खांचों में लगे पुलिस अफसरों में निर्वाचन आयोग के निर्देश से खुशी की लहर

केन्द्रीय निर्वाचन आयोग के आदेश से 30 जून तक पालना रिपोर्ट मांगी है, 3 साल या अधिक समय से एक स्थान पर जमे अफसरों के तबादले होंगे, इस निर्देश से पिछले काफी समय से ठण्डे बस्तों में खांचों में लगे पुलिस अफसरों में खुशी की लहर दौड़ गई है, पूर्व डीजीपी आदरणीय मनोज भट्ट साहब अपने कार्यकाल में जिन अफसरों को लगा गए थे उनके बाद आज तक दो डीजीपी लग गए परन्तु ट्रान्सफर लिस्ट निकालने का साहस नहीं कर पाए या फिर सरकार ने उनको अनुमति ही नहीं दी। कुछ अधिकारियों के प्रमोशन हुए डेढ वर्ष हो गए परन्तु वो आज भी लाचारी की स्थिति में वहीं पर बैठे हैं जहां उनका प्रमोशन हुआ था और कुछ बहुत ही मलाईदार पदों पर बैठे हैं जहां से प्रमोशन हुए बाद भी सरकार की असीम कृपा से आज तक विराजमान हैं और जिनके प्रमोशन हुए थे वो योग्य अफसर अपनी प्रतिभा का कहीं प्रदर्शन ही नहीं कर पाए और राजस्थान सरकार और जनता को उनकी प्रतिभा का कोई लाभ नहीं मिला और उनका तो रिटायरमेंट भी आ गया अब ना तो उनकी पोस्टिंग होगी और ना ही उन्हें कोई जिम्मेदारी का पद दिया जाएगा, बस नेम प्लेट पर ही पद शोभित होगा।*

*पुलिस महकमे से जुड़े अफसरों जैसे रेन्ज आई.जी, डी.आई.जी, एस.एस.पी., एडीशनल एस.पी., सब-डिविजनल हैड आॅफ पुलिस, एस.एच.ओ., इन्सपेक्टर, सब इन्सपेक्ट, आर.आई स्तर के अधिकारी जो सुरक्षा के जिम्मेदार होंगे उन्हें वर्तमान पदस्थापन से हटाया जाएगा, सब-इन्सपेक्टर और उससे ऊपर के अधिकारी अपने गृह जिले में पदस्थापित नहीं रह पाएंगे, पुलिस विभाग पिछले काफी समय से लकवाग्रस्त पड़ा था इस आदेश से एक नई ऊर्जा का पुलिस अफसरों में संचार होगा क्यों कि शासन सचिवालय के प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी आदरणीय तन्मय कुमार जी की इच्छा के बिना राजस्थान सरकार में और पुलिस विभाग में एक पत्ता भी नहीं हिलता है और वो जब आदेशित करते हैं तभी आई.पी.एस., आर.पी.एस. स्तर के अधिकारियों के स्थानान्तरण होते हैं इस विभाग के प्रमुख तो केवल मात्र काउन्टर साईन करते हैं उनकी और गृहमंत्री की भी इस प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं होती है, पुलिस अधिकारी जो खांचों में और ठण्डे बस्तों में लगे हुए थे वो एक र्निही प्राणी की तरह पड़े थे और गुड गर्वेनेन्स और अपने अच्छे समय की बाट जो रहे थे परन्तु गृह मंत्रालय और पुलिस मुख्यालय के कान पर जूं भी नहीं रेंग रही थी वो भी सीएमओ की तरफ बड़ी लाचारी से देख रहे थे क्यों कि उनके भी अस्तित्व का सवाल था राजस्थान पुलिस के अधिकारी उनकी लाचारी को समझ ही नहीं पा रहे थे और बार-बार अपनी दाद फरियाद उनसे कर रहे थे परन्तु वो यह कहने की भी हैसियत में नहीं थे कि हमारी कुछ नहीं चलती।*

*अब केन्द्रीय निर्वाचन आयोग के आदेश से 30 जून 2018 तक हर हालत में स्थानान्तरण करने पड़ेंगे और उसकी पालना रिपोर्ट राजस्थान निर्वाचन विभाग और केन्द्रीय निर्वाचन विभाग को करनी पड़ेगी इससे पुलिस अधिकारियों में एक नई ऊर्जा का संचार होगा। यह राजस्थान पुलिस से लिए एक सुखद निर्वाचन आयोग का निर्णय होगा।*

राजेश टंडन, वकील, अजमेर

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