्रीवास्तव के ही हाथों में वहां की बागडोर थी। वित्तीय वर्ष 2012-13 के अप्रैल से जून तक की की गई समीक्षा में अजमेर बीएसएनएल को स्वर्ण पदक के लिए चुना गया है। आंकलन में 97.5 प्रतिशत सेवाएं देते हुए अजमेर अव्वल रहा। अजमेर में जीएसएम संबंधित कार्यों के लिए डीजीएम रविंद्र सिंह जाखड़ की देखरेख में एक टीम काम कर रही है। यह टीम छुट्टियों के दिन भी खासतौर पर नेटवर्क संबंधी कार्य करती है। इसी कारण नेटवर्क व्यवस्था कायम रह सकी। यही नहीं अजमेर बीएसएनएल के ही एजीएम जीएस छाबड़ा और ईश्वर को संचारश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है। पूरे प्रदेश में श्रेष्ठ सेवाओं के लिए चुने गए 9 अफसरों में से 2 अफसर अजमेर के हैं। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर श्रीवास्तव अजमेर सर्किल को जाते-जाते भी अपने अनुभव और कार्यशैली का लाभ दे रहे हैं। श्रीवास्तव के नेशनल मोबाइल डायरेक्टर पद के लिए चयन के बाद से ही बीएसएनएल के अफसरों एवं कर्मचारियों में चर्चा है कि क्या अजमेर को वापस ऐसे काबिल अफसर मिल जाएंगे? इस सवाल का जवाब तो श्रीवास्तव के बाद आने वाले जीएम की कार्य क्षमता के जौहर को देखने के बाद ही मिल जाएगा। मगर एक बात जाहिर है कि सचिन पायलट के संसदीय क्षेत्र में काम चलाऊ अफसरों का टिकाव ज्यादा नहीं हो सकता, क्योंकि यहां की छोटी से छोटी खामी को पायलट तक पहुचंने में देरी नहीं लगती। पायलट भी अपने क्षेत्र में खामियों को बर्दाश्त नहीं करते। ऊपर से ए रेंक से लेकर जेड रेंक के कांग्रेसियों का दबाव भी अफसरों पर कम नहीं होता, क्योंकि इस दफ्तर में आने वाला प्रत्येक कांग्रेसी अपने आपको पायलट का खास बताने में कोई कमी नहीं छोड़ते।
-तेजवानी गिरधर

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