संघर्ष की आंच से तपता जगमग जीवन

d l triphatiवृद्धावस्था को लेकर यह अक्सर कहा जाता है कि यह मनुष्य की सोच मात्र है कि वह कब अपने आपको उम्रदराज़ मानना शुरू कर दे। आजकल अपने को युवा मानकर बढ़ती उम्र को चुनौती देने वाली कई शख्सियत हमे दीख जाती हैं।उनका यौवन उनकी दिनचर्या में योगा या मॉर्निंग वाक में संवरता दीखता है। हमारे आत्मीय डी एल त्रिपाठी उनमे से भी बिरले वो शख्सियत हैं जिनकी ऊर्जा सामाजिक संघर्षो को प्रज्वलित करती है और उसकी आंच से तपकर उनका जीवन जगमगाता दिखाई देता है।
मानवाधिकार आंदोलनएश्रमिक संघर्षएनागरिक सहभागिताएसहकारिता व अनेक क्षेत्रो से जुड़े त्रिपाठी जी 10 दिसंबर को अपनी आयु के 80 वर्ष पूर्ण कर रहे हैं। 10 दिसंबर अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस भी होता है।यह एक सुखद संयोग है कि उनका जीवन जिस तप से जगमगाता हैए उसे दुनिया उसी दिवस के रूप में मनाती है। पी यू सी एल के पिछले 20 वर्ष से हर संघर्ष से जुड़े त्रिपाठी जी न केवल अपनी लेखनी बल्कि ज़मीनी लड़ाई में भी नौजवान कार्यकर्ता की तरह जूझते हैं। कई बार ग्रामीण इलाकोएकच्ची बस्तियों व उबड़ खाबड़ सड़को पर हमे डर लगता है कि कही वो गिर ना जाएं पर कोई उन्हें हाथ का सहारा दे उन्हें गंवारा नही होता। उलटे अधिकतर वो हम सबकी चिंता करते नज़र आते हैं। दरअसल संघर्ष से गुजरने का बीज उनके संवेदनशील ह्रदय में पड़ा हुआ है। उनके ह्रदय में हरेक के लिए अपनापन हैएहरेक की चिंता और हरेक के लिए शुभकामना है।
पी यू सी एल से पहले उन्होंने आजीवन बीमाकर्मियों के लिए संघर्श किया व श्रमिक आंदोलन को सशक्त बनाया। ।प्म्।। के राष्ट्रीय नेताओ में शामिल त्रिपाठी जी ने सेवानिवृति पश्चात व्यापक मुद्दों से जुड़ना तय किया। सूचना का अधिकार आंदोलन से लेकर रोजी रोटी के हर संघर्श में वे शामिल होते गए। अजमेर में प्रबुध् नागरिको की प्रतिष्ठित संस्था अजमेर में प्रबुध् नागरिको की प्रतिष्ठित संस्था सिटीज़न्स कौंसिल में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है तो अपने गाँव भिनाय में विकास मंच के वो अभिभावक हैं। यही नही अपनी कॉलोनी की स्थापना की संकल्पना से लेकर आज उसके सञ्चालन में भी वो 40 50 वर्ष से सक्रिय हैं।
संघर्षो के बीच उनकी संजीदगी लाजवाब है। अपनी बातो को तर्कों के साथ रखते हुऐ उन्हें उकसाने पर भी कभी उग्र होते नही देख सकते। उनका यह आत्मबल सामने वाले को परास्त करने क्षमता रखता है।
जीवेम शरदः शतम् हमारी सांस्कृतिक संकल्पना है। हम त्रिपाठी जी को इस संकल्पना के साथ वैसा ही सशक्त देखना चाहते हैं एजैसा उन्हें देखने की आदत हो गयी है।
हम सब उनके जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर 9 दिसम्बर को 330 बजे इंडोर स्टेडियमएपटेल मैदान में एक अभिनन्दन कार्यक्रम आयोजित करने जा रहे है। औपचारिकताऒ से अलग यह कार्यक्रम उनसे जुड़े हर व्यक्ति की आत्मीयता प्रादर्शित करने का अवसर है। आप अवश्य पधारें।

अनंत भटनागर

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