सेन पर मित्रा के बयान पर घमासान, भाजपा ने पल्ला झाड़ा

amartya senभाजपा के सांसद चंदन मित्र द्वारा नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन से भारत रत्न वापस लिए जाने की मांग पर गुरुवार को राजनीतिक तूफान मच गया। कांग्रेस ने जहां भाजपा को खरीखोटी सुनाई वहीं अमर्त्य सेन ने कहा कि यदि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कहें तो वे अलंकरण लौटाने के लिए तैयार हैं। इस बीच भाजपा ने इस प्रकार से यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि उसकी पार्टी के सांसद चंदन मित्रा का अमर्त्य सेन से भारत रत्न वापस लेने की मांग ‘उनका निजी विचार’ है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने संवाददाताओं द्वारा इस बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, “यह मित्रा की निजी राय है।”
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध अपनी निजी राय जाहिर करने के बाद मित्रा के निशाने पर आए सेन को पूर्व की राष्ट्रीय जनतांत्रिक सरकार (राजग) ने भारत रत्न दिया था, भाजपा जिसकी बड़ी घटक थी। कांग्रेस ने गुरुवार को इसे देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान का अपमान बताया और तानाशाही वाली मानसिकता की झलक करार दिया।  केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि जानेमाने अर्थशास्त्री सेन (79) को अपना विचार व्यक्त करने का अधिकार है। तिवारी ने कहा, “अमर्त्य सेन ने ऐसा क्या किया है। इस देश में लोगों को अपना विचार रखने की आजादी नहीं है। यह विशुद्ध तानाशाही नहीं तो फिर और क्या है।”
अमर्त्य सेन ने एक टीवी साक्षात्कार के दौरान कहा था कि वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उनके रिकार्ड को देखते हुए वे नहीं चाहते कि मोदी देश के प्रधानमंत्री बनें।
कांग्रेस नेता शकील अहमद ने एक ट्वीट में कहा है, “अमर्त्य सेन मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहते, उनका दर्जा नीतीश से नीचे रखा है। इस आलोचना के लिए भाजपा उनसे भारत रत्न छीनना चाहती है। क्या यह असहिष्णुता की पराकाष्ठा नहीं है।” बुधवार को अपने ट्वीट में मित्रा ने कहा था कि आने वाली राजग सरकार सेन से भारत रत्न वापस ले लेगी।
मित्रा की खरीखोटी का भाजपा की प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने भी समर्थन किया है।
वादविवाद के इस दंगल में कवि और राज्य सभा के मनोनीत सदस्य जावेद अख्तर ने अपने ट्वीट में मित्रा पर टिप्पणी की है, “मित्रा की नैतिकता फूटकर सामने आई है-यदि आप भारत रत्न पाना चाहते हैं और उसे बचाए रखना चाहते हैं तो भूलकर भी मोदी के खिलाफ एक शब्द मत बोलिए।”
उधर, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन ने गुरुवार को कहा कि यदि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कहें तो वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता चंदन मित्रा की मांग मानने के लिए तैयार हैं।
अमर्त्य सेन ने टाइम्स नाउ टीवी चैनल से कहा, “चंदन मित्रा शायद यह नहीं जानते कि मुझे भारत रत्न से भाजपा नीत सरकार ने अलंकृत किया था और यह सम्मान मुझे अटल बिहारी वाजपेयी ने सौंपा था। यदि वाजपेयी मुझसे वापस लेना चाहें तो मैं निश्चितरूप से इसे लौटा दूंगा।”
उन्होंने कहा, “नरेंद्र मोदी से सीखने के लिए कई चीजें हैं, लेकिन मैं नहीं मानता कि वे बेहतर प्रधानमंत्री साबित होंगे। मैंने जो कुछ कहा उसे लेकर कोई पछतावा नहीं है। मेरी टिप्पणी का संबंध सिर्फ नरेंद्र मोदी से है, भाजपा से नहीं।”
मशहूर अर्थशास्त्री ने कहा कि उनकी मोदी के बारे में टिप्पणी का मतलब यह नहीं कि वे कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार का समर्थन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “एक भारतीय नागरिक होने के नाते मुझे बोलने का हक है। मैं अपेक्षित प्रधानमंत्री के बारे में बात कर सकता हूं। मुझे भारतीय होने पर गर्व है। धर्मनिरपेक्षता हमारी परंपरा रही है।”
सेन ने एक हालिया टीवी साक्षात्कार के दौरान कहा था, “एक भारतीय नागरिक होने के नाते मैं मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना नहीं चाहता। उन्होंने अल्पसंख्यकों में सुरक्षा बोध पैदा करने के लिए पर्याप्त काम नहीं किया है।”

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