आडवाणी के लेख में कुछ भी तो गलत नहीं

वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने हाल ही अपने ब्लॉग पर आगामी आम चुनाव की संभावनाओं बाबत जो लेख लिखा है, उसको लेकर भाजपा के अन्य नेता भले ही परेशान हों, मगर उन्होंने जो बातें लिखी हैं, उनमें काफी हद तक सच्चाई ही है। भाजपा को तकलीफ ये है कि खुद उसी का शीर्ष नेता अगर ये कहता है कि भाजपा की सरकार बनना पक्का नहीं है, तो इससे पार्टी का मनोबल गिर सकता है।
असल में आडवाणी ने लिखा है कि पिछले ढ़ाई दशक में राष्ट्रीय राजनीति का जो स्वरूप बना है, उसमें यह प्रत्यक्षत: असंभव है कि नई दिल्ली में कोई ऐसी सरकार बन पाए जिसे या तो कांग्रेस अथवा भाजपा का समर्थन न हो। इसलिए तीसरे मोर्चे की सरकार की कोई संभावना नहीं है। हालांकि एक गैर-कांग्रेसी, गैर-भाजपाई प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार, जिसे इन दोनों प्रमुख दलों में से किसी एक का समर्थन हो, बनना संभव है। ऐसा अतीत में भी हो चुका है।
मौजूदा हालत के मद्देनजर उनका कयास सुनिश्चित भले ही न हो, मगर जिस बात की संभावना वे जता रहे हैं, वह सच्चाई के काफी नजदीक है। उनका यह तर्क बिलकुल सही है कि चौ. चरण सिंह, चन्द्रशेखरजी, देवेगौड़ाजी और इन्द्र कुमार गुजरालजी के प्रधानमंत्रित्व वाली सरकारें (सभी कांग्रेस समर्थित) और विश्वनाथ प्रताप सिंह (भाजपा समर्थित) सरकार के उदाहरणों से स्पष्ट है कि ऐसी सरकारें ज्यादा नहीं टिक पातीं। केंद्र में तभी स्थायित्व रहा है जब सरकार का प्रधानमंत्री या तो कांग्रेस का हो या भाजपा का।
जहां तक आडवाणी के लेख पर भाजपा नेताओं को सांप सूंघने का सवाल है तो उन्होंने इतनी पार्टी विरोधी बात भी नहीं कही है। एक भाजपा नेता को अपनी पार्टी के प्रति सोफ्ट कॉर्नर रखते हुए जो कहना चाहिए, वही तो उन्होंने कहा है। बानगी देखिए-
सामान्यतया लोग मानते हैं कि लोकसभाई चुनावों में कांग्रेस का सर्वाधिक खराब चरण आपातकाल के पश्चात् 1977 के चुनावों में था। लेकिन इस पर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए यदि आगामी लोकसभाई चुनावों में कांग्रेस का हाल सन् 1952 से अब तक के इतिहास में सर्वाधिक खराब रहे। यह पहली बार होगा कि कांग्रेस पार्टी का स्कोर मात्र दो अंकों तक सिमट कर रह जाएगा यानी कि सौ से भी कम! कर्नाटक की गड़बड़ी के बावजूद, जहां तक भाजपा का सम्बन्ध है तो हाल ही के सभी जनमत सर्वेक्षण साफ तौर पर बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी के तेजी से सिकड़ते आधार से मुख्य फायदे में रहने वाली पार्टी-भाजपा ही रहेगी!
असल में भाजपा नेताओं को आडवाणी की बेबाकी इस कारण नहीं  पच रही क्योंकि उनके इस बयान के बाद भाजपा को यह दावा करना कठिन होगा कि आगामी सरकार भाजपा पूर्ण बहुमत से बनाने में सक्षम है। दावा तो हर कोई दल सच्चाई से इतर अपने पक्ष में ही करता है, भले ही मन ही मन सब समझ में आ रहा हो।
बहरहाल, आडवाणी के जिस आलेख को लेकर भाजपा नेता बगलें झांक रहे हैं, वह ही पढ़ लीजिए।
पूरे आलेख को पढऩे के लिए निम्न लिखित लिंक पर क्लिक कीजिए-
आडवाणीज ब्लॉग

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