गांव वाले नहीं है दुर्गा शक्ति के पक्ष में

Durga-Shaktiनोएडा। अवैध खनन माफियाओं के खिलाफ मुहिम छेड़ने वालीं गौतमबुद्ध नगर की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल को सस्पेंड करने के अखिलेश सरकार के फैसले की जहां चौतरफा आलोचना हो रही है, वहीं इस विवाद के केंद्र नोएडा के कादलपुर गांव के लोगों के लिए दुर्गा हीरो नहीं हैं। गांववाले अखिलेश सरकार के फैसले को बिल्कुल सही ठहरा रहे हैं। यही नहीं गांववालों ने दुर्गा का सस्पेंशन रद्द करने पर प्रदर्शन की चेतावनी तक दे डाली है। गांववाले डीएम के दुर्गा शक्ति को क्लीन चिट दिए जाने से भी नाराज हैं। डीएम की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए पड़ोस के गांव अनवर गढ़ के प्रधान जाकिर हुसैन का कहना था कि डीएम ने नागपाल को क्लीन चिट दे दी है। न तो डीएम यहां आए, न ही किसी पंचायत सदस्य से बात की गई। डीएम ने गलत रिपोर्ट दी है। आखिर गांव वाले अपनी मस्जिद को क्यों तोड़ेंगे?
दुर्गा के खिलाफ कार्रवाई वापस लेने की पुरजोर मांगों के बीच कादलपुर के प्रधान ने भी आरोप लगाया है कि इस अफसर ने खुद पहुंचकर उस इबादतगाह की दीवार गिरवाई थी और उससे सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने का खतरा पैदा हो गया था। कादलपुर के ग्राम प्रधान मोहम्मद शफीक ने बताया कि एसडीएम दुर्गा शक्ति ने उनकी लाख मिन्नतों के बावजूद खुद बड़ी तादाद में पुलिस बल के साथ पहुंचकर इबादतगाह की दीवार गिरवाई थी। उन्होंने बताया कि गांव में करीब एक साल तक चंदा इकट्ठा करने के बाद परती की जमीन पर बन रही मस्जिद के निर्माण को लेकर कहीं कोई विवाद नहीं था और उसकी 10-10 फुट की चहारदीवारी भी उठा दी गई थी। हालांकि वह यह भी मानते हैं कि इसके लिए प्रशासन से अनुमति नहीं ली गई थी। बहरहाल, रमजान के मौके पर उसमें हर शाम तरावीह की नमाज पढ़ी जा रही थी।
शफीक ने बताया, ’26 जुलाई की रात को रबुपुरा के थानाध्यक्ष अजय पाल ने पहुंचकर मस्जिद में अजान और नमाज के लिए लगाया गया लाउडस्पीकर हटाने की हिदायत देते हुए कहा था कि मस्जिद का निर्माण अवैध है और इसे गिराया जाएगा।’
ग्राम प्रधान के मुताबिक उन्होंने थानाध्यक्ष से पूछा कि क्या किसी ने इसकी शिकायत की है। इस पर उसने कहा था कि प्रशासन की बैठक में अफसरों से पूछा गया था कि कहीं कोई अवैध निर्माण कार्य तो नहीं हो रहा है। इस पर उसने कादलपुर में निर्माणाधीन मस्जिद का नाम लिया था।
शफीक ने बताया कि 27 जुलाई की सुबह एसडीएम दुर्गा शक्ति, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पुलिस क्षेत्राधिकारी, थानाध्यक्ष तथा बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंची और अवैध निर्माण गिराने की बात कही।
ग्राम प्रधान के मुताबिक उन्होंने मौके पर पहुंचे अधिकारियों से आग्रह किया कि मस्जिद में तरावीह की नमाज का दौर चल रहा है इसलिए कोई भी कार्रवाई ईद के बाद ही की जाए। इसके अलावा प्रशासन उन्हें कुछ मोहलत दे दे ताकि इबादतगाह के निर्माण के लिये जरूरी इजाजत हासिल की जा सके लेकिन उनके इस आग्रह को अनसुना करके दीवार गिरा दी गई।
ग्राम प्रधान ने बताया कि मस्जिद की दीवार गिराए जाने के बाद कुछ ग्रामीणों ने इसका बदला लेने की बात कही। कुछ लोगों ने हिंसक विरोध की बात कही। तनाव पैदा होने लगा लेकिन उन्होंने लोगों को समझा-बुझाकर शांत किया। वहीं, कुछ को शांत करने के लिए उन्हें थप्पड़ भी मारने पड़े। उन्होंने कहा कि लोग इसके विरोध में किसी भी हद तक जाने को तैयार थे, लेकिन उन्हें रोका गया।

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