हेमाद्रि स्नान में पंडितों की अरुचि बेहद चिंताजन

◆ *रक्षा बंधन पर्व पर पुष्कर में सम्पन्न हुआ हेमाद्रि ( श्रावणी ) स्नान , साढ़े पांच हजार तीर्थ पुरोहितों की नगरी में केवल 179 ब्राम्हणो ने किया वैदिक विधि विधान से स्नान •••*

◆ *ब्राम्हणो के लिए सबसे श्रेष्ठ माने जाने वाले हेमाद्रि स्नान में पंडितों की अरुचि बेहद चिंताजनक , पुरोहित समाज को आत्म मंथन करने की जरूरत ••••*

राकेश भट्ट
आज सावन पूर्णिमा और रक्षाबंधन के पर्व पर धार्मिक नगरी पुष्कर में स्थित पवित्र सरोवर पर वैदिक विधि विधान से हेमाद्रि ( श्रावणी ) स्नान सम्पन्न हुआ । प्राचीन वेद पुराण और शास्त्रों में तीर्थ पुरोहितों एवं समस्त ब्राम्हण समाज के लिए हेमाद्रि स्नान को सबसे श्रेष्ठ बताया गया है । पूरे साल भर में केवल एक दिन रक्षाबंधन पर होने वाले इस स्नान के बारे में धार्मिक मान्यता है कि सालभर के दौरान किसी भी ब्राम्हण , पंडित या पुरोहित द्वारा जाने अनजाने में जो भी पाप कर्म होते है या अज्ञानतावश कोई त्रुटि रह जाती है तो उसका प्रायश्चित करने , उस दोष से मुक्त होने और पूनः शुद्ध होने के लिए प्रत्येक ब्राम्हण को यह स्नान करना जरूरी है । खासकर उन ब्राम्हणो के लिए तो यह अति आवश्यक है जो पूजा पाठ और कर्मकांड करके दान दक्षिणा लेकर अपनी आजीविका चलाते है ।

परंतु दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि पिछले कुछ सालों से लगातार इस स्नान में शामिल होने वाले ब्राम्हणो की संख्या में तेजी से कमी आ रही है । खासकर युवा तीर्थ पुरोहित इसमे शामिल होने से कतरा रहे है । आपको बता दें कि पुष्कर तीर्थ में साढ़े पांच हजार तीर्थ पुरोहित रहते है और लगभग डेढ़ हजार अन्य ब्राम्हण परिवार है जो घाट पर पूजा पाठ नही करवाते परंतु पुष्कर में निवास करते है । आपको जानकर हैरानी होगी कि सात हजार ब्राम्हण एवम तीर्थ पुरोहितों की नगरी पुष्कर में आज केवल 179 लोगो ने ही हेमाद्रि स्नान में हिस्सा लिया । आज पंडित सूरज नारायण जोशी के आचार्यत्व में राम घाट पर हुए स्नान में 58 लोगो ने , पंडित रामस्वरूप जोशी के आचार्यत्व में ब्रम्ह घाट पर 44 लोगो ने , पंडित सत्यनारायण , रवि कांत शर्मा के आचार्यत्व में वराह घाट पर 24 लोगो ने और पंडित ब्रजेश शास्त्री के आचार्यत्व में वेद विद्यालय के छात्रों के अलावा स्थानीय कुल 53 लोगो ने इस स्नान में हिस्सा लिया । वेदपाठी बालको को छोड़ दे तो चारो घाट पर हुए इस महास्नान में केवल 179 लोगो ने हिस्सा लिया , इसमे भी तीर्थ पुरोहित की संख्या 132 है । जो बेहद चिंताजनक और चौकाने वाली बात है ।

हमारे प्राचीन शास्त्रों में ब्राह्मणों का त्यौहार रक्षाबंधन , क्षत्रियों का दशहरा , वैश्य समाज का दीपावली और दलितों का त्यौहार होली बताया गया है । परंतु अब ब्राम्हण समाज अपने इस सबसे महत्वपुर्ण त्यौहार से दूर होने लगा है । उन्होंने इसे केवल औपचारिकता मानकर बहनो से राखी बंधवा लेने तक सीमित कर दिया है जो बेहद गलत सोच है । यदि ब्राम्हण ही अपने कर्म से विमुख हो जाएगा , अपने त्यौहार के प्रति जागरूक नही रहेगा , हेमाद्रि स्नान में हिस्सा लेकर जाने अनजाने किये गए पाप कर्मों से मुक्ति नही पायेगा तो समाज और देश को दिशा कौन देगा । वैसे भी आरक्षण के जिन्न ने ब्राम्हणो की सरकारी नॉकरीयां छीन ली है । अब यदि ब्राम्हण अपने पौराणिक कर्म कांड और संस्कृति से भी दूर हो जाएंगे तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाला समय हम सभी के लिए कितना कठिन होगा ।

मुझे मालूम है कि आज इस ब्लॉग को पढ़ने के बाद ज्यादातर लोग मुझ पर गुस्सा होंगे , मेरी आलोचना भी करेंगे । परंतु सच्चाई हमेशा कड़वी होती है और इसे जितनी जल्दी स्वीकार कर ली जाए उतना ही अच्छा है । आज बड़ा सवाल यह है जी जब हम भोजन के निमंत्रण पर हजारो की संख्या में कही भी , कभी भी , किसी भी समय एकत्रित हो सकते है तो अपने सबसे बड़े पर्व के सबसे महत्वपूर्ण स्नान पर क्यों नही हो सकते । इस विषय पर उन लोगो को भी आत्म चिंतन करने और समाज के सभी लोगो को इसके लिए जागरूक करने की जरूरत है जो यहां की अलग अलग सामाजिक संस्थाओं में बड़े पद लेकर सालो से बैठे हुए है या सोशल मीडिया पर ब्राम्हणो के हितों की चिंता करते रहते है । युवा पुरोहितों को भी इस बारे में एक नई पहल करने की आवश्यकता है ताकि आने वाले भविष्य में हमारी धरोहर और संस्कृति सुरक्षित रहकर आगे बढ़ सके । प्रशासनिक स्तर पर और तीर्थ पुरोहित संघ ट्रस्ट के स्तर पर भी साल में एक बार इसका भव्य आयोजन करने के प्रयास किये जा सकते है ।

आज जितने भी पुरोहितों , ब्राम्हणो और वेदपाठी बालको ने हेमाद्रि स्नान कर पुण्य लाभ लिया उन सभी को मेरा नमन , उम्मीद है अगले साल यह संख्या 179 से बढ़कर हजारो में होगी और हम तीर्थ नगरी पुष्कर से पूरे देश के सामने एक शानदार उदाहरण प्रस्तुत कर ब्रम्ह शक्ति को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देंगे ।

*राकेश भट्ट*
*प्रधान संपादक*
*पॉवर ऑफ नेशन*
*मो 9828171960*

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