उपभोक्ता को बर्बाद कर रही हे मोबाइल कंपनिया

हेमेन्द्र सोनी
हेमेन्द्र सोनी
इंटरनेट…इंटरनेट…इंटरनेट…..
नाक में दम कर दिया हे इस मुए इंटरनेट ने यह गले की एक ऐसी हड्डी बन गई हे जिससे ना तो खाये बनता हे और ना ही उगलते । आज हम सब इसके आदि हो चुके हे हमारी जिंदगी का एक अहम् हिस्सा बन गया हे । चाहे जेब में चाय पिने के लिए पैसे नहीं मिलेंगे किन्तु मोबाइल में नेट पैक जरूर मिल जाएगा । कहने का मतलब हे की आज जब हमारी जिंदगी इसकी आदि हो चुकी हे हमारे सारे कार्य इसके बिना रुक जाते हे व्यापार ठप्प हो जाते हे ।
ऐसे में दूरसंचार कंपनिया जिसमे सरकारी कंपनी bsnl भी शामिल हे उपभोक्ताओं को इंटरनेट प्लान के नाम पे लूट रही हे । इंटरनेट प्रोवाइड करने वाली कोई भी कंपनी यह दावा नहीं कर सकती की में पूरी ईमानदारी से उपभोक्ता को इंटरनेट प्लान उपलब्ध करवा रही हु ।
नेट बेलेंस के mb और gb तो ऐसे साफ़ होते हे की उपभोक्ता मुंह ताकत रह जाता हे और शिकायत करने पे आज तक किसी को भी वापस डाटा उपलब्ध नहीं कराया गया । 1 महीने के प्लान को कोई कंपनी 28 दिन कोई 26 दिन का उपलब्ध करा रही हे और उसमे भी पहले 1 gb आता था अब mb में आता हे क्या लगा रखा हे इन्होंने ये । कैसा मजाक हे उपभोक्ता के साथ । थोड़ा सा नेट चलाया थोड़ी फोटू और vdo clip लोड करी ओर नेट बेलेन्स साफ़ ।
इन सभी कम्पनियो ने नेट कनेक्शन तो जारी कर दिए लेकिन उसके अनुपात में टावर और संशाधन नहीं लगाए जिसकी बदौलत 3 g की स्पीड भी ऐसे चलती हे की वो 2 g का भी काम नहीं करती । अगर 3 g के पैसे आप ले रहे हो तो 3 g की स्पीड भी तो दो । नेट कनेक्टिविटी कभी भी प्रोपर रूप से कार्य नहीं करती कब आपका नेट disconnect हो जाए कोई नहीं कह सकता कब स्पीड कम हो जाए कोई नहीं कह सकता । ट्राई को इसकी और नेट न्यूट्रिलिटी की जांच करवा के उपभोक्ता को उसके हक़ की स्पीड और बिना बाधा के नेट चले उसका इंतजाम और आज तक जो पैसा 3 g के नाम से लूट चुकी हे उसको वापस दिलाये और नेट की स्पीड की जांच करने के लिए हर कंपनी के ऑफिस में स्पीडोमीटर की व्यस्था कराये ।
ट्राई ने तो शुरू शुरू में इनपे नकेल कसी थी लेकिन अब वो भी आँखे और कान बंद करके बेठ गया ट्राई को कोई मापदंड तय करना चाहिए की जिसमे मिनिमम चार्ज की सीमा हो की कम कम से कम प्लान इतने रूपये में इतनी स्पीड का इतने समय के लिए देना जरुरी हे । वो तो पाबंदी लगाती नहीं हे और इनको बेलगाम घोड़े की तरह छुट दे रखी हे ।
लूट के खेल को रोकने के लिए कोई सरकारी पाबन्दी नहीं हे और हे जिसका पालन नहीं होता हे क्यों की जब देश और सरकार उद्योपतियों के इशारो पे चल रहि हे तो किसकी हिम्मत हे जो शेर के जबड़े में हाथ डाले । मोबाइल ऑपरेटर की दादागिरी का इसका एक उदाहरण कुछ दिन पहले जयपुर में जज के घर के सामने 4 g टावर बिना परमिशन लगा दिया उसका बहुत हंगामा हुवा और अंततः उसे हटाना पड़ा ।
हेमेन्द्र सोनी @ bdn ब्यावर

error: Content is protected !!