राजस्थान के उपचुनाव में क्यों नहीं आये केंद्रीय नेता

राजेश टंडन एडवोकेट
राजेश टंडन एडवोकेट
राजस्थान में तीन उपचुनाव में एक भी कद्दावर नेता नहीं आया केवल एक आद छुटभैये स्तर के नेताओं को जो नौकरशाह थे और जातिय आधार पर राजनीति में आये और बिल्ली के भाग का छींका फूटा और वो किसी थके हुऐ विभाग के राज्य मंत्री बना दिये गये केवल वो ही आये ,
नरेन्द्र मोदी , राजनाथ सिंह , सुषमा स्वराज , जैटली साहब , अमित शाह आदि जैसा बडा नेता एक भी नहीं आया और ना ही उन्होंने आने में कोई रुचि दिखाई , उनकी देखा देखी और भी क्ई आमंत्रित नेता और संगठन के प्रमुख नेता जैसे ओम माथुर , भूपेन्द्र
यादव , जयप्रकाश गोयल आदि कोई भी नहीं आये जबकि सरकार ने बुलाने में मान मनवार में कोई कसर नहीं छोडी पर केंद्र सरकार का कोई प्रमुख व्यक्ति नहीं आया , वैसे भी परनामी जी के बुलाने से तो कोई आता भी नहीं और ना ही उनकी इतनी हैसियत है कि वो किसी को बुला लें ,
अब सवाल उठता है कि उपरोक्त लोग क्यों नहीं आये मेरी पुख्ता जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसियों ने सरकार को पहले आगाह कर दिया था कि राजस्थान के हालात ठीक नहीं हैं वहां आप बुरी तरह से हार रहे हो , टिकट ठीक नहीं दिये गये हैं टिकटों को लेकर बहुत असंतोष है , कार्यकर्ता व जनता बहुत नाराज है , अलवर में बालक नाथ को और अजमेर में B P सारस्वत को टिकट दिया जाता तो बात बनती और ऐसे ही भीलवाड़ा में भी असंतोष है सिर्फ महारानी जी ने अपनी मन मर्जी की है इसलिए हार सुनिश्चित है , आपको नहीं जाना चाहिए हमारी तो यह सलाह है आगे आप मालिक हो जा कर अपनी इज्ज़त मत खराब करवाओ , जब केंद्रीय नेतृत्व ने हाथ खींचा तो नखराली R S S ने भी हाथ खींच लिया , क्योंकि R S S को भी पता है हमारी मान मनवार तो चुनाव में ही होती है और इन दिनों भाईसाहब लोग भारी हो जाते हैं और तख्त पर बैठ कर क्ई शर्तें रख देते हैं , और महारानी जी का मानना है कोई शर्त होती नहीं …….राजनीति में और महारानी जी शर्तें मानने की आदी भी नहीं हैं , उन्होंने अपने पीहर मैं , बालासाहब देवरस , कुशाभाऊ ठाकरे , दतोपंत ठेगंडी , नाना जी देशमुख आदि को बहुत करीब से देखा और संघ की ग्वालियर राजघराने ने आर्थिक मदद उस जमाने की है जब बहुत ही संघर्ष का दौर था इसलिए महारानी जी छुटभैये भाई साहबों की परवाह भी नहीं करती , उन्हें पता है जब तक मोहन भागवत जी बैठे हैं उनको कोई भी नहीं छेड नहीं सकता और इसलिये नरेंद्र मोदी व अमित शाह ने राजस्थान में रुचि लेना छोड़ रखा है , कि वसुंधरा राजे डूबेगी तो खुदके भाग्य से या चुनाव से ही डूबेगी हमारे हाथ में जब तक मोहन भागवत जी हैं तब तक कुछ नहीं है इसलिये वो लोग नहीं आये …….जय श्रीराम,
राजेश टंडन वकील अजमेर ।

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