भारत को पाकिस्तान से युद्ध करने के लिए उचित अवसर का निर्माण करना चाहिए

डॉ. मोहनलाल गुप्ता
डॉ. मोहनलाल गुप्ता
मेरे पूर्ववर्ती आलेख ‘‘पाकिस्तान भारत को युद्ध के लिए क्यों उकसा रहा है ?’’ पर कुछ मित्रों ने प्रश्न उठाए हैं कि तो क्या भारत में वह क्षमता ही नहीं है कि वह पाकिस्तान के परमाणु हमले का सामना कर सके या पाकिस्तान पर आगे बढ़कर हमला कर सके! एक बार भारत सरकार, सेना के हाथ खोल दे तो फिर वह हमें दिखा देगी कि पाकिस्तान दुनिया के नक्शे पर कहां दिखाई देता है लेकिन भारत सरकार वह हिम्मत ही नहीं जुटा पा रही।
इन प्रश्नों का उत्तर हमें दो स्थानों पर ढूंढने का प्रयास करना चाहिए। पहला स्थान है मानव जाति का इतिहास और दूसरा स्थान है वर्तमान परिस्थितियां। मानव जाति का इतिहास हमें यह बताता है कि समझदार, जिम्मेदार तथा नैतिकता से भरपूर पक्ष प्रायः नासमझ, गैर जिम्मेदार तथा अनैतिक पक्ष के सामने कमजोर होता है, जैसे राक्षसों के सामने देवता थे, महाभारत की चाण्डाल चौकड़ी के सामने पाण्डव थे, वैसे ही आज के अच्छे लोग हैं। इतिहास हमें यह भी बताता है कि अच्छे मनुष्य को नीच के विरुद्ध लड़ने के लिए नीच बनाना पड़ता है। भगवान पर कोई अपवाद लागू नहीं होता इसलिये भगवान विष्णु ने धर्म पर अडिग देवताओं को बचाने के लिए और श्रीकृष्ण ने सत्य पर अडिग पाण्डवों को बचाने के लिए वह सब किया जो बुराई से जीतने के लिए आवश्यक है।
हम स्वयं ही विचार करके देखें, महाभारत युद्ध का परिणाम क्या हुआ! कौरवों की 11 अक्षौहिणी और पाण्डवों की 7 अक्षौहिणी सेनाएं पूर्णतः नष्ट हो गईं। कौरव पक्ष में से अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा जबकि पाण्डव पक्ष में से पांच पाण्डव और श्रीकृष्ण, युयुत्सु, वर्षकेतु तथा सात्यकि ही जीवित बचे।
प्रथम विश्व युद्ध में दुनिया के 4 से 5 करोड़ लोग मारे गए लेकिन युद्ध अधूरा रह गया इसलिये 20 साल बाद ही द्वितीय विश्व युद्ध फूट पड़ा। उसका क्या परिणाम रहा! 6 से 8 करोड़ लोग और मारे गए। इतने पर भी क्या दुनिया सुखी हो गई! पूरी दुनिया महंगाई, बेरोजगारी, भूख, सूखे, बीमारी और महामारी की चपेट में आई! जिस इंग्लैण्ड के राज्य में सूर्य नहीं डूबता था वह केवल इंग्लैण्ड तक सीमित रह गया। हिरोशिमा और नागासाकी आज तक सिसक रहे हैं।
1948 के भारत-पाक युद्ध में भारत के लगभग 1500 सैनिक मारे गए और 3000 घायल हो गए तथा भारत को लगभग एक तिहाई कश्मीर से हाथ धोना पड़ा।
भारत एवं चीन के बीच हुए 1962 के युद्ध का क्या परिणाम हुआ! भारत का लगभग एक तिहाई काश्मीर और हाथ से निकल गया। भारत के लगभग 1400 सैनिक मारे गए, 1100 घायल हुए, 2000 गायब हुए तथा 2000 भारतीय सैनिकों को चीन पकड़ कर ले गया।
1965 के भारत-पाक युद्ध में भारत के 3000 से अधिक सैनिक मारे गए अथवा घायल हुए। भारत के 175 टैंक तथा 75 वायुयान नष्ट हुए और 777 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर पाकिस्तान ने और कब्जा कर लिया।
1971 के भारत-पाक युद्ध में भारत के लगभग 3000 सैनिक मारे गए, 12 हजार सैनिक घायल हुए तथा भारत के 45 विमान लापता हुए। भारत ने पाकिस्तान के लगभग 6 हजार वर्ग मील क्षेत्र पर कब्जा किया किंतु वह धरती अंतराष्ट्रीय दबावों के चलते शत्रु को पुनः लौटानी पड़ी। इस युद्ध का अंत पाकिस्तान के लगभग 92 हजार सैनिकों के आत्मसमर्पण से हुआ किंतु उन्हें जीवित छोड़ दिया गया। क्या कोई भी देश इतनी बड़ी संख्या में निहत्थे शत्रु सैनिकों को मार सकता था! सभ्य समाज के लिए यह किसी भी तरह संभव नहीं था।
1999 के कारगिल युद्ध में भारत के लगभग 500 सैनिक मारे गए एवं 1500 सैनिक बुरी तरहघायल हुए। जिस तरह कारगिल को युद्ध घोषित नहीं किया गया, उसी तरह कारगिल के बाद भी जो चल रहा है, वह युद्ध ही है किंतु अघोषित है। निश्चित रूप से सैनिकों की मृत्यु के रूप में हर बार पाकिस्तान का नुक्सान हमसे ज्यादा हुआ है किंतु क्या कोई भी युद्ध अंतिम और निर्णायक हुआ है?
यद्यपि युद्ध में कोई निश्चितता नहीं होती तथापि यदि यह मान लिया जाए कि इस बार का युद्ध निर्णायक होगा तथा पाकिस्तान सम्पूर्णतः नष्ट हो जाएगा और धरती के नक्शे से मिट जाएगा किंतु भारत के लिए वह जीत कैसी होगी! भारत की लगभग एक तिहाई जनसंख्या समाप्त हो चुकी होगी। एक तिहाई जनसंख्या परमाणु विकीरण से सिसक रही होगी और शेष एक तिहाई जनसंख्या, भुखमरी की शिकार होगी। क्या भारत को प्रत्यक्ष युद्ध छेड़कर यह कीमत चुकानी चाहिये!
यह तय है कि पाकिस्तान जब तक जीवित है, अपनी दुष्टता से बाज नहीं आएगा किंतु वर्तमान परिस्थितियों में उसका वही इलाज उचित है जो भारत सरकार कर रही है। मेरी समझ में भारत को आगे बढ़कर युद्ध छेड़ने की बजाय इस बात के प्रयास करने चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय शक्तियों के साथ मिलकर पाकिस्तान का परमाणु जखीरा, या तो वहीं नष्ट किया जाए या छीना जाए। ऐसा माना जाता है कि तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने क्वेटा पर आक्रमण करके पाकिस्तान की सामरिक शक्ति को पूर्णतः कुचलने की योजना बनाई थी किंतु दुर्भाग्य से यह काम होने से पहले ही उनकी हत्या हो गई।
रही बात विश्व की शक्तिशाली शक्तियों की, इनमें से कोई भी अंतिम रूप से विश्वसनीय नहीं है। महाभारत के युद्ध में नकुल और सहदेव का मामा मद्रराज्य शल्य, कौरवों की तरफ से लड़ा था। भगवान के अनन्य भक्त तथा पाण्डवों से प्रेम करने वाले भीष्म पितामह, कुरुकुल के गुरु द्रोण और कृपाचार्य भी कौरवों की तरफ से लड़े थे। यहां तक कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी सम्पूर्ण नारायणी सेना, दुर्योधन द्वारा मांग लिए जाने के कारण कौरवों को दे दी थी। युद्ध तो युद्ध है, इसके अधिकांश समीकरण सदैव तात्कालिक ही होते हैं।
जो बात मानव को मानव बनाए रखती है वह यह है कि मनुष्य को कायरता का नहीं, शौर्य का चयन करना चाहिये। शत्रु के विनाश के लिये उसके मन में सदैव ललक और उत्साह होना चाहिये। अच्छे मनुष्यों को युद्ध से कदापि नहीं डरना नहीं चाहिए तथा युद्ध के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए किंतु हमारे समस्त धर्मग्रंथ हमें बताते हैं कि युद्ध सोच-समझ कर तथा अंतिम विकल्प के रूप में करना चाहिए। भगवान राम ने अंगद को शांतिदूत बनाकर भेजा था। भगवान श्रीकृष्ण तो स्वयं ही शांतिदूत बनकर गए थे किंतु दोनों ही परिस्थितियामें में जब यह लगा कि युद्ध अनिवार्य है, तब उन्होंने युद्ध करने में संकोच भी नहीं दिखाया।
युद्ध में जोश के साथ-साथ होश भी पूरा रखना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण कालयवन से लड़ते हुए रण छोड़कर भाग गए और उन्होंने रणछोड़ नाम स्वीकार करके कालयवन को मुचुकुंद ऋषि से मरवाया। शेर भी आक्रमण से पहले अपनी और सामने वाले की शक्ति का आकलन करता है तथा अवसर आने पर ही वार करता है। आक्रमण के समय केवल आगे ही नहीं भागता, पीछे भी कदम रखता है। परमाणु शक्ति से सम्पन्न भारत को, परमाणु शक्ति से सम्पन्न पाकिस्तान से लड़ने के लिए अंत तक समझदारी से ही काम लेना होगा। धरती पर यही एक मात्र हिन्दू देश बचा है, यदि किसी गलत निर्णय के कारण यह नष्ट हो गया तो दुनिया से हिन्दू जाति ही सदैव के लिए नष्ट हो जाएगी। फिर विश्व को शांति का संदेश देने के लिए कौन बचा होगा! नेपाल, मॉरीशस और इण्डोनेशिया में भी कहने के लिए हिन्दू रहते हैं, किंतु वे हिन्दुत्व के प्राण तत्व से लगभग दूर हो चुके हैं। निःसंकोच कहा जा सकता है कि भारत सरकार ने सेना के हाथ नहीं बांध रखे हैं, समय आने पर ये हाथ खुले हुए ही दिखाई देंगे।
– डॉ. मोहनलाल गुप्ता

1 thought on “भारत को पाकिस्तान से युद्ध करने के लिए उचित अवसर का निर्माण करना चाहिए”

  1. I dont think so pakistan ke saath ek baar phir se poori Dam ke saath fight karni hogi jisse use uski aaukat pta chale

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