-जयपुर की पुलिस सब इंस्पेक्टर बबीता को मिले राष्ट्रपति पुरस्कार, ब्यावर की सभापति बबीता को मिले नारी सशक्तिकरण का सम्मान, अजमेर नगर निगम के जेईएन मीणा को मिले उत्कृष्ट कार्य का इनाम
वाकई इन तीन महान हस्तियों को 15 अगस्त स्वाधीनता दिवस समारोह में सम्मानित किया जाना चाहिए, क्योंकि इन्होंने बहादुरी के काम किए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा” के संकल्प पर करारी चोट मारकर अपना बुलंद हौसला दिखाया है। पुलिस सब इंस्पेक्टर बबीता को तो 50 लाख रुपए की रिश्वत मांगने पर ना केवल पुलिस महकमे को उसकी पीठ थपथपानी चाहिए, बल्कि राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार से भी नवाजने के लिए सरकार से सिफारिश करनी चाहिए। पुलिस महकमे को वाकई ऐसे होनहार और जाबांज अधिकारियों की जरूरत है। वैसे भी पुलिस महकमे का ध्येय वाक्य “अपराधियों में भय, आमजन में विश्वास” को तो पहले ही पलीता लग चुका है। अब यह ध्येय वाक्य पलट कर “आमजन में भय, अपराधियों में विश्वास” हो चुका है और इसे पूरी तरह कामयाब बनाने में पुलिसिए रात-दिन जी-जान से जुटे हुए हैं। थानों पर फरियादियों की सुनवाई नहीं होती, उल्टे उन्हें डंडे का जोर दिखाया जाता है और अपराधियों को पनाह दी जाती है। ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ शिकायत की जाती है तो जांच के नाम पर ना केवल लीपापोती कर दी जाती है, बल्कि झूठी गवाहियों के सहारे सम्बंधित को क्लीन चिट भी दे दी जाती है। अब ऐसे में पुलिसियों के हौसले बुलंद होना लाजिमी है। नगर परिषद, ब्यावर (जिला अजमेर) की सभापति बबीता चौहान ( भाजपा) को भी बहादुरी के साथ-साथ नारी सशक्तिकरण के लिए सर्वोच्च सम्मान (यदि हो तो) नवाजा ही जाना चाहिए। मुफलिसी के दौर से गुजरते हुए राजनीति की सीढ़ी पर चढ़कर सभापति बनी बबीता ने बहुत कम समय मे अकूत धन-दौलत जोड़ कर यह साबित कर दिया है कि नारी भी किसी से और किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। इसी प्रकार अजमेर नगर निगम के कनिष्ठ अभियंता (JEN) राजेश मीणा और बतौर निर्दलीय चुनाव जीत कर भाजपा का समर्थन करने वाले पार्षद राजेंद्र सिंह पंवार को भी 50-50 हजार रुपए की मांगने जैसे उत्कृष्ट कार्य करने के लिए कम से कम अजमेर में होने वाले जिला स्तरीय स्वाधीनता दिवस समारोह में सम्मानित किया ही जाना चाहिए। भले ही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राजस्थान में इस साल नवम्बर-दिसम्बर में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए गौरव यात्रा निकाल रही हैं, लेकिन प्रदेश के यह होनहार उनकी इस यात्रा को वास्तव में “गौरवमयी” बना रहे हैं। इन तीनों की हिम्मत की “दाद” दी जानी चाहिए। वाकई यह तीनों “शाबाशी” के “काबिल” हैं। अब दुनिया वाले और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) इनकी “कामयाबी” से “जलें” तो उनका क्या कसूर।
-प्रेम आनन्दकर, अजमेर, राजस्थान।
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