अजमेर। महर्षि दयानन्द सरस्वती विष्वविद्यलाय के कुलपति द्वारा बार बार रिव्यू डी.पी.सी/डी.पी.सी. के सम्बंध में की जा रही बादाखिलाफी के परिणामस्वरूप विवष होकर दिनांक 24.07013 से जारी क्रमिक धरना आज दिनांक 26.07.13 को तीसरे दिन भी जारी रहा, धरने पर आज श्री रामधन मीणा व श्री मुकेष कुमार मीणा बैठे, धरने को श्री मुस्ताक खान, श्री राजेष पुरोहित, श्री राकेष शर्मा, श्री सी.एल. कीर, श्री राकेष भूषण शर्मा, श्री बून्देखां, श्री रतन लाल शर्मा, श्री प्रकाष भम्भानी, श्री रूप सिंह मीणा, श्री राजकुमार खाडें, श्री के, एल. मीणा, श्री आर.एल. डाबरिया, श्री मुकेष लखन, श्री मुकेष मीणा,श्री परमानन्द,श्री नीरज पंवार, श्री राजू सिंह, श्री प्रेम जोनवाल, श्री दुर्गाषंकर मीणा, आदि साहित 45 कर्मचारीयों ने धरना स्थल पर आकर हस्ताक्षर कर सर्मथन प्रदान किया ।
महासंघ के पदाधिकारी श्री मदन लाल मीणा एवं श्री के, एम मीणा ने श्री रामधन मीणा एवं मुकेष मीणा को माला पहना कर कर्मिक धरने पर बैठाया तथा समस्त कर्मचारीयों का आहवान करते हुये मंच से कुलपति से अपील की की समय रहते रिव्यू डी.पी.सी के आदेष जारी नही किये गये तो आमरण अनषन किया जायेगा जिसके गम्भीर परिणामों के विष्वविद्यालय प्रषासन जिम्मेदार होगा । महासंघ के वरिष्ठ सदस्य श्री राजू सिंह ने मंच से कुलपति पर आरोप लगाया कि उन्ही की वजह से रिव्यू डी.पी.सी. के आदेष तैयार होते हुये भी आदेष प्रषारित नही किये जा रहे है । उन्होने कुलपति की हठधर्मिता की निन्दा की, तथा साथियों की सफल धरने हेतु बधाई दी, ओर आगे भी इसी प्रकार धैर्य का परिचय देने की बात कही ।
महासंघ के अध्यक्ष श्री भूप सिंह मीणा ने बताया कि कल महासंघ के पदाधिकारीयों द्वारा माननीय मुख्यमंत्री श्री अषोक गहलोत से मिलकर रिव्यू डी.पी.सी नही किये जाने का पत्र सौपा जायेगा, तथा उन्हे जानकारी दी जायेगी कि राज्य सरकार द्वारा समय समय पर रिव्यू डी.पी.सी के आदेष किये जाने के उपरांत भी विष्वविद्यालय द्वारा रिव्यू डी.पी.सी की प्रक्रिया नही की गई है जो उनकी दलित विरोधी भावना को दर्षाता करता है। जो कि दुरभावनापूर्ण है।
आज मच को सम्बोधित करने वालो मे श्री, दुर्गाषंकर मीणा, श्री परमानन्द बरूना, श्री महेष यादव, श्री प्रेम जानवाल मुख्य थें ।महासंघ के अध्यक्ष सर्वश्री भूपसिंह मीणा ने जानकारी दी कि क्रमिक धरने पर दिनांक 27.07.13 को श्री रामजी लाल डाबरिया एवं श्री प्रेमराज मीणा बैठेगें।