राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे का राज करने का अपना शाही अंदाज है। शायद इसलिए उन तक अपने मंत्रियों की कार्यशैली की जानकारी नहीं पहुंच रही है। यहां तीन फरवरी को घटित दो घटनाओं की जानकारी दी जा रही है। यह दोनों मंत्री सीएम साहिबा की आंख के तारे माने जाते हंै। प्रदेश में स्वाइन फ्लू से जब 60 व्यक्तियों की मौत हो गई तब चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ को अस्पतालों के हालात जानने की सुध आई। तीन फरवरी को राठौड़ जयपुर के एसएमएस अस्पताल पहुंचे। यहां उन्होंने स्वाइन फ्लू रोग के नियंत्रण के लिए हो रहे इंतजामों का जायजा लिया, लेकिन इन इंतजामों की तब हकीकत सामने आ गई जब राठौड़ अस्पताल की सेन्ट्रल लेब पहुंचे। सेन्ट्रल लेब पर ताला लगा हुआ था। न चिकित्सक मिले न कर्मचारी। कोई 20 मिनट तक इंतजार करने के बाद राठौड़ लेब को देखे बिना ही बैरंग लौट आए। शर्मनाक बात तो यह रही कि बाद में राठौड़ ने मीडिया से कहा कि अस्पताल में माकूल इंतजाम है। यह उस सरकारी अस्पताल का हाल है जो सीएम साहिबा और चिकित्सा मंत्री राठौड़ की नाक के नीचे चल रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजधानी से दूर के सरकारी अस्पतालों का हाल क्या होगा। जब पूरे प्रदेश में स्वाइन फ्लू से हड़कंप मचा हुआ है तब प्रदेश में सबसे बड़े अस्पताल की सेन्ट्रल लेब उस समय बंद मिली जब चिकित्सा मंत्री स्वयं मुआयना करने पहुंचे। सीएम साहिबा बार-बार महिलाओं को मजबूत करने का ढोल पीट रही है, लेकिन 3 फरवरी को ही अजमेर जिले के केकड़ी कस्बे के सरकारी अस्पताल में नसबंदी ऑपरेशन करने के बाद मरीज महिलाओं को जमीन पर ही सुला दिया गया। जमीन पर लेटी महिलाओं के वीडियो प्रादेशिक न्यूज चैनलों में दिनभर प्रसारित हुए, लेकिन पीडि़त महिलाओं की आवाज सीएम साहिबा तक नहीं पहुंची। केकड़ी के भाजपा विधायक शत्रुघ्न गौतम ने भी परेशान महिलाओं की कोई सुध नहीं ली।
3 फरवरी का दूसरा उदाहरण उच्च और तकनीकी शिक्षामंत्री काली चरण सराफ का है। सराफ ने एक बयान दिया कि अजमेर के इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य एम.एम.शर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। यदि जांच में प्राचार्य शर्मा दोषी पाए गए तो उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी। सराफ ने जांच कमेटी कब बनाई और अब तक जांच कहां तक पहुंची इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी। सीएम साहिबा की आंख के तारे सराफ का यह बयान पूरी तरह दोगले चेहरे वाला है। सराफ जब विपक्ष में थे तब उन्होंने प्राचार्य शर्मा के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। तब सराफ ने यहां तक कहा था कि प्राचार्य शर्मा इंजीनियरिंग कॉलेज पर दाग है। प्राचार्य शर्मा पर भ्रष्टाचार करने और अपने चहेते को नियम विरुद्ध नौकरी देने के गंभीर आरोप लगे। सराफ को इस विभाग का मंत्री बने एक वर्ष गुजर गया, लेकिन उन्हें शर्मा के दामन पर वो दाग नजर नहीं आया जो विपक्ष में रहते हुए सराफ ने लगाया था। कहा जा रहा है कि सराफ ने जो जांच कमेटी बैठाई उसमें प्राचार्य शर्मा को उन सभी आरोपों से मुक्त कर दिया जो स्वयं सराफ ने लगाए थे। इतना ही नहीं कांग्रेस शासन की तरह सराफ सीएम साहिबा के शासन में भी प्राचार्य शर्मा पर मेहरबान है। इसलिए अजमेर के छात्र और छात्रा दोनों इंजीनियरिंग कॉलेज का प्राचार्य बना रखा है। इसी प्रकार प्रदेश के दूसरे शहरों के इंजीनियरिंग कॉलेज का अतिरिक्त प्रभार भी शर्मा को दे रखा है। प्रदेश भर में इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश की जिम्मेदारी भी एम.एम.शर्मा के पास ही है। असल में राज अशोक गहलोत का हो या सीएम साहिबा का। चलती तो एम.एम.शर्मा जैसे प्राचार्यो की ही है। पता नहीं सीएम साहिबा अपने मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा कब करेंगी।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)
1 thought on “सीएम साहिबा क्या कर रहे हैं आपके खास मंत्री”
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