और अब गणतंत्र दिवस के बहिष्कार का अलाप

दिल्ली गैंग रेप कांड के विरोध में उबल रहे देश में गुस्सा इस सीमा तक जा पहुंचा है कि लोग यानि गण अब गणतंत्र दिवस के बहिष्कार तक की अपील करने लगे हैं। अजमेर में भारत स्वाभिमान मुहिम से जुड़े युवा नेता अंशुल कुमार ने फेसबुक पर लिखा है कि ‎”गणतन्त्र दिवस का बहिष्कार करॆ” दामिनी कॊ श्रधाञलि दॆनॆ, प्रदर्शनकारियॊ पर हुऎ अत्याचार कॆ विरॊध मॆ और इस भ्रष्ट काग्रॆस सरकार का विरॊध करनॆ कॆ लिऎ हम सभी कॊ गणतन्त्र दिवस का बहिष्कार करना चाहिऎ|
कुछ इसी प्रकार की प्रतिक्रिया जयपुर में ईटीवी में काम करने वाले कार्तिक बलवान ही है, जो फेसबुक पर लिखते हैं कि नववर्ष मनाने और ना मनाने से अंधी,गूंगी और बहरी राजनैतिक व्यवस्था नहीं सुधरने वाली है । बेहतर होगा हम इस वर्ष गणतंत्र दिवस के राजकीय समारोह से दूरी बनाएं । ‘मूसळ’ (राजस्थानी भाषा) की तरह बर्ताव कर रहे “नेतृत्व” को कैसा लगेगा जब लालकिले की प्राचीर पर तिरंगा फहराने के बाद उसे सामने पड़ी कुर्सियां खाली मिलें…. हर राज्य के ‘मुख्यमंत्री’ और ‘मंत्रियों’ द्वारा गणतंत्र दिवस पर किए जाने वाले समारोह से दूरी बनाएं । मैं इस बात पर प्रतिबद्ध रहूंगा कि मैं गणतंत्र दिवस समारोह का हिस्सा नहीं बनूंगा ।
उनकी इस टिप्पणी पर प्रति टिप्पणी करते हुए राजस्थान पत्रिका में काम कर रहे अभिषेक सिंघल लिखते हैं कि  बहुत बड़ी संख्या में भारतीय वैसे भी इन समारोहों का हिस्सा नहीं बनते,, उन्हें ये दिवस हॉलीडे लगते हैं…. शायद इसी सहजगामी प्रवृत्ति का ही नतीजा वर्तमान हालात हैं,,, इस राजनैतिक व्यवस्था के जनक और कोई नहीं हम,, हमारा समाज स्वयं है.
अर्थात कुल मिला कर आज हमारा लोकतंत्र व गणतंत्र ही सवालों के घेरे में आ गया है। वैसे तस्वीर का दूसरा पहलु ये भी है कि क्या गणतंत्र दिवस कांग्रेस पार्टी का कार्यक्रम है या नेताओं का या फिर आम जनता का? और जिन राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकारें हैं, वहां वह कार्यक्रम किसका कहलाएगा?

1 thought on “और अब गणतंत्र दिवस के बहिष्कार का अलाप”

  1. Its really funny to see people speaking about boycotting
    Republic Day who never in their lives tried to even know
    what is it all about other than enjoying it as a
    Holiday…. !!!

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