नेचर को फ़िर से प्रदुषण रहित तो बनाया ही जा सकता हैं

सीमा आरिफ
सीमा आरिफ
एनडीटीवी पर रिपोर्ट आ रही थी कि हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार से पूछा है कि राजधानी में प्रदुषण के बढ़ते स्तर को कम करने के लिए इवेन अॉड वाले फोर्मुले को एक हफ़्ते से आगे क्यूँ जारी रखा गया या उसका असर देखने के लिए एक हफ़्ता काफ़ी क्यूँ नहीं।
हाई कोर्ट ने इतनी जल्दी तो आजतक किसी सरकार को किसी भी मसले पर जवाबतलब नहीं किया होगा,मुझे नहीं मालूम कि जिनके पास अपने निजी वाहन है उनको इस मुहीम से कितनी दिक्कत हो रही है,उनके लिए मेट्रो,बसों की धक्का मुक्की में सफ़र करना कितना असहजता भरा होगा,पर मेरे लिए पिछले छ:दिन किसी सपने से कम नहीं गुज़रे है,जिस लाजपतनगर फ्लाईओवर पर आकर मेरी बस ऐसे अटक जाती थी मानो आगे का रास्ता सब यात्रियों से मन ही मन कह रहा हो कि (बेटा मैं भी देखता हूँ तू कैसे आगे बढ़ता है)वही थम जाता था,इतने घंटे तक हम सब एक दुसरे का उदास,इमोशनलेस चेहरा देखते देखते थक जाते थे,बगल में बैठी हुई लड़की कितनी देर से किस से व्हाट्सप्प पर बतिया रही है यह भी मालूम हो गया,मेरे कान के ठीक पीछे खड़ी अंटी फ़ोन पर किस को गालियाँ दे रही है यह सब मालूम हो गया पर बस टस से मस नहीं होती थी,जाम में फँसी हर कार,बस वाला हल्का सा जाम खुलते ही ओवर टेक नाम का ऐसा फ्रस्टेशन निकलता था कि बस में लटके हुए लड़कों को आगे खड़ी लड़की पर गिरने का बहाना मिल जाता था।
यह सब हमारी रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी से जुड़े छुटपुट क़िस्से होते हैं जो न जाने कब जीवन का हिस्सा बन जाते हैं हमें मालूम नहीं पड़ता है,ऐसे ही हम यह भी चाहते है कि हमारे जीवन से जुड़े कीमती घंटे जिसे हम अपने दोस्तों,परिवार वालों के साथ बिताए,घर सही समय पर पहुँचे,सही वक़्त पर डिनर करें,यारों दोस्तों की दावतो में शामिल हों,सड़क पर बेवजह किसी से झगड़ा न करें तो फ़िर तो हमारे लिए दिल्ली सरकार का यह आईडिया एक वरदान जैसा ही प्रतीत होता है।
मैं किसी सरकार विशेष का फेवर न करते हुए यह मानती हूँ कि जिस नेचेर से हम ने खिलवाड़ की है,जिस शहर को प्रदूषित,गन्दा बनाते है उसी शहर को फ़िर से खुबसूरत बनाने में हमारी ही विशेष भूमिका होनी चाहिए,अमानवीय प्रदुषण के द्वारा मारे गए लोगों को एक बार मरकर तो वापस नही लाया जा सकता है पर नेचर को फ़िर से प्रदुषण रहित तो बनाया ही जा सकता हैं,क्यूँ?

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