मुस्लिम धर्मगुरु की शिकायत पर निलंबित हुई दुर्गा

durga nagpalआईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सपा प्रमुख मुलायम सिंह बैकफुट पर नहीं जायेंगे। भले ही दुर्गा के समर्थन में कई आंदोलन और धरना-प्रर्दशन का दौर चल रहा हो लेकिन समाजवादी नेताओं को इस विवाद से फायदा ही फायदा नजर आ रहा है। सपा नेतृत्व पूरे प्रकरण को खनन माफियाओं से दूर ले जाकर निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार तोड़े जाने की दुर्गा शक्ति की कार्रवाई से जोड़ कर अपने राजनैतिक हित साधने में लगा है। उसको इस बात का भी संतोष है कि मुस्लिम धर्म गुरू इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। वह दुर्गा के समर्थन में नहीं आ रहे हैं। यानी सपा का मुस्लिम कार्ड चल रहा है। पहले अखिलेश यादव, उसके बाद शिवपाल और अब मुलायम सिंह ने दुर्गा के निलंबन को सही ठहरा कर यह साबित कर दिया है कि उनके लिये वोट बैंक राजनीति से महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है।

मुस्लिम कार्ड की बात इस लिये भी कहीं जा रही है क्योंकि दुर्गा के निलंबन की पटकथा यूपी से सैकड़ों किलोमीटर दूर कर्नाटक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के दो दिवसीय दौरे (28-29 जुलाई 13) के दौरान लिखी गई थी। वहां के एक बड़े मुस्लिम धर्मगुरू ने दुर्गा के निलंबन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस धर्मगुरू से रोजा इफ्तार (28 जुलाई को) के दौरान सीएम अखिलेश यादव और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की मुलाकात हुई थी। बातों ही बातों ने धर्मगुरू ने अखिलेश से शिकवा किया कि आप अकलियतों की बात करते हैं और आपके अधिकारी अकलियत के धर्म स्थलों में तोड़फोड़ कराते हैं। मुलायम के कान खड़े हो गये। मुसलमानों के सहारे अपनी राजनीति चमकाने वाले मुलायम को यह बात कैसे अच्छी लग सकती थी। तुरंत लखनऊ में पंचम तल में बैठी ताकतवर मैडम अधिकारी को फोन मिलाया गया। उन्होंने रात को ही प्रमुख सचिव नियुक्ति को हाईकमान की इच्छा से अवगत करा दिया। मुश्किल से तीन-चार घंटे ही बीते होंगे और आईएएस दुर्गा के हाथ में निलंबन का आदेश पहुंच गया। देर रात्री 11.40 पर प्रेस विज्ञप्ति जारी हो गई। इस बात की भनक कार्यकारी मुख्य सचिव आलोक रंजन को तब लगी जब निलंबन का फरमान जारी हो चुका था। बताते हैं कि पूरे घटनाक्रम से आलोक रंजन को इस लिये दूर रखा गया था क्योंकि वह आईएएस एसोसियेशन के अध्यक्ष भी हैं। दूसरे दिन आईएएस एसोसियेशन के पदाधिकारी अपनी शिकायत लेकर मुख्य सचिव के पास पहुंचे भी थे और उन्होंने न्याय होने का आश्वासन दिया था। कहा जा रहा है कि पूरा गेम सपा के उसी मास्टर मांइड मंत्री नेता ने खेला था जिसका पुत्र हिंडन और यमुना नदी पर अवैध रूप से खनन का कार्य करता है।

हास्यास्पद बात यह है कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव तो दो कदम आगे बढ़ते हुए कहते हैं कि अफसर का निलंबन न होता तो दंगा भड़कता। उनकी बातों से लगता है कि सरकार को सही साबित करने के लिये वह कुछ और नौकरशाहों की भी ‘बलि’ ले सकते हैं। उनका यह कहना कि दुर्गा से ज्यादा गुनाहागार वह अधिकारी हैं जिन्होंने उसे दीवार गिराने के लिये भेजा था, अधिकारियों के दिलों की धड़कन बढ़ाने के लिये काफी है। वैसे नेताजी यह और बता देते कि उनकी सरकार की इतनी सख्ती के बाद भी प्रदेश में दंगा भड़कने का सिलसिला थम क्यों नहीं रहा है, तो ज्यादा अच्छा रहता है और जिन जिलों में दंगा भड़का वहां उनकी सरकार ने कितने अधिकारियों को निलंबित किया है। मुलायम की बातों से लगता है कि उन्हें न्यायपालिका की भी चिंता नहीं है,जो अनाप-शनाप तरीके से बन रहे धार्मिक स्थलों के निर्माण को लेकर सख्त रूख अपनाये हुए है।

बहरहाल, अगर रमजान के पाक माह में अवैध तरीके से बन रही मस्जिद की दीवार तोड़ने की सजा आईएएस दुर्गा नागपाल को दी गई है तो रामपुर में वो लोग (सरकारी अधिकारी) कैसे बच गये जिन्होंने हाल में ही सत्ता के बल पर एक वर्षों पुराना मदरसा बुलडोजर से गिरा दिया था और इस तानाशाही कार्रवाई का विरोध करने पर मदरसे के संचालक को गिरफ्तार तक करा दिया। जनता यहां भी इंसाफ मांग रही है लेकिन अखिलेश सरकार ने इस कृत्य के लिये किसी अधिकारी का निलंबन करना तो दूर हटाना भी उचित नहीं समझा क्योंकि यहां आजम खां का राज चलता है। वह कुछ भी कह और कर सकते हैं। उनको सौ खून भी माफ हैं। फिर ऐसे मदरसों और उसके संचालकों की तो हैसियत ही क्या है।

सोच कर दुख होता है कि अधिकारियों से काम लेने की बजाये उनसे पैर छुलाना ही जिस सत्तारूढ़ दल के नेताओं का परम ध्येय हो उस राज्य का भला कैसे हो सकता है। पैर छूने और परिक्रम करने वाले अफसरों को मलाईदार पोस्टिंग और ईमानदारी से काम करने वालों का निलबंन यह बुरे दौर जैसा है। उस पर ऐसे नेता (पैर छुलाने वाले) शर्मिंदगी उठाने की बजाये जब यह कहें कि सतीश मिश्रा जब मायावती के पैर छूते थे तो क्या मैनें और आपने रोक लिया था, यह बताने के लिये काफी है कि राजनीति और नौकरशाही का स्तर कितना गिर गया है।

ये है निलंबन की प्रेस रिलीज…

पत्र सूचना शाखा, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग, उ0प्र0

निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार को अदूरदर्शी तरीके से हटवाने के कारण साम्प्रदायिक सौहार्द का वातावरण प्रभावित होने पर  दुर्गा शक्ति नागपाल को निलम्बित किया गया
लखनऊ: 28 जुलाई, 2013
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गौतमबुद्ध नगर की उपजिलाधिकारी सुश्री दुर्गा शक्ति नागपाल, आई0ए0एस0 को दिनांक 27 जुलाई, 2013 को जनपद के ग्राम कादलपुर, थाना रबुपुरा के अन्तर्गत एक निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार को बिना विधिक प्रक्रिया का पालन किए अदूरदर्शी तरीके से हटवाने के कारण साम्प्रदायिक सौहार्द का वातावरण प्रभावित होने पर कल ही निलम्बित कर दिया गया था। यह जानकारी आज यहां एक सरकारी प्रवक्ता ने दी। निलम्बन की अवधि में सुश्री नागपाल राजस्व परिषद, उ0प्र0, लखनऊ से सम्बद्ध रहेंगी।

-अजय कुमार, लखनऊ http://bhadas4media.com

error: Content is protected !!