स्वराज का यथार्थ

कीर्ति शर्मा पाठक
कीर्ति शर्मा पाठक

स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे ले कर रहूँगा …. भारतवर्ष के हर पढ़े लिखे व्यक्ति को ये वाक्य जोश में भर देता है ….
आज भी इस वाक्य का एक शब्द ज़ोर शोर से उठ रहा है ….
कुछ इस पर काम कर रहे हैं और कुछ इस पर अपने नव राजनैतिक रोटियां सेकने की जुगत में हैं ….
चलिए इस शब्द की व्याख्या करते हैं ….
स्वराज यानि स्वयं का राज या एक ऐसी व्यवस्था जहाँ अपनी बात के अनुसार काम होता है ….
अब इस व्याख्या को कुछ लोग मुखौटा पहना कर स्वार्थ सिद्ध करना चाह रहे हैं ….
भोले भाले कार्यकर्ताओं को दिग्भ्रमित कर उन्हें पशोपेश में डाल रहे हैं ….
आज के आम आदमी पार्टी के सन्दर्भ में इस की विवेचना करते हैं जिस से पार्टी का स्वराज स्पष्ट हो और वे धूर्त, जो इस पर अपनी राजनैतिक रोटियां सेकना चाहते हैं ,बेनकाब हों….
पार्टी की व्यवस्था के अनुसार पार्टी का primary unit (बूथ)के कार्यकर्ता अपनी इच्छानुसार अपना प्रतिनिधि चुनेंगे और उसे वार्ड की कार्यकारिणी में भेजेंगे…
वार्ड की कार्यकारिणी विधानसभा की कार्यकारिणी का गठन करेगी और ये सब प्रतिनिधि जिला की परिषद् का गठन करेंगे और परिषद् जिला कार्यकारिणी का …
इसी प्रकार राज्य परिषद् और राष्ट्रीय परिषद् और कार्यकारिणी का गठन होगा ….
जब हमारी primary unit, जो कि अपने बूथ मेंबर्स को represent करती है, जिला,राज्य और राष्ट्रीय परिषद् में पार्टी की गतिविधि को संचालित करेगी तो वो क्या स्वराज नहीं है ?
क्या वो बूथ कार्यकर्ता की आवाज़ नहीं है ?
आम आदमी पार्टी संगठन विस्तार से इसी स्वराज की परिकल्पना को साकार करने जा रही है ….
इसी को जानते हुए कई स्वार्थी तत्त्व बहती गंगा में हाथ धो कर स्वयं का उद्धार करना चाह रहे थे ….
दाल ना गलने पर स्वराज का तोता रटन प्रारम्भ कर साथी कार्यकर्ताओं को बरगलाने की कोशिश करने लगे हैं …
हमें अपने साथियों पर विश्वास है कि वे धूर्त अतिमहत्वाकांक्षी लोगों के इस नकाब को उतार फेंकेंगे और अपनी पार्टी के साथ देश सेवा के व्रत को पूरा करने में लग जाएंगे ….
आम आदमी पार्टी के स्वराज को यथार्थ रूप देना है …
आइये जुट जाएँ …
जय हिन्द !!!
कीर्ति शर्मा पाठक
Voice Against Corruption http://kirti-pathak.blogspot.com/

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