1.
उन आँखों में
पृथ्वी जल में
जल ज्योति में
ज्योति वायु में
वायु आकाश में
और आकाश
समा गया था
उन आँखों में
2.
अपने-अपने अजनबी
मैं अपनी इच्छाएँ
कागज़ पर छींटता हूँ
मेरी पत्नी अपनी हँसी
दीवारों पर चिपकाती है
और मेरा बच्चा
कभी कागजों को नोचता है
कभी दीवारों पर थूकता है।
3.
उसकी पीड़ा
अपनी इच्छा से नहीं आया है वह
न जाएगा अपनी इच्छा से
और जो कुछ भी होगा यहाँ
शायद उसकी इच्छा से नहीं होगा
न कभी हुआ !
उसकी पीड़ा यही है
कि वह सुख भी पाता है
तो दूसरे की इच्छा से।
सिन्धी अनुवाद:
1.
उन्हन अखियुन में
पृथ्वी जल में
जलु ज्योतीअ में
ज्योति वायुअ में
वायु आकाश में
ऐं आकाश
समाइजी व्यो हो
उन्हन अखियुन में
2.
पाहिंजा-पाहिंजा अजनबी
माँ पाहिंजूँ इच्छाऊँ
कागर ते छंडींदों आह्याँ
मुहिंजी ज़ाल पाहिंजी खिल
भितियुन ते चुम्ब्राईंदी आहे
ऐं मुन्हिंजो बार कड़हिं
कागरन खे नूपेड़ींदों आहे
कड़हिं भितियुन ते थुक फिटी कन्दो आहे।
3.
हुनजी पीड़ा
पाहिंजी इच्छा सां हू न आयो आहे
न वेंदो पहिंजी इच्छा सां
ऐं जो कुछ बि थींदो हिते
शायद हुनजी इच्छा सां न थींदों
न कड़हिं थ्यो !
हुनजी पीड़ा इहा आहे
त हू सुख बि पाईंदों आहे
त ब्ये जी इच्छा सां।
सिन्धी अनुवाद: देवी नागरानी
प्रिय देवी जी,
आपने डॉ. विश्वनाथ तिवारी की संवेदनाओं से भरपूर कविताओं का चयन कर उनका सिंधी में अननुवाद किया. अनुवाद की भाषा सहज और सरल है. साधुवाद!