कम्प्यूटराइज्ड लाइब्रेरी का तानाबाना बुना अजमेर की ही आरएएस अधिकारी ज्योति ककवानी ने

अजमेर में 35 हजार दुर्लभ पुस्तकों के साथ बनी प्रदेश की पहली कम्प्यूटराइज्ड लाइब्रेरी

ज्योति ककवानी
भीलवाड़ा, मूलचन्द पेसवानी
राजस्थान का अजमेर ऐसा खुबसुरत शहर है जिसका नाम कई कारणों से पिछले एक हजार वर्षों से लगातार चर्चा में रहा है। इस शहर का एक बहुत बड़ा दिल बुधवार 5 सितंबर शिक्षक दिवस के मौके से धडका। अजमेर शहर के बीचों बीच बने टाउन हॉल (गांधी भवन) में 35 हजार किताबें शहर व प्रदेश वासियों का स्वागत कर रही हैं।
अंग्रेजों के शासन से वर्ष 1905 में इस टाउन हाॅल का शुभारंभ शहर के नागरिकों के लिए लिया गया था। लेकिन अब शहर के नागरिकों के लिए अजमेर निगम प्रशासन ने इसी टाउन हाॅल में चार हजार वर्ग फीट भूमि पर हाईटेक कम्प्यूटराइज्ड लाइब्रेरी का निर्माण कर दिया है।
इस कम्प्यूटराइज्ड लाइब्रेरी का तानाबाना बुना अजमेर की ही आरएएस अधिकारी ज्योति ककवानी ने। ककवानी गत दिनों नगर निगम में उपायुक्त के पद पर तैनात थी। उन्होंने निगम के महापोर धमेंद्र गहलोत को यह आईडिया दिया था कि गांधी भवन का उपयोग कम्प्यूटराइज्ड लाइब्रेरी के रूप में करने से शहर का हरवर्ग इससे लाभान्वित हो सकेगा। फिर क्या आईडिया अच्छा लगा तो उसे पंख लगने लगे और थोड़े समय में ही ककवानी का यह आईडिया उड़ान भरने लगा तथा बहुत कम लागत में ककवानी ने दृढइच्छा के चलते इस कार्य को अंजाम दे डाला। ककवानी ने बताया कि लाईब्रेरी के हर कक्ष मंे सीसीटीवी लगाया गया है। प्रत्येक कक्ष का नामकरण आजादी के परवानों के नाम से किया गया है। लाईब्रेरी की गैलेरी में मां सरस्वती की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। अभी से प्रदेश के कई आईएएस व आरएएस अधिकारी फेसबुक व ट्विटर पर इस लाईब्रेरी से जुड़े रहे है। यह यह बताना बहुत जरूरी है कि आरएएस ककवानी भले ही एक माह से एपीओ हो गयी परंतु कम्प्यूटराइज्ड लाइब्रेरी के कार्य को पूरा करने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी और लगातार एपीओ रहने के बाद भी इस कार्य को पूरा समय दिया। ककवानी अजमेर की ही निवासी है।
आरएएस ज्योति ककवानी के अनुसार इस लाइब्रेरी में टेगौर संदर्भ, एपीजे अब्दुल कलाम वाचनालय, डाॅ. राधाकृष्ण, मां सरस्वती आदि नामों के पांच कक्ष बनाए गए हैं, यह सभी वातानुकूलित हैं। लाइब्रेरी में रखी पेंतीस हजार पुस्तकों का कम्प्यूटर पर डाटा उपलब्ध करवाया गया है। विशेष तौर से तैयार करवाए गए साॅफ्टवेयर में पुस्तक के लेखक और वर्ष दर्ज करने के साथ ही पुस्तक लाइब्रेरी की किस आलमारी में रखी है। इसका पता चल जाएगा। मुख्य कक्ष में वरिष्ठ नागरिकों के बैठने के लिए आरामदायक टेबल कुर्सी रखी है, तो वहीं प्रतियोगी परीक्षाओं अथवा अन्य शोध कार्यों के लिए पुस्तकों को पढ़ने के लिए अलग कक्ष में सोफे लगाए गए हैं। इस लाइब्रेरी में हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, उर्दू, सिंधी, राजस्थानी भाषाओं में लिखी धर्म, इतिहास, संस्कृति, विज्ञान, कला पर आधारित 150 साल पुरानी किताबें भी मौजूद हैं। गांधी, टेगौर, ओशो, अरविन्दो, विवेकानंद, मैक्स मूलर, अर्नेस्ट डेविस, जवाहर लाल नेहरू, हरविलास शारदा, नीनो बोर्ने, कार्ल माक्र्स आदि लेखकों की किताबें भी हैं।
जरुरतमंद युवा पुस्तकों को लाइब्रेरी में बैठकर भी पढ़ सकते हैं तथा जरुरत होने पर 15 दिन के लिए घर पर भी लेजा सकते हैं। 100 रुपए में लाइब्रेरी की सदस्यता दी जाएगी। यदि कोई व्यक्ति पुस्तक को अपने घर ले जाना चाहता है तो उसे 500 रुपए का शुल्क जमा करवाना होगा।
प्रदेश में पहली लाइब्रेरीः-यूं तो प्रदेश के कई शहरों में स्थानीय निकाय संस्थाओं के द्वारा लाइब्रेरी चलाई जा रही है। लेकिन अजमेर निगम प्रशासन ने अजमेर में जिस तरह इस लाइब्रेरी का शुभारंभ किया है। यह पहली लाइब्रेरी होगी, जहां एक ही छत के नीचे शहरवासियों को इतनी सुविधा उपलब्ध होगी। इसमें कोई दो राय नहीं कि इसका श्रेय मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का है। माना लाइब्रेरी को तैयार करने में निगम के कार्मिकों की भूमिका भी है, लेकिन चार हजार वर्ग फीट स्थान को वातानुकूलित बनवाना और फिर लाइब्रेरी को कम्प्यूटराइज्ड करवाने की इच्छा शक्ति गहलोत ने ही दिखाई है। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इस लाइब्रेरी पर बहुत ही कम लागत आयी है।
आॅन लाइन की सुविधाः-ककवानी के अनुसार गांधी भवन की इस आधुनिक लाइब्रेरी में आॅनलाइन ई-लाइब्रेरी की भी सुविधा होगी। यहां दो तीन कम्प्यूटरों पर जरुरत मंद युवा और प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थी आॅनलाइन पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं। गूगल एप के जरिए सभी पुस्तकें आॅन लाइन उपलब्ध करवाई जाएगी, इसके लिए लाइब्रेरी परिसर में फ्री वाईफाई सुविधा होगी।

दुर्लभ संकलनः-नगर निगम की इस ऐतिहासिक लाइब्रेरी ने पुस्तकों का दुर्लभ संकलन है। हिन्दी और अंग्रेजी की प्राचीन पुस्तकों के साथ-साथ उर्दू भाषा की भी हजारों पुस्तकें हैं। इनमें अकबरनामा और बाबरनामा तक शामिल है। लाइब्रेरी में अजमेर राज्य से जुड़ी पुस्तकें भी रखी हुई है। अंग्रेज शासकों ने भी अजमेर का खास महत्व माना था। यही वजह है कि कर्नल जैम्स टाॅड जैसे लेखकों की पुस्तकें भी लाइब्रेरी में है। सौ वर्षों से प्राचीन पुस्तकों का कागज आज भी ऐसा बना हुआ व छपाई भी ऐसी की आज की आॅफसेट को मात दे।

ककवानी की भूमिकाः-आरएएस अधिकारी ज्योति ककवानी यहां से एपीओ है, लेकिन ककवानी जब निगम की उपायुक्त थीं, तब लाइब्रेरी का काम शुरू करवाया था। लेकिन उपायुक्त के पद से हटने के बाद भी ककवानी ने लाइब्रेरी के काम से हाथ नहीं खींचा। आरएएस के किसी भी पद पर न रहते हुए भी निगम की लाइब्रेरी के लिए पूरा समय दिया। पुराने फर्नीचर का ही उपयोग कर लाइब्रेरी को आधुनिक रूप दिया है। निगम के मेयर धमेंद्र गहलोत और आयुक्त (आईएएस) हिमांशु गुप्ता भी मानते हैं कि लाइब्रेरी में ककवानी की महत्वपूर्ण भूमिका है।

मूलचन्द पेसवानी
ककवानी का कहना है कि सरकारी पद का कार्य तो अपनी जगह है, लेकिन यह लाइब्रेरी स्थाईतौर पर शहरवासियों के काम आएगी। मुझे इस बात का संतोष है कि लाइब्रेरी में मेरी भी भूमिका है। नगर निगम में आरएएस अधिकारी रही ज्योति ककवानी को इस बात के लिए पूरा श्रेय दिया जाना चाहिए कि अफसरों के लिए थैंकलेस जॉब माने जाने वाले इस काम को उन्होंने पूरी शिद्दत से अंजाम दिया है। वे फिलहाल महीने भर से एपीओ हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने लाइब्रेरी के काम को आखिर मंजिल तक पहुंचा ही दिया है। वे अजमेर की ही हैं, इस हिसाब से उन्होंने अपनी जन्म और कर्म भूमि दोनों के लिए बहुत बढिया काम किया है।

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