अनाथ पिस्ता को मिला जीने का सहारा – सफलता की कहानी

जयपुर। प्रशासन गांवों के संग अभियान में गरीब, असहाय एवं अनाथ पिस्ता को राज्य सरकार की ‘अनाथ पालनहार योजना’ में सहायता मिलने पर उसकी खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। मात्र चार वर्ष की उम्र में पिस्ता के परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। वर्ष 2000-01 में माता पिता की मृत्यु के पश्चात पिस्ता के लालन पालन की जिम्मेदारी उसकी बड़ी बहन सुवा पर आ गई। उस समय सुवा की उम्र भी 12 वर्ष की थी। खेलने कूदने की उम्र में सुवा को अपने परिवार के मुखिया का दायित्व निभाना पड़ा। गरीब परिवार जैसे-तैसे गुजर बसर कर रहा था। फलौदी पंचायत समिति के पलीना में लगे शिविर में पिस्ता एवं सुवा दोनों पहुंची तथा पलीना विद्यालय के अध्यापक ने पिस्ता का फॉर्म तैयार करवाया और अधिकारियों द्वारा हाथों-हाथ अनाथ पालनहार योजना में स्वीकृति जारी की गई। करीब 12 वर्ष के इंतजार के बाद बड़ी बहन को छोटी बहन पिस्ता के पालन पोषण के लिए 18 वर्ष की उम्र तक 675 रुपये प्रतिमाह राज्य सरकार द्वारा दिए जाएंगे तथा इसके अलावा प्रतिवर्ष 2000 रुपये गणवेश एवं पुस्तकों के लिए अलग से प्रदान किए जाएंगे। सरकार की पालनहार योजना का लाभ पाकर दोनों बहनों के मुर्झाए चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ आई। उन्होंने कहा कि हमारे लिए तो यह शिविर वरदान बनकर आया है। मैं राज्य सरकार की आभारी हॅूं जिसनेे मेरी समस्या का समाधान कर दिया।

पांच बेघर परिवारों को मिली आवास के लिए जमीन

जयपुर। प्रशासन गांवों के संग अभियान के तहत पाली जिले के केरली सोमवार को आयोजित शिविर में सभी ग्रामीणों के लिए राहत का रहा वहीं क्षेत्र के 5 बेघर परिवारों को जमीन उपलब्ध कराने के कारण यह शिविर उनके लिए अविस्मरणीय बन गया। ये भाग्यशाली पांच जने के मूलाराम पुत्र दरगाराम निवासी टोकरला, सायरी पत्नी मोटाराम, टोकरला, सरिता पत्नी शंकर लाल, केरली, ओटाराम पुत्र पकाराम, गुढ़ारामाजी, पोनकी पत्नी रूपाराम, टोकरला ये सभी परिवार रहने के लिए अपना मकान नहीं जुटा पाए थे और सर्दी, गर्मी, बरसात मुसीबतों के साथ गुजर -बसर कर रहे थे। शिविर प्रभारी भगवती प्रसाद प्रशिक्षु आईएएस ने संवेदनशीलता के साथ इसकी समस्या के निस्तारण की प्रक्रिया शुरू कर दी। कुछ समय बाद पंचायत के बीच आयोजित शिविर में मौजूद लोगों एवं जन प्रतिनिधियों की उपस्थित में शिविर प्रभारी ने इनकी समस्या रखी और जनमत जानना चाहा। शिविर में मौजूद सभी ने एक स्वर में हामी भरी। कुछ ही देर में इन पांचों जनों के हाथ में आ गये जमीन के पट्टे और वे बन गये जमीन के मालिक। यह सपना साकार होते देख यह पांचो लोग भावुक हो उठे और हाथ जोड़कर अधिकारियों व सरकार को धन्यवाद देने लगे।

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