बेशक इस में कोई शक नहीं की इस्लाम की रूह बस्ती है सूफिज्म में ,लेकिन सूफी क्या है और कैसे होने चाहिए ये भी एक बोहुत गंभीर सवाल है वाकई अगर सूफी और सूफिज्म को देखना और समझना है तो समझो हजरत ख्वाजा गरीब नवाज़ र.अ ,हज़रत निजामुद्दीन औलिया र.अ हज़रत बाबा फरीद गंजे शकर र.अ , गुरु नानक साहिब ,और बुज़ारगाने दीन की जीवनी को और अगर उनके सिर्फ रहन सहन को देख लो तो ही असली सूफिज्म समझ आ जायेगा ये आज के रंग बिरंगे कपडे पहने दाड़ी रखे हुए साँप की तरह केचलि बदलने वाले लोग अगर ये सूफी है तो इन के दिलो में दुनिया क्यों है और अगर दुनियाबी चीज़ों की चाहत है तो काहे के सूफी है ।
सूफी सिर्फ कपड़ो या हुलिये से नहीं होता सूफी होता हैं आचार से विचार से ,तन से मन फिर चाहे वोह दाड़ी रखे या ना रखे उस के दिल में इंसान के लिए दर्द होता है …….
…मेरी आदत है की दिल में चुबने वाली बात को कह देता हु बिना उस के रिजल्ट को समझे इस से कई बार मुझे बोहुत बड़े बड़े नुकसान भी हुए है लेकिन यकींन करे मन को जो तस्सल्ली मिलनी चाहिए वोह जरूर मिलती है ।
फिर भी यदि मेरी
किसी बात से किसी का भी दिल दुखा हो तो में उनसे माफ़ी चाहूँगा ।
इब्राहिम फखर