आपदा के मुहाने पर खड़े हैं हम

बेशक हम अजमेरवासी काफी कुछ सुधरे हैं, चाहे पुलिसिया पिटाई के कारण या फिर कोरोना की भयावह खबरें सुन कर, मगर अब भी लापरवाही जारी है, जो नुकसानदेह साबित हो सकती है। गुुरुवार को पुलिस कप्तान ने एक वीडियो संदेश के जरिए सख्ती को जारी रखने का ऐलान कर दिया और सचेत किया कि अगर बहुत जरूरी हुआ तो कफ्र्यू भी लगाया जा सकता है। अर्थात हम आपका के मुहाने पर खड़े हैं। आम आदमी को इस चेतावनी की गंभीरता से लेना चाहिए।
हकीकत ये है कि लॉक डाउन के पहले दो-तीन दिन तक लोगों को स्थिति की भयावहता का अंदाजा ही नहीं था। मनचले युवक कौतुहलवश शहर का माहौल देखने की चाह में इधर-उधर तफरीह कर रहे थे। बिना अत्यावश्क छोटे-मोटे काम से लोग घरों से बाहर निकल रहे थे। नतीजतन पुलिस को अपना रौद्र रूप दिखाना पड़ा। कुछ सयानों ने पुलिस की पीठ थपथपाई। पिटने वालों को नसीहत देते हुए सोशल मीडिया पर जुमलेबाजी तक होने लगी। यथा ठुकेगा, तभी सुधरेगा अजमेर। दैनिक भास्कर के स्थानीय संपादक डॉ. रमेश अग्रवाल को आगाह करना पड़ा कि अगर हमने लापरवाही बरती तो प्रशासन के कदम कफ्र्यू की ओर बढ़ सकते हैं। वह हालात पर सटीक टिप्पणी थी। उसका असर ये हुआ कि लोगों की समझदानी में यह बात बैठी कि लॉक डाउन हमारे ही हित में है।
वस्तुत: हुआ ये कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकट समय में स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस वालों की हौसला अफजाई के लिए शाम पांच बजे अपने-अपने घरों की छतों व बालकॉलियों पर खड़े हो कर थाली, ताली व घंटियां बजाने की अपील की, उसका असर ये हुआ कि जश्न का सा माहौल उत्पन्न हो गया। अंध भक्ति में लोगों ने महान भारतीय संस्कृति के हवाले से इसे ये समझ लिया कि ऐसा करने से कोरोना भाग जाएगा। इसे हवा दी जिम्मेदार ओहदेदारों ने। बेशर्मी की इंतेहा तो तब हो गई, जब लोगों ने कई मोहल्लों में इक_े हो कर थालियां बजाई। जिस सोशल डिस्टेंसिंग की सर्वाधिक जरूरत थी, उसी के साथ खिलवाड़ कर दिया गया। उत्साह से साफ दिख रहा था कि लोगों को कोरोना से तो कोई मतलब ही नहीं था, वे तो मोदी के प्रति भक्ति का इजहार कर रहे थे। जनता कफ्र्यू के दिन हुए इस आयोजन की सफलता पर सोशल मीडिया पर एक टिप्पणी आई कि थाली व ताली बजाने से कोरोना भागे या न भागे, मगर यह पक्का है कि अगली बार फिर मोदी ही आएंगे।
ऐसे माहौल का परिणाम ये हुआ कि दूसरे ही दिन जब लॉक डाउन शुरू हुआ तो लोग अति उत्साह में घरों से ऐसे निकल पड़े, मानो थाली बजा कर वे कोरोना को खदेड़ चुके हैं। जंग जीत चुके हैं। ड्यूटी पर तैनात पुलिस भौंचक्की रह गई। अति उत्साह में उसने भी जम कर हाथ आजमाए। कई जगह बुरी तरह से पिटाई की सूचनाएं आईं। पुलिस कप्तान को पता लगा तो वे समझ गए कि मामला गड़बड़ है और उन्हें बाकयदा वॉइस मैसेज जारी करना पड़ा। पुलिस कर्मियों को समझाते हुए उन्होंने संयम बरतने की अपील की, साथ ही विस्तार से यह भी बताया कि हालात पर काबू पाने के लिए किस प्रकार नियमों की पालना करवानी है। सख्ती व संजीदगी के बीच संतुलन के इस नायाब संदेश का बड़ा भारी असर हुआ। एक ओर जहां पुलिस के प्रति विश्वास कायम हुआ, वहीं ये भी अक्ल आ गई कि फालतू में इधर-उधर नहीं घूमना है। लोग फिर भी नहीं माने तो वाहनों की सीजिंग व चालान काटने की बड़े पैमाने पर कार्यवाही करनी पड़ी। अब हालात काबू में हैं। लोग बहुत जरूरी होने पर बाहर निकल रहे हैं। सुबह ग्यारह बजे तक राशन, सब्जियां, दूध इत्यादि की दुकानें खुल रही हैं। मगर समस्या ये हो गई है कि समय की सीमितता के कारण दुकानों पर भीड़ उमड़ रही है। सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरी सीख तार-तार हो रही है। यही सबसे खतरनाक स्थिति है। कोरोना से करार थोड़े ही हुआ है कि सुबह ग्यारह बजे तक वह हमला नहीं करेगा। पूरे दिन भले ही आप घर पर कैद रहें, मगर ये चंद घंटे बीमारी को आमंत्रण दे सकते हैं।
बेहतर ये है कि दुकानों पर पुलिस की ठीक से तैनाती हो और लोगों को दूर-दूर खड़े हो कर लाइन लगा कर सामान खरीदने की समझाइश की जाए। यह सही है कि प्रशासन कालाबाजारी रोकने की कोशिश करने बात कर रही है, मगर कालाबाजारी जम कर हो रही है। उस पर कोई नियंत्रण नहीं है। सिक्के का दूसरा पहलु ये है कि माल की सप्लाई ठप होने के कारण होलसेल पर ही रेटें बढ़ गई हैं। चूंकि छोटे दुकानदार का सीधा वास्ता जनता से हो रहा है, इस कारण सारा गुस्सा उनके प्रति इकट्ठा हो रहा है। चंद दिनों में ही जो हालात हुए हैं, उसे देखते हुए यदि प्रशासन ने ठीक से व्यवस्था नहीं बनाई तो बहुत परेशानी पैदा हो सकती है। अभी तो लॉक डाउन के काफी दिन बाकी हैं। यह ब्लॉग लिखने के दौरान जानकारी आई है कि प्रशासन ने इस दिशा में कुछ कदम उठा लिए हैं।
संकट के इस समय में सिविल सोसायटी के लोग जिस प्रकार गरीबों को फूड पैकेट्स बांट रहे हैं, वह बेहद सराहनीय है, मगर उसमें सोशल डिस्टेंसिंग की ठीक से पालना न होने के दृश्य दिखाई दे रहे हैं। अच्छा है कि आप समाज सेवा कर रहे हैं, मगर कहीं ऐसा न हो कि आप मेवे के रूप में कोरोना को न बांट आएं।
ताजा अपडेट है कि प्रशासन ने मित्तल हॉस्पीटल सहित चार अस्पतालों का अधिग्रहण कर लिया है, ताकि आपात स्थिति में मरीजों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई जा सके। इस निर्णय से आभास होता है कि प्रशासन हालात से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

इस लिंक पर क्लिक करके पुलिस कप्तान का वीडियों संदेश देख सकते है
https://www.facebook.com/01spajmer/videos/206534557320884/

-तेजवानी गिरधर
7742067000
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