वसुंधरा राजे: अबूझ पहेली

वसुंधरा राजे एक अबूझ पहेली बनी हुई है। वे इन दिनों क्या सोच रही हैं? उनकी गतिविधियां कैसी हैं? उनकी आगे की रणनीति क्या है? क्या उनकी चुप्पी तूफान से पहले की षांति है? क्या वे जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिये उक्ति की पालना करते हुए तटस्थ हैं? क्या उन्होंने हालात के साथ समझौता कर लिया है और उपयुक्त समय का इंतजार कर रही हैं? क्या वे लोकसभा चुनाव के बाद बदले हालात के अनुरूप कदम उठाने की सोच रही हैं? कुछ भी पता नहीं। मीडिया को कुछ भी भनक नहीं लग रही। राजनीतिक लोग भी इस गुत्थी को सुलझा नहीं पा रहे। पिछले दिनों कुछ महत्वपूर्ण अवसरों पर उनकी अनुपस्थिति कई प्रकार षंकाएं उत्पन्न कर रही है। या फिर सारी आषंकाएं निर्मूल साबित हो जाएंगी। वैसे जानकारी ये आ रही है कि वे अपनी अस्वस्थ पुत्र वधु निहारिका की देखरेख में व्यस्त हैं। लेकिन कुछ लोग इस पर यकीन नहीं कर रहे। असल में ऐसा उनके अब तक के मिजाज की रोषनी में सोचा जा रहा है। उनको गहरे से जानने वाले कहते है कि वे इतनी आसानी से हार नहीं मानने वाली। या फिर किसी बडी मजबूरी के चलते कछुए की तरह अपने अस्त्र षस्त्रों तरकष में छुपाए हुए हैं। तो फिर क्या होगा? किसी भी प्रकार का कयास लगाना असंभव है। उचित भी नहीं। सब कुछ भविश्य के गर्भ में स्थित है। तो इंतजार करना ही होगा।

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