सारस्वत के जिम्मे होगी शहर जिला भाजपा?

केन्द्र व राज्य में नए भाजपा अध्यक्षों की नियुक्ति के साथ अजमेर में भी भाजपा अध्यक्ष बदले जाने की भारी चर्चा है। समझा जाता है कि पूर्व में अध्यक्ष बनते बनते रह गए प्रो. बी पी सारस्वत को इस बार मौका मिल जाएगा।
असल में मौजूदा अध्यक्ष प्रो. रासासिंह रावत लगभग खारिज किए जा चुके हैं। बहाना चाहे खराब स्वास्थ्य हो, मगर सच ये है कि खुद रावत की रुचि अब संगठन में नहीं रह गई है। भला रहेगी भी कैसे। जिस पार्टी के पास अपना दफ्तर न हो, फंड न हो, उसका अध्यक्ष होना कितना महंगा होता है, यह तो रावत ही बेहतर समझ सकते हैं। आए दिन लोगों से चंदा मांगना कितना शर्मिंदगी का काम है, यह भी वे ही जानते होंगे। भला जो सांसद रह कर अच्छा खासा भत्ता उठा चुका हो, उसे खर्चे वाला पद कैसे पसंद आ सकता है। वो तो उस वक्त भाजपा विधायको वासुदेव देवनानी व अनिता भदेल के बीच जबरदस्त खींचतान थी, इस कारण दोनों ही गुटों को छोड़ कर निर्विवाद होने के कारण रावत का नंबर आ गया। खुद रावत भी समझते थे कि अगर अभी कोई जिम्मेदारी नहीं निभाई तो पार्टी पूरी तरह से हाशिये पर डाल देगी, सो अध्यक्ष पद स्वीकार कर लिया। बेशक उनके अब तक के कार्यकाल में पार्टी कुछ गतिशील हुई है, मगर उसका खर्चा कैसे वहन किया गया, ये रावत को अच्छी तरह से पता है। कैसे उन्होंने लंगियों से काम निकाला, ये तो उनका जीव ही जानता है। यहां तक भी ठीक है, मगर पद पर होने के बाद भी उनको संगठन में कितना गांठा जाता है, ये भी अच्छी तरह समझ चुके हैं। इस कारण जल्द से जल्द पिंड छुड़वाना चाहते हैं। उनकी इच्छा विधानसभा चुनाव लडऩे की है। और जाहिर सी बात है कि अगर उन्हें टिकट चाहिए तो अध्यक्ष पद छोडऩा ही होगा। उधर पिछली बार अध्यक्ष बनने से वंचित बी पी सारस्वत फिर नंबर वन हैं। हालांकि उनकी इच्छा तो विधानसभा चुनाव लडऩे की है। वे पिछले चार बार से कोशिश में हैं, मगर चांस कभी नहीं मिला। जिस ब्यावर सीट के लिए उन्होंने तैयारी कर रखी थी वह अब रावतों की झोली में है। सामान्य सीटों में केकड़ी व नसीराबाद हैं, मगर जातीय समीकरण उनका नंबर आएगा ही, कुछ कहा नहीं जा सकता। फिर अजमेर भाजपा के भीष्मपितामह औंकार सिंह लखावत भी उन्हें टिकट लेने थोड़े ही देंगे। वे जानते हैं कि सारस्वत आगे आए तो उन्हें तो कम से कम नहीं गांठेंगे। ऐसे में सारस्वत के पास एक ही चारा है। वो यह कि संगठन का काम संभाल लें। वैसे भी उन्होंने हाल ही सदस्यता अभियान को शानदार तरीके से चला कर साबित कर दिया है कि वे संगठन के काम में ही माहिर हैं। उनकी यही महारत उन्हें अध्यक्ष पद की ओर ले जाएगी। पार्टी के अधिसंख्य नेता भी मानते हैं कि इस बार सारस्वत का ही नंबर है। सुनने में आया है कि सारस्वत भी टिकट नहीं मिलने की स्थिति में अध्यक्ष बनना पसंद करेंगे, कम से कम शहर में चवन्नी तो चलेगी।
-तेजवानी गिरधर

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