पालिकाध्यक्ष मित्तल सहित अन्य पर लटकी निलंबन की तलवार !

कहीं ऐसा न हो कि वे घर के रहें न घाट के, मिल रहे हैं ऐसे संकेत
विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के विरोध में काम करने वाले व भीतरघात करने वाले नेताओं के खिलाफ भाजपा अनुशासनात्मक कार्यवाही करने जा रही है जिसमें क्षेत्र के भी कुछ जनप्रतिनिधि शामिल हैं जिनके खिलाफ कार्यवाही की जानी है। पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केकड़ी के करीब आधा दर्जन नेता हैं जिन्होंने पार्टी प्रत्याशी राजेंद्र विनायका के खिलाफ चुनाव में काम किया तथा भीतरघात कर पार्टी प्रत्याशी को नुकसान पहुंचाया। बताया जा रहा है कि इन नेताओं में केकड़ी के पालिकाध्यक्ष अनिल मित्तल व तीन पार्षदों सहित अन्य के नाम शामिल बताये जा रहे है। पार्टी सूत्रों के अनुसार इन्हें पार्टी की सदस्यता से निलंबित किया जा सकता है। मित्तल सहित इन नेताओं पर आरोप है कि इन्होंने चुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशी विनायका के खिलाफ काम किया व भीतरघात कर उन्हें नुकसान पहुंचाया। हालांकि पालिकाध्यक्ष अनिल मित्तल चुनाव के शुरुआती दिनों में तो भाजपा प्रत्याशी विनायका के समर्थन में गांवों में जाकर चुनाव प्रचार किया मगर तीन चार दिनों बाद ही वे चुनाव अभियान से गायब हो गए और उन्होंने शहर के वार्डों में भी पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में जनसम्पर्क नहीं किया। आखिर क्या वजह रही कि वे चुनाव अभियान से दूर हो गए। बताया जा रहा है कि मित्तल सहित इन नेताओं के खिलाफ पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व अन्य संगठन के नेताओं को शिकायत की गई है। जिसपर कार्यवाही करते हुए पार्टी इन्हें कारण बताओ नोटिस दे सकती है या फिर पार्टी की सदस्यता से निलंबित भी कर सकती है। ज्ञात रहे पालिकाध्यक्ष अनिल मित्तल भी केकड़ी से विधानसभा चुनाव लड़ने वालों में एक दावेदार थे जिहोंने अपनी दावेवारी पेश की थी। मित्तल को निवर्तमान विधायक शत्रुघ्न गौतम ने कई भाजपाइयों के काफी मना करने के बावजूद पालिकाध्यक्ष बनाया था, पहले दो वर्ष तो सबकुछ ठीक चलता रहा। मित्तल ने विधायक गौतम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया लेकिन विधानसभा चुनाव के 6 महीनों पहले से ही मित्तल की गतिविधियां सन्दिग्ध नजर आने लगी और पालिका द्वारा आयोजित किए जाने वाले तेजा मेला के अवसर पर तो वे खुलकर सामने आ गए और मेला खत्म होते ही उन्होंने अपनी दावेदारी खुलेआम पेश करदी। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। पार्टी ने टिकट न तो उन्हें दिया और न ही उनके राजनैतिक गुरु शत्रुघ्न गौतम को दिया। टिकट की लॉटरी भाजपा पार्षद राजेन्द्र विनायका के नाम खुली लेकिन वे चुनाव में अपने ही लोगों की भीतरघात की वजह से कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ रघु शर्मा के सामने चुनाव हार गए। वहीं राज्य में भी सत्ता बदल गई और कांग्रेस की सरकार बन गई। पालिकाध्यक्ष मित्तल पर नगरपालिका में अनियमितताओं व मनमानी के कई गम्भीर आरोप हैं। जिनमें सरकारी भूमि के बेचान, सरकारी धन का दुरुपयोग, अपनी फेक्ट्री के बाहर रास्ते की जमीन पर अतिक्रमण जैसे मामले विभाग व भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में जांच के लिए विचाराधीन हैं। इन मामलों में पहले तो वे निवर्तमान विधायक शत्रुघ्न गौतम की वजह से बचते रहे मगर अब सत्ता परिवर्तन के बाद उन्हें कौन बचाएगा।
कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्होंने इन सभी जांचों से बचने के लिए चुनाव के दौरान कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों में भाग लिया। लेकिन लगता नहीं कि वे अपने मंसूबों में कामयाब होंगे। क्योंकि सत्ता परिवर्तन के बाद उनका ऐसा सोचना गलत साबित हो सकता है और वैसे भी विधायक डॉ रघु शर्मा अपने उन समर्थकों को जो लगातार पालिकाध्यक्ष की खामियों को उजागर कर रहे थे उन्हें चुनाव के दौरान यह विश्वास दे चुके हैं कि वे सत्ता में आते ही पालिकाध्यक्ष के खिलाफ कार्यवाही करेंगे। अगर ऐसा है तो फिर अनिल मित्तल को पालिकाध्यक्ष की कुर्सी से हाथ धोना पड़ेगा। अब देखना ये है कि मित्तल पालिकाध्यक्ष की कुर्सी बचा पाते हैं या खो देते हैं !

तिलक माथुर
केकड़ी_अजमेर
*9251022331*

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