केवल रायशुमारी के आधार पर नहीं मिलेगा नसीम को टिकट

naseem akhtar 5विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के चयन को लेकर चल रहे दाव-पेंच के बीच राज्य के जनअभाव अभियोग निराकरण समिति के अध्यक्ष मुमताज मसीह के साथ बंद कमरे में हुई पुष्कर के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की मंत्रणा से भले ही ये निष्कर्ष निकल कर आया है कि पुष्कर की मौजूदा विधायक व शिक्षा राज्यमंत्री नसीम अख्तर इंसाफ को ही पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से दोबारा टिकट देने की पैरवी की गई है, लेकिन अकेला यही फैक्टर उनका टिकट पक्का नहीं करने वाला है।
जानकार सूत्रों के अनुसार नसीम के बारे में लगभग एकराय इस कारण है कि उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में कार्यकर्ताओं को पूरी तवज्जो दी, इस कारण वे उनसे आमतौर पर खुश हैं। इसके अतिरिक्त अधिसंख्य कार्यकर्ताओं का अनुमान है कि जब नसीम को ही अल्पसंख्यक व महिला होने के नाते टिकट मिलना है तो वे काहे को किसी दूसरे का नाम ले कर बुरे बनें। इस लिहाज से यही प्रतीत होता है कि कांग्रेस आलाकमान नसीम को टिकट देगा, लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं।
दरअसल में उन्हें टिकट मिलने का सबसे बड़ा आधार यही है कि एक तो अल्पसंख्यक हैं और दूसरा उन्हें टिकट देने पर महिला कोटा भी पूरा होता है, मगर टिकट देने से पहले यह भी देखा जाएगा कि क्या इस बार जीत भी पाएंगी? उनकी जीत को लेकर संशय इस कारण है कि पिछली बार भी वे त्रिकोणीय मुकाबले में जीती थीं। अर्थात वे अच्छे नसीब के कारण विधायक बनीं। आपको पता होगा कि पिछली बार भाजपा के बागी श्रवण सिंह रावत की वजह से भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी भंवर सिंह पलाड़ा हार गए थे। और यही वजह नसीम की जीत का आधार बनीं। उन्होंने पलाड़ा को 6 हजार 534 मतों से हराया। नसीम को 42 हजार 881 व पलाड़ा को 36 हजार 347 वोट मिले, जबकि भाजपा के बागी श्रवणसिंह रावत ने 27 हजार 612 वोटों की सेंध मारी। अगर रावत खड़े नहीं होते तो नसीम का नसीब किसी भी सूरत में नहीं चमक सकता था। यह तथ्य हाईकमान की भी जानकारी में है। वह इस बार पहले ये देखेगा कि भाजपा किसको मैदान में उतारती है और उससे जातीय समीकरण क्या बैठता है। जीतने लायक स्थिति होने पर ही उन्हें टिकट दिया जाएगा।
उनके टिकट को लेकर तनिक संशय इस कारण भी उत्पन्न होता है क्योंकि इस बार पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती भी पुष्कर से टिकट मांग रहे हैं। हालांकि उनकी नजर अजमेर उत्तर पर भी है, मगर वहां किसी सिंधी को ही टिकट देना तय हुआ तो बाहेती पूरा जोर पुष्कर के लिए लगा देंगे। वे यहां से विधायक रह भी चुके हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का उन पर पूरा वरदहस्त है। पूरे पांच साल कोई ढंग का सरकारी पद नहीं देने के बाद समझा जाता है कि वे बाहेती को टिकट जरूर देंगे। अगर ऐसा हुआ तो नसीम को मसूदा जाने को कहा जा सकता है। हालांकि वहां तो जबरदस्त दंगल मचा हुआ है। वहां से निर्दलीय रूप से जीते ब्रह्मदेव कुमावत, पिछली बार कांग्रेस टिकट पर हारे अजमेर डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी और पूर्व विधायक हाजी कयूम खान पूरा जोर लगाए हुए हैं। इनमें से जिस किसी को टिकट मिलेगा, बाकी के दोनों उसे निपटाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे। ऐसे में कांग्रेस बड़ी पसोपेश में है। संभव है तीनों को दरकिनार कर नसीम को मौका दिया जाए।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

error: Content is protected !!