मेरी इस धरा से तुम हरो, इन नेताओं की बेईमानी

अन्ना के आन्दोलन पर, सारी संसद चिल्लाई |
सभी पार्टिया एक हुई , और अन्ना की खोदी खाई |
तुम भी खाओ हम भी खाए , हम सारे हैं भाई-भाई |
भ्रष्टाचार के आन्दोलन से , देखो संसद का अपमान हुआ |
संसद में जूतम पैजार से , क्या इस संस्था का सम्मान हुआ |
लोकतंत्र की जड़े हिलादी , अरे माननिये ये क्या कर डाला रे |
कोयले की काली कालिख पर , आरक्षण का पर्दा डाला रे |
कोयले के भ्रष्टाचार पर बहस हो रही थी ,अचानक रिजर्वेशंन कहा से लाये हो |
ये तो पक्का हो गया तुम स्वर्ग से नहीं , नरक से आये हो |
इसी लिए तुमने मेरे देश को , नरक बनाने की सोची हैं |
अपने फायदे के लिए लेते हो फैसले ,ये राजनीति ओछी है |
तुम जिस संसद में बैठे हो उसकी नीव में पत्थर नहीं ,बलिदानों के अवशेष है |
अरे शर्म आनी चाहिए तुम्हे ,ये भगत सिह और गाँधी वाला देश है |
राक्षससी विचारधारा बढ़ गयी है, तुम्हारे पापो की पोटली भर गयी है |
अरे सफेद पोशो लगता है ,मेरे यहा इंसानियत मर गयी है |
इस मत पेटी से तो ,यही पाप निकलने वाला है |
क्योकि ये वोटर भी बेचारा ,भूखा और पेट वाला है |
मेरी भारत माता की  तुम विनती सुनलो , हे मेरी मातभवानी .
मेरी इस धरा से तुम हरो , इन नेताओं की बेईमानी

-महेन्द्र सिंह, भैरुंदा-नागौर

1 thought on “मेरी इस धरा से तुम हरो, इन नेताओं की बेईमानी”

  1. बहुत खूब……जन भावनाओं की शानदार अभिव्यक्ति……

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