आखिर तीर्थ पुरोहित संघ के प्रतिनिधियों के साथ ही क्यों किया भेदभाव

◆ *राष्ट्रपति की पुष्कर यात्रा के दौरान प्रशासन ने आखिर तीर्थ पुरोहित संघ के प्रतिनिधियों के साथ ही क्यों किया भेदभाव •••••*

◆ *जब कि दरगाह जियारत के दौरान दोनों अंजुमन कमेटी के सदस्यों के अलावा कुछ अन्य खादिमो को भी जारी कर दिए गए पास ••••*

राकेश भट्ट
14 मई को अपनी एक दिन की धार्मिक यात्रा पर आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की यात्रा के दौरान जिला प्रशासन का दोहरा चरित्र देखने को मिला । अजमेर यात्रा के लिए आये राष्ट्रपति कोविंद पूजा अर्चना करने के लिए घुघरा हेलीपेड से सीधे पुष्कर सरोवर के ब्रम्ह घाट पहुंचे । जहां पुष्कर के विधायक और संसदीय सचिव सुरेश सिंह रावत और पुष्कर नगर पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक ने उनकी अगवानी की ।
लेकिन ताज्जुब की बात यह रही कि राष्ट्रपति जी के पुष्कर तीर्थ में और वो भी सरोवर के घाट पर पधारने के बावजूद यहां पर 5 हजार पुरोहितों का नेतृत्व करने वाली संस्था तीर्थ पुरोहित संघ ट्रस्ट के एक भी पदाधिकारी को राष्ट्रपति जी का स्वागत करने की अनुमति आला प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा नही दी गई । पुरोहित संघ के संयोजक पंडित श्रवण पाराशर की माने तो उन्होंने स्वयं जिला कलेक्टर आरती डोगरा और जिला पुलिस कप्तान राजेन्द्र चौधरी से पास जारी करवाने की बात कही थी । लेकिन किसी ने भी पुरोहितों की संस्था के एक भी व्यक्ति को स्वागत करने का मौका देना जरूरी नही समझा ।
एक तरफ पुष्कर यात्रा के दौरान पुरोहित संघ के लोगो को राष्ट्रपति के पास भी जाने की अनुमति नही थी वही दूसरी तरफ अजमेर स्थित ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में राष्ट्रपति की जियारत के दौरान अंजुमन सैय्यद जादगान और अंजुमन शेख जादगान दोनो के 5 – 5 प्रतिनिधियों को प्रशासन द्वारा पास जारी किए गए । इतना ही नही कुछ अन्य खादिम जो किसी भी संस्था से नही थे उन्हें भी पास दिए गए । जिला प्रशासन द्वारा किये गए इस भेदभाव पूर्ण व्यवहार से पुष्कर के तीर्थ पुरोहितों में खासा गुस्सा और नाराजगी है ।
मेरा मानना है कि इसके लिए जितने जिम्मेदार प्रशासन के आला अधिकारी है उतने ही जिम्मेदार यहां के जनप्रतिनिधि भी है । यदि संसदीय सचिव रावत जिला प्रशासन पर दबाव डालते तो शायद प्रशासन पुरोहितों की ऐसी उपेक्षा करने की हिमाकत नही कर सकता था । लेकिन जो भी हुआ उससे अच्छा संदेश नही गया ।
बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन के अधिकारियों की नजर में हजारो पुरोहितों का नेतृत्व करने वाली रजिस्टर्ड संस्था भी कोई अहमियत नही रखती , क्या संस्था का एक भी प्रतिनिधि इस काबिल नही की राष्ट्रपति जी का स्वागत कर सके या फिर यह सब पुरोहितों की भावनाओ को ठेस पहुंचाने के लिए किया गया । जब दरगाह में लगभग 15 खादिम उनकी अगवानी करके जियारत करवा सकते है तो यहां भी तीर्थ पुरोहितों को उचित महत्व दिया जाना चाहिए था ।

*राकेश भट्ट*
*प्रधान संपादक*
*पॉवर ऑफ नेशन*
*मो 9818171060*

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