आरएसएस को शक की निगाह से देखते थे पटेल

patel-शेष नारायण सिंह- सरदार पटेल के नाम पर नरेंद्र मोदी अपनी सारी राजनीति कांग्रेस के नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल के व्यक्तित्व के आस पास ही केंद्रत कर रहे हैं। जबकि सरदार पटेल एक ऐसे नेता हैं जो मोदी जी के संगठन आर.एस.एस. और उसके तत्कालीन मुखिया गोलवलकर को बिलकुल नापसन्द करते थे। यहाँ तक कि गांधी जी की हत्या के मुकदमे के बाद गिरफ्तार किये गये एम.एस. गोलवलकर को सरदार पटेल ने तब रिहा किया जब उन्होंने एक अंडरटेकिंग दी कि आगे से वे और उनका संगठन हिंसा का रास्ता नहीं अपनायेंगे।

उस अंडरटेकिंग के मुख्य बिंदु ये हैं :- आर.एस.एस. एक लिखित संविधान बनायेगा जो प्रकाशित किया जायेगा, हिंसा और रहस्यात्मकता को छोड़ना होगा, सांस्कृतिक काम तक ही सीमित रहेगा, भारत के संविधान और तिरंगे झंडे के प्रति वफादारी रखेगा और अपने संगठन का लोकतंत्रीकरण करेगा। (पटेल -ए-लाइफ पृष्ठ 497, लेखक राजमोहन गांधी प्रकाशक-नवजीवन पब्लिशिंग हाउस, 2001) आर.एस.एस. वाले अब इस अंडरटेकिंग को माफीनामा नहीं मानते लेकिन उन दिनों सब यही जानते थे कि गोलवलकर की रिहाई माफी माँगने के बाद ही हुयी थी।

बहरहाल हम इसे अंडरटेकिंग ही कहेंगे। इस अंडरटेकिंग को देकर सरदार पटेल से रिहाई माँगने वाले संगठन का मुखिया यह दावा नहीं कर सकता कि सरदार उसके अपने बंदे थे। सरदार पटेल को अपनाने की कोशिशों को उस वक्त भी बड़ा झटका लगा जब लालकृष्ण आडवाणी गृहमंत्री बने और उन्होंने वे कागजात देखे जिसमें बहुत सारी ऐसी सूचनाएं दर्ज हैं जो अभी सार्वजनिक नहीं की गयी हैं। 

जब 1947 में सरदार पटेल ने गृहमंत्री के रूप में काम करना शुरू किया तो उन्होंने कुछ लोगों की पहचान अंग्रेजों के मित्र के रूप में की थी। इसमें आरएसएस वाले भी बताए जाते हैं। पटेल इन्हें शक की निगाह से देखते थे। लिहाजा इन पर उनके विशेष आदेश पर इंटेलीजेंस ब्यूरो की ओर से सर्विलांस रखा जा रहा था। पूरे देश में बहुत सारे ऐसे लोग थे जिनकी अंग्रेज भक्ति की वजह से सरदार पटेल उन पर नजर रख रहे थे। सरदार की सर्विलांस की लिस्ट में कम्युनिस्ट भी थे। कम्युनिस्टों के अलावा इसमें अंग्रेजों के वफादार राजे महाराजे थे। लेकिन सबसे बड़ी संख्या आर.एस.एस. वालों की थी, जो शक के घेरे में आए लोगों की कुल संख्या का 40 प्रतिशत थे।

शेष नारायण सिंह
शेष नारायण सिंह

गौर करने की बात यह है कि महात्मा जी की हत्या के पहले ही, सरदार पटेल आर.एस.एस. को भरोसे लायक संगठन मानने को तैयार नहीं थे लेकिन आज नरेंद्र मोदी इस तरह सरदार पटेल को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं जैसे वे उनके अपने ही पूर्वज थे। http://www.hastakshep.com

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