ठेकेदार की नहीं पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की गलती है

दैनिक भास्कर से साभार
दैनिक भास्कर से साभार

दैनिक भास्कर ने हाल ही एक मुद्दा उठाया कि अत्यंत व्यस्त कचहरी रोड पर दोनों ओर पांच-पांच फीट की जगह बढ़ाकर आठ-आठ फीट दूरी पर पार्किंग लाइन बना दी गई है, जो न केवल पहले से बनाई गई यातायात व्यवस्था का उल्लंघन है, अपितु इससे आवागमन की जगह भी कम हो गई है। खबर का असर भी हुआ। दूसरे ही दिन इस गलती को पीडब्ल्यूडी ने स्वीकार कर लिया और लाइन दुरुस्त करवाने के आदेश दे दिए, मगर सवाल ये उठता है कि ऐसा किस की लापरवाही से हुआ।
पीडब्ल्यूडी के अधिकारी गलती भी मान रहे हैं और साथ ये भी कह रहे हैं कि ऐसा ठेकेदार की गलती से हुआ है, जिसने कि काम मजदूरों के भरोसे छोड़ दिया। जबकि सच्चाई ये है कि यह पीडब्ल्यूडी के संबंधित इंजीनियर की गलती से हुआ, जिसने कि ठेकेदार और उसके मजदूरों के भरोसे काम छोड़ दिया। संबंधित इंजीनियर को तनख्वाह की इसी बात की मिलती है कि वह ठेकेदार से ठीक से काम करवाए, मगर वह तो घर जा कर सो गया और काम छोड़ दिया ठेकेदार भरोसे। और ठेकेदार रह गया मजदूर भरोसे। और मजदूरों ने बना दी भगवान भरोसे।
विभागीय सूत्र कह रहे हैं कि इस लापरवाही के लिए ठेकेदार को फटकार लगाई गई है, जबकि फटकार तो इंजीनियर को लगाई जानी चाहिए थी। मगर चूंकि समरथ को नहीं दोष गुसांई, सो फटकार बेचारे ठेकेदार को पड़ी।
संबंधित इंजीनियर ने उससे भी बड़ी गलती ये कि इस बारे में यातायात पुलिस को विश्वास में ही नहीं लिया, जबकि यह काम होना ही यातायात पुलिस की जानकारी में ला कर था। अव्वल तो समझ में ये नहीं आता कि जब पुरानी धुंधली हो चुकी लाइन पर नए सिरे लाइन बनाने का काम था तो फिर ऐसा हो कैसे गया कि पांच की जगह आठ फीट दूर तक लाइन बना दी। क्या यह बात इंजीनियर ने ठेकेदार और ठेकेदार ने अपने मजदूरों को नहीं बताई? जाहिर सी बात है कि इसका उत्तर नहीं में ही है, जो कि घोर लापरवाही का नमूना है। सवाल उठता है कि इस गलती का दंड इंजीनियर को मिलेगा या फिर बिल का भुगतान करवाने के लिए मजबूर ठेकेदार को ही नुकसान भुगतना होगा?
रहा सवाल यातायात पुलिस की भूमिका का, वह भले यह कह कर उनकी जानकारी में लाए बिना ही लाइन बना दी गई, अपना पिंड छुड़वा लें, मगर ये समझ में नहीं आता कि गलत बनाई गई लाइन अखबार के रिपोर्टर तो नजर आ गई, मगर यातायात पुलिस के एक भी सिपाही को नहीं दिखाई दी। इस पर यातायात पुलिस के टीआई बन्ने सिंह का बयान बड़ा ही हास्यास्पद है कि मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेने के बाद अधिकृत जानकारी दे पाऊंगा, मानो इसके लिए उन्हें किसी और शहर में जाना होगा। तभी तो यह जुमला आम है कि हमारा देश भगवान भरोसे चलता है।
-तेजवानी गिरधर

error: Content is protected !!