मूल: वेद प्रकाश वटुक
1. हर धर्म युद्ध में
हर धर्म युद्ध में
विजय राम की होती है
पर मुक्ति रावण को मिलती है
और राज्य प्राप्त होता है विभीषणों को
रही सत्य की सीता
उसे मिलेगी
अग्नि परीक्षा
वनवास
और धरती में समा जाना !
2. तुम्हारा दावा
तुम्हारा दावा है दोस्त
कि तुमने सच जिया है
एक बात पूछूँ
सच सच बताना
तुम ज़िंदा क्यों हो?
पता: 35/1 कैलाश पूरी, मेरठ (उ. प्र.) 250002। फोन: 9410891018
सिन्धी अनुवाद: देवी नागरानी
1. हर धर्म जी लड़ाईअ में
हर धर्म युद्ध में
विजय राम जी थींदी आहे
पर मुक्ति रावण खे मिलन्दी आहे
ऐं राजु मिलंदो आहे विभीषणन खे
बची सच जी सीता
उनखे मिलन्दी
अग्नि परीक्षा
वनवासु
ऐं धरतीअ में समाइजी वंञणु !
2. तुहिंजों दावो
तुहिंजों दावो आहे दोस्त
त तो सचु जी डिठो आहे
हिक गाल्हि पुछाईं
सचु सचु बुधाइजंइ
तूँ जीअरो छो आहीं ?
पता: ९-डी॰ कॉर्नर व्यू सोसाइटी, १५/ ३३ रोड, बांद्रा , मुंबई ४०००५० फ़ोन: 9987938358