गांधी नेहरू परिवार की सदियो से आस्था रही है तीर्थगुरु पुष्कर में

मोतीलाल लाल नेहरू , जवाहर लाल नेहरू , इंदिरा गांधी , राजीव गांधी , संजय गांधी , सोनिया गांधी , मेनका गांधी सहित कई सदस्य आ चुके है पुष्कर

राकेश भट्ट
जगतपिता भगवान ब्रम्हा जी के एक मात्र तीर्थ के रूप में विख्यात तीर्थ गुरु पुष्कर से गांधी नेहरू परिवार का सदियो से नाता रहा है । देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पिता स्वर्गीय मोतीलाल नेहरू से लेकर आज राहुल गांधी तक की चौथी पांचवी पीढ़ी के मन मे पवित्र पुष्कर सरोवर और ब्रम्हदेव के प्रति बहुत ही गहरी आस्था है । इस बात का जीता जागता प्रमाण गांधी परिवार के पुश्तैनी तीर्थ पुरोहित नंदलाल कौल के परिवार के पास आज भी मौजूद वो प्राचीन बही खाता है जिसमे नेहरू गांधी परिवार के सभी प्रमुख लोगो के ना सिर्फ हस्ताक्षर मौजूद है बल्कि पुष्कर तीर्थ के प्रति पुरोहित के सामने प्रकट की गई उनके मन की भावनाएं भी आज तक बयान की जा रही है ।
तीर्थ पुरोहित नंद लाल कौल के पुत्र पंडित राजनाथ कौल ने पॉवर ऑफ नेशन से बातचीत के दौरान इतिहास के उन पन्नो को उजागर किया जो आज तक उनकी पुश्तैनी बही में ही सुरक्षित सिमटे हुए थे । बहुत ही नाजुक हालत में पहुंच चुके बही के पन्नो को पलटते हुए उन्होंने बताया कि सबसे पहले 16 मार्च 1921 को मोतीलाल जी नेहरू पुष्कर पधारे थे । तब उन्होंने यहां के मुख्य गऊ घाट पर पूजा अर्चना कर देश की आजादी के लिए प्रार्थना की थी । इनके पश्चात 23 अक्टूबर 1945 को मोतीलाल जी के पुत्र जवाहर लाल नेहरू पुष्कर आये थे जो देश आजाद होने के बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री भी बने थे । खास बात यह है कि इस यात्रा मे जवाहर लाल नेहरू के साथ उनकी बेटी इंदिरा गांधी भी पुष्कर आई थी । उस वक्त इंदिरा गांधी की उम्र महज 17 साल ही थी । इस यात्रा के कई सालों बाद 27 मई 1964 को जवाहर लाल नेहरू का निधन होने के पश्चात 8 जून 1964 को उनकी अस्थियां भी यहां लाकर पवित्र सरोवर में विसर्जीत की गई ।

पुष्कर आने का सिलसिला इंदिरा गांधी के समय भी निरंतर जारी रहा । अपने पिता के साथ बचपन मे आने के बाद इंदिरा गांधी 17 मई 1980 को प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए पुष्कर पहुंची और स्थानीय गऊ घाट पर ही पूजा अर्चना कर देश की खुशहाली के लिए कामना की । इनकी हत्या किए जाने के पश्चात इंदिरा जी की अस्थियों को भी इसी सरोवर में लाकर विसर्जित किया गया । खास बात यह है इंदिरा के बड़े बेटे राजीव गांधी अपने जीवन काल मे तीन बार पुष्कर आये । राजीव सबसे पहले 26- अक्टूबर 1983 को यहां आए । इसके बाद प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए 6 फरवरी 1989 को आए और तीसरी बार अपनी मृत्यु से महज 19 दिन पहले 2 मई 1991 को पुष्कर पूजन के लिए आये थे । राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी भी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रहते हुए दो बार 17 नवंबर 1998 और 14 जून 2003 यहां आ चुकी है ।

गांधी परिवार से पुष्कर दर्शन करने आने वालो में इंदिरा जी के छोटे बेटे संजय गांधी और उनकी पत्नी मेनका गांधी का नाम भी शुमार है । संजय 21 अप्रैल 1980 को पुष्कर आये थे । खास बात यह है कि इटली में रहने वाले सोनिया गांधी के पिता स्टेफनो माइनो और माँ पाऊला माइनो भी 22 जनवरी 1977 को पुष्कर तीर्थ पुरोहित नंद लाल कौल के पास आकर सरोवर की पूजा अर्चना कर चुके है । गांधी परिवार की इसी परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए कल सोमवार को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष और अगले लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार राहुल गांधी भी पुष्कर पहुंच रहे है । राहुल गांधी सबसे पहले सरोवर के ब्रम्ह घाट पर पहुंचकर वैदिक विधि विधान से पूजा अर्चना करेंगे और इसके पश्चात भगवान ब्रम्हा जी के मंदिर जाकर दर्शन करने का कार्यक्रम है।

राहुल की पुष्कर यात्रा से जहां आम कॉंग्रेस कार्यकर्ताओ में खुशी की लहर है वहीं स्थानीय तीर्थ पुरोहित राजनाथ कौल और इनके परिजन भी बेहद उत्साहित है । क्यों कि लगभग 15 साल पश्चात गांधी परिवार का कोई सदस्य पुष्कर पूजन करने के लिए आ रहे है । इससे पूर्व आखिरी बाद 14 जून 2003 को सोनिया गांधी यहां पूजन करने आई थी ।

*राकेश भट्ट*
*प्रधान संपादक*
*पॉवर ऑफ नेशन*
*मो 9828171060*

error: Content is protected !!