चाटुकारिता नहीं, राजाओं के व्यवहार पर लगाम भी लगाते थे चारण

104423608 जून के पंजाब केसरी के अंक में विशेष संपादकीय “चारण नहीं नेता बनो” में अश्विनी कुमार ने चारण शब्द का गलत इस्तेमाल किया| चारण समाज द्वारा इस विशेष संपादकीय में चारण शब्द के गलत इस्तेमाल पर रोष व्यक्त करने पर अश्विनी कुमार ने सफाई दी कि उन्होंने उनका चारण से मंतव्य चाटुकार व चापलूस से था किसी जाति, समुदाय या व्यवसाय से जुड़े लोगों से नहीं| साथ ही अश्विनी कुमार इस सफाई में खेद व्यक्त करते हुए लिखते है कि कुछ लोगों की जातिपरक संवेदनाओं को ठेस पहुंची है जो उनका मंतव्य नहीं|
अश्विनी कुमार जी आपने अपनी सम्पादकीय में लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए पता नहीं क्या लिखा होगा, मैंने नहीं पढ़ा, लेकिन आपने अपनी सफाई में भी अपने शब्दों का जाल बुनते हुए, खेद प्रकट करते हुए फिर पुरे चारण समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है जो फेसबुक आदि सोशियल साइट्स पर व्यक्त करते हुये चारण युवा आपके प्रति रोष प्रकट कर रहे है|
अश्विनी कुमार जी आपने तो अपनी सफाई में चारण शब्द को चाटुकारिता और चापलूसी का प्रयायवाची शब्द बना दिया क्या ये किसी भी जाति या समुदाय के लिए आहात होने के लिए कम है ?? यदि आपकी ही तरह अन्य लोग भी चापलूसी या चाटुकारिता के लिए चारण शब्द का इस्तेमाल करने लगे तो देश की नई पीढ़ी आप जैसे संपादकों की लिखी इस घटिया लेखनी को पढ़कर पुरे चारण समुदाय को चापलूस और चाटुकार ही समझेगी| और यदि ऐसा हुआ तो इसके दोषी आप जैसे लेखक होंगे जो एक ऐसी जाति या समुदाय को जो स्वाभिमानी के लिए मर मिटने के लिये, संकट के समय देश पर आई विपदा के समय सैनिकों, योद्धाओं को बलिदान देने के लिए तैयार करने के लिये, राजाओं के गलत आचरण पर उन्हें खरी-खोटी सुनाकर उनके आचरण पर अंकुश लगाने के लिये, अपनी अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा के लिए प्राणों की बाजी लगा देने वाले समुदाय को चापलूस व चाटुकार का पर्यायवाची बनाने के आप जिम्मेदार होंगे|

रतन सिंह शेखावत
रतन सिंह शेखावत

अश्विनी कुमार जी राजाओं के राज में चारण कवि अपनी अभिव्यक्ति की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दिया करते थे, क्या आज आप आपके संस्थान के पत्रकार अभिव्यक्ति की आजादी के लिए चारण कवि उदयभान जी बारहट जो मेवाड़ राज्य के ताजिमी सरदार भी थे, ने अपनी अभिव्यक्ति की आजादी के लिए मेवाड़ के तत्कालीन महाराणा राजसिंह को यह जानते हुए भी फाटकर दिया कि फटकार के तुरंत बाद महाराणा गुस्से में उनका सिर तोड़ सकते है| और हुआ भी यही|
अश्विनी कुमार जी क्या आपको पता है कि जिस चारण जाति को आप चापलूसी का पर्याय समझते है उसी जाति के निर्भीक कवि वीरदास चारण(रंगरेलो)ने जैसलमेर राज्य का जैसा देखा वैसा वर्णन जैसलमेर के राजा के भरे दरबार में कर दिया, अपने राज्य की कमियों के बखान पर राजा की चेतावनी भी जब कवि ने नजरअंदाज की तो उसे जेल की कोठरी में डाल दिया गया| कवि ने जेल स्वीकारी पर चापलूसी नहीं| क्या आप या आपका कोई पत्रकार सरकार के खिलाफ ऐसी हिमाकत कर सकता है ?
अश्विनी कुमार जी आपने उस जाति को चापलूस का पर्याय बनाने की कोशिश की जिस जाति में कवि नरुजी बारहठ जैसे स्वाभिमानी कवि पैदा हुये, जिन्होंने उदयपुर पर आक्रमण के आई औरंगजेब की सेना का अकेले मुकाबला किया, यदि उन्हें चापलूसी ही करनी होती तो वहां मरने की बजाय किसी राजा के दरबार की शोभा बढ़ा रहे होते|
अश्विनी कुमार जी आपने चारण कवि करणीदान की बेबाकी के बारे में नहीं जानते, जिन्होंने पुष्कर में एकत्र राजाओं की महफ़िल में जोधपुर के राजा के इस आग्रह पर – “दोनों राजा आपसे एक ऐसी कविता सुनने को उत्सुक है जो अक्षरश: सत्य हो और एक ही छंद में हम दोनों का नाम भी हो|” कवि ने अपनी ओजस्वी वाणी में दोनों राजवंशों के सत्य कृत्य पर छंद सुनाया तो दोनों नरेशों की मर्यादा तार तार हो गयी-
पत जैपर जोधांण पत, दोनों थाप उथाप|
कुरम मारयो डीकरो, कमधज मारयो बाप ||

(छंद में कुरम शब्द जयपुर राजवंश के कुशवाह वंश व कमधज जोधपुर राजघराने के राठौड़ वंश के लिए प्रयुक्त किया गया है)
10433089अश्विनी कुमार जी चारण जाति जिसे आप और आप जैसी सोच वाले बहुत से लेखक चापलूसी और चाटुकारिता का पर्यायवाची समझती है, उन्हें चारण जाति और चारण कवियों के इतिहास के अध्ययन की जरुरत है जिस दिन आप चारण जाति या कुछेक चारण कवियों का इतिहास पढ़ लेंगे आप शायद ही ऐसे शब्दों का प्रयोग करेंगे| साथ ही मेरी तरह चारण जाति में जन्म ना लेने के बावजूद भी किसी द्वारा चारणों को चापलूस या चाटुकार कहने पर आपकी भावनाएं भी उतनी ही आहत होगी जितनी किसी एक चारण समुदाय में जन्में व्यक्ति की|
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चारण समाज द्वारा तीव्र विरोध के बाद अश्विनी कुमार ने माफ़ी मांगी, चारण समाज द्वारा दायर मुकदमें का फैसला भी होना है !!
http://www.gyandarpan.com

2 thoughts on “चाटुकारिता नहीं, राजाओं के व्यवहार पर लगाम भी लगाते थे चारण”

  1. Ratan Singh ji sa shekhawat, jai mata ji ki sa, mera vyaktigat anubhav hai ki aaj bhi acche thikane ke rajpoot sirdar charan samaj ko apna abhinn ang mante hai. iske liye aap sabhi ko sadhuvad aur jagdamba ki kripa sabhi par bani rahe. Bahut aabhar.

  2. None else but a true rajput could elaborate those facts the way you did….kudos to you for that sir!!!

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