नीचे गिरने की हद हो गई

प्रेम आनंदकर
यह तो नीचे गिरने की पराकाष्ठा है। और कितना नीचे गिरोगे। राजनीति में शुचिता नाम की भी कोई चीज है या नहीं। जिस राम का नाम जाप कर और उसके मंदिर का राग अलाप कर सत्ता में आई भाजपा आज अपनी राजनीतिक और सत्ता की भूख मिटाने के लिए उसी राम की बेकद्री करने वाले विरोधी दलों के नेताओं को गले लगा रही है। मसला समाजवादी पार्टी छोड़ कर भाजपा में शामिल किए गए नरेश अग्रवाल से जुड़ा है। “व्हिस्की में विष्णु बसे, रम में श्रीराम, जिन में माता जानकी, ठर्रे में हनुमान।” जैसी बेतुकी बयानी करने वाले नरेश अग्रवाल को गले लगाने पर राष्ट्रवादी पार्टी भाजपा को अपने ही नेताओ और कार्यकर्ताओं के तीखे विरोध का सामना करना पड़ रहा है। भाजपाइयों के विरोध और तीखे तेवरों से सोशल मीडिया रंगा हुआ है। अग्रवाल राजनीतिक बदजुबानी में बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। यही कारण है कि वे समाजवादी पार्टी की ओर से दोबारा राज्यसभा भेजी जाने वाली संजीदा अभिनेत्री जया बच्चन को फिल्मों में नाचने गाने वाली बताने से भी नहीं चूके। वैसे अग्रवाल की राजनीतिक यात्रा कम रोचक नहीं है। पहले कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और फिर सपा होते हुए अब भाजपा में पधारे हैं। यानी वे घाट-घाट का पानी पिये हुए हैं। तो क्यों नहीं भाजपा ऐसे विलक्षण प्रतिभा के धनी और राजनीति में माहिर नेता को गले लगाती। जिस तरह भाजपा को अपने ही लोगों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है, उससे यह बात अभी तक समझ नहीं आ रही है कि भाजपा आखिर कौनसा लक्ष्य और राजनीतिक हित साधना चाहती है। क्यों वह इतनी गिर रही है। आखिर उसकी मंशा क्या है। भाजपा और उसके शीर्ष नेता देश का राजनीतिक रूप से पतन करने पर तुले हुए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सत्ता की भूख मिटाने के लिए इतना नीचे गिरा जाना उचित है। कहीं ऐसा ना हो कि भाजपा और उसके नेतृत्व को इस तरह के फैसलों की कीमत चुकानी पड़ जाए। जिस तरह देश के राज्यों में उसका विजयी रथ दौड़ रहा है, कहीं उसके पहिए थम नहीं जाएं। भाजपा के लिए यह सोचने-विचारने का समय है। यदि वह और उसके नेता इसी तरह के बेतुके निर्णय करते रहे, तो वह दिन दूर नहीं, जब राजनीतिक बर्बादी के लिए भाजपा का नाम प्रमुखता से लिया जाएगा। सोशल मीडिया पर अपने ही लोगों और बुद्धिजीवियों द्वारा की जा रही टिप्पणी को भाजपा को गम्भीरता से लेना होगा, अन्यथा उसे सिमटने से कोई नहीं रोक सकेगा।

-प्रेम आनन्दकर, अजमेर, राजस्थान।

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