नाग पहाड़ पर भगवान देवनारायण का मंदिर बनाने की मांग में दम है

अजमेर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता धर्मेश जैन ने राजस्थान के उपमुख्यमंत्री एवं सार्वजनिक निर्माण विभाग मंत्री सचिन पायलट से मांग की है कि पुष्कर घाटी पर बनी सांझी छत से सड़क बना कर नाग पहाड़ पर गुर्जर समाज के आस्था के केन्द्र देवनारायण भगवान का मंदिर बना कर एवं सघन वृक्षारोपण कर विकसित किया जाए। उन्होंने क्या सोच कर यह मांग की है, इसका उन्होंने खुलासा तो नहीं किया है, मगर उनकी मांग में दम है। हो सकता है कि उन्होंने अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में बनाई गई सांझी छत को हाईलाइट करने के लिए यह प्रस्ताव रखा हो। ज्ञातव्य है कि सांझी छत बनाने के पीछे उसे टूरिस्ट प्लेस के रूप में विकसित करना था, मगर बनने के बाद एडीए ने इसके रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया। अब यह खस्ताहाल है। शाम ढले यह शराबियों का ठिकाना बन जाती है। इसके अतिरिक्त संभव है जैन यह सोच कर प्रस्ताव रख रहे हों कि पायलट को यह पसंद आएगा, क्योंकि भगवान देवनारायण गुर्जर समाज के आराध्य देव हैं।

तेजवानी गिरधर
इस सिलसिले में एक प्रसंग का जिक्र करना प्रासंगिक रहेगा। परम आराध्या देवी गायत्री का जन्म स्थान पुष्कर ही माना जाता है। कहते हैं कि यज्ञ शुरू करने से पहले ब्रह्माजी ने पत्नी सावित्री को बुला कर लाने के लिए अपने पुत्र नारद से कहा। नारद के कहने पर जब सावित्री रवाना होने लगी तो नारद ने उनको देव-ऋषियों की पत्नियों को भी साथ ले जाने की सलाह दी। इस कारण सावित्री को विलंब हो गया। यज्ञ के नियमों के तहत पत्नी की उपस्थिति जरूरी थी। इस कारण इन्द्र ने एक गुर्जर कन्या को तलाश कर गाय के मुंह में डाल कर पीठ से निकाल कर पवित्र किया और उसका ब्रह्माजी के साथ विवाह संपन्न हुआ। इसी कारण उसका नाम गायत्री कहलाया। जैसे ही सावित्री यहां पहुंची और ब्रह्माजी को गायत्री के साथ बैठा देखा तो उसने क्रोधित हो कर ब्रह्माजी को श्राप दिया कि पुष्कर के अलावा पृथ्वी पर आपका कोई मंदिर नहीं होगा। इन्द्र को श्राप दिया कि युद्ध में तुम कभी विजयी नहीं हो पाआगे। ब्राह्मणों को श्राप दिया कि तुम सदा दरिद्र रहोगे। गाय को श्राप दिया कि तू गंदी वस्तुओं का सेवन करेगी। कुबेर को श्राप दिया कि तुम धनहीन हो जाओगे। यज्ञ की समाप्ति पर गायत्री ने सभी को श्राप से मुक्ति दिलाई और ब्राह्मणों से कहा कि तुम संसार में पूजनीय रहोगे। इन्द्र से कहा कि तुम हार कर भी स्वर्ग में निवास करोगे।
राकेश धाभाई
इस प्रसंग से स्पष्ट है कि देवी गायत्री मूलत: गुर्जर समाज से हैं। पौराणिक काल से गुर्जर समाज का तीर्थराज पुष्कर से गहरा नाता रहा है। एक और महत्वपूर्ण बात। वो यह कि प्राचीन काल से परंपरागत रूप से अजमेर जिले के गुर्जर समाज के लोग किसी समाज बंधु के देहावसान होने पर उसका पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार करने के लिए पुष्कर ले जाते रहे हैं। जाने-माने एडवोकेट राकेश धाभाई से बात करने पर उन्होंने बताया वहां समाज का श्मशान स्थल अलग से है। जो लोग वहां पार्थिव शरीर ले जाने की स्थिति में नहीं होते वे अंतिम संस्कार के बाद के धार्मिक अनुष्ठान पुष्कर में ही करते हैं। उस हिसाब से यदि गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान देवनारायण मंदिर बनाया जाता है तो नाग पहाड़ की महत्ता और बढ़ जाएगी। गुर्जर समाज के लोग भी अपने पौराणिक महत्व के उभरने से गौरवान्वित महसूस कर सकते हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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