मोदी की पीएम बनने की अराजक हवस

22_06_2013-22NModi1-रजनीश- नरेंद्र मोदी ने बड़ी ऊंची आवाज में महज दो दिन पहले स्कूली बच्चों से कहा था कि उनका पीएम बनने का सपना नहीं है। मोदी के मुताबिक जो ऐसा सपना देखता है, वह बर्बाद हो जाता है। मोदी के इस प्रवचन का स्कूली बच्चों के दिमाग पर क्या असर पड़ा होगा, पता नहीं। बच्चे सपने न देखें तो क्या इस देश की अश्लील सचाई उन्हें जिंदा रहने देगी? एक मुख्यमंत्री बच्चों को सामने कहता है कि इस तरह के सपने बर्बाद कर देते हैं। यह मोदी का पाखंड है या झूठ? इन दोनों में से चाहे जो भी हो लेकिन इन मासूम बच्चों के सामने मोदी को ऐसा नहीं बोलना चाहिए था। मोदी के लिए छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार ने लाल किले की तरह एक छद्म मंच 2 करोड़ की लागत से बनाया है। इससे बड़ा पाखंड और क्या हो सकता है कि मोदी पीएम बनने का सपना नहीं देखते लेकिन नकली लाल किले से लोगों को संबोधित करने में परहेज नहीं है? यह मोदी की पीएम बनने की हवस को ही दर्शाता है। अगर मोदी की तरह कोई नकली लोकसभा बनाकर अध्यक्ष बनना चाहता है तो इसे कुंठा का विस्फोट ही कहा जाएगा। या फिर हम इसे इस रूप में देख सकते हैं कि वह शख्स वहां तक पहुंच नहीं सकता इसलिए समानांतर व्यवस्था कायम करने की ओछी हरकत कर रहा है।

इस हवस को हम देखें या मोदी के उस स्वांग को जिसे उन्होंने स्कूली बच्चों के सामने कहा था। इस हवस के बाद मोदी को यही सलाह दी जा सकती है कि उन्हें अपने आवास का नाम ‘7 रेसकोर्स’ रख लेना चाहिए। कई बार तो लगता है कि मोदी की यह हवस ऐसी ही रही और अवाम ने 2014 में ठेंगा दिखा दिया तो वह पीएम बनने के लिए गुजरात को अलग देश बनाने की कवायद न शुरू कर दें। दरअसल, मोदी के जीवन और राजनीति में विनम्रता के लिए कोई जगह नहीं है। यदि वह विनम्र नेता होते और पीएम बनने की जल्दीबाजी नहीं होती तो वह छद्म लाल किला नहीं बनने देते। कई बार हमने उन आशिकों को देखा है जो किसी हसीना की तस्वीर देखकर ही उसके साथ सब कुछ करने की हवस से खुद को अभिशप्त पाता है।

उस आशिक की हवस परवान चढ़ती है और उस हसीना के लिबास, चाल-चलन और चमड़ी को किसी भी जिस्म में ओढ़ाने की अश्लील कोशिश करता रहता है। मोदी जब छत्तीसगढ़ के छद्म लाल किले से लोगों को संबोधित करेंगे तो कुछ ऐसा ही अहसास होगा। उन आशिकों को भी आपने देखा होगा जिन्होंने हसीनाओं को पाने के लिए अपनी कलाई काटने में गुरेज नहीं होता। नरेंद्र मोदी की राजनीति भी इन्हीं पागलपनों से भरी है। एक शख्स अपनी शख्सियत बढ़ाने की हवस में गर्भवती महिलाओं के रेप और जिंदा जलते लोगों को देखकर विचलित नहीं होता है।

उस वाकये के सहारे वह शख्स खुद को राष्ट्रवादी और हीरो की तरह पेश करता है। जब कोई धब्बा कामयाबी बन जाए, जब दाग हीरो बना दे, जब हिंसा राष्ट्रवादी बना दे तो यकीन मानिए इस लोकतंत्र के ढांचे को तहस-नहस होने से कोई नहीं रोक सकता। नरेंद्र मोदी ने इसी हवस का परिचय पिछले महीने 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भाषण के जबाव में भाषण का आयोजन कर दिया था। जब मोदी ने कहा कि पीएम बनने का सपना बर्बाद कर देता है तो उन्होंने बड़ी बेबाकी से बीजेपी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी की तरफ इशारा किया था। जाहिर है आडवाणी आज उसी सपने के साथ बीजेपी में हाशिए पर हैं। लेकिन छद्म लाल किले से भाषण देने की हवस के बाद लगा कि मोदी ने बच्चों के सामने सफेद झूठ बोला था। मोदी में तो आडवाणी से भी ज्यादा अराजक सपनों की दुनिया है। http://blogs.navbharattimes.indiatimes.com/rajnishkumar

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